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डीसी साहब, जमीन पर तो नहीं दिखती शौचालय की स्वच्छता

सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत सड़क के किनारे पिछले दो साल में करोड़ों रुपये खर्च कर यूरिनल व शौचालय का निर्माण कराया लेकिन इनकी हालत बदतर हो चली है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 01:44 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 03:44 PM (IST)
डीसी साहब, जमीन पर तो नहीं दिखती शौचालय की स्वच्छता

जमशेदपुर (मनोज सिंह)। डीसी साहब जरा जमीन पर नहीं दिखता स्वच्छता अभियान की सच्चाई। कभी-कभी खुद सरकारी योजनाओं की पड़ताल पर निकलें तभी पता चल सकेगा किया स्वच्छता अभियान के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजना का क्या हाल है। सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत सड़क के किनारे पिछले दो साल में करोड़ों रुपये खर्च कर यूरिनल व शौचालय का निर्माण कराया गया। इसकी सफाई पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे, बावजूद स्थिति बद से बदतर है। दैनिक जागरण टीम मंगलवार को जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति अंतर्गत बने यूरिनल व शौचालय का पड़ताल किया। पड़ताल में पाया गया कि अक्षेस की ओर से सफाई के लिए तो लोग आते हैं, लेकिन वह अपनी खानापूर्ति कर निकल जाते हैं। जबकि यूरिनल व शौचालय की स्थिति इतनी भयावह है कि यदि कोई स्वस्थ्य आदमी उसके अंदर चले जाए तो बीमार होने से कोई नहीं रोक सकता।

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मानगो बस स्टैंड - मानगो बस स्टैंड के पुरूलिया-धनबाद स्टैंड पर बने यूरिनल व शौचालय की स्थिति इतनी खराब है कि यदि किसी यात्री को पेशाब या शौच लगे तो शौच भी बाहर न निकले। हालत यह है कि बस उसमें आम जनता को जाने का रास्ता ही नहीं। यदि किसी तरह लोग उसके अंदर चले जाएं तब वहां पानी नहीं। किसी तरह लोग मुंह बंद कर लघुशंका तो कर सकते हैं, लेकिन शौच लग गया तो भगवान ही मालिक, क्योंकि पानी के लिए बनाए गए टंकी में पानी ही नहीं रहता।

हाथी घोड़ा मंदिर के पास : हाथी-घोड़ा मंदिर के पास बने सामुदायिक शौचालय नया बनकर तैयार है, लेकिन वह आज तक आम जनता के लिए चालू ही नहीं हो सका। स्थानीय लोगों ने बताया कि शौचालय के अंदर असमाजिक तत्व शाम होते ही अड्डेबाजी करते हैं।

हाथी घोड़ा मंदिर के पास - हाथी-घोड़ा मंदिर के पास मुख्य सड़क के किनारे बने यात्री शौचालय का पहले तो ताला बंद कर रखा था, लेकिन असमाजिक तत्वों ने ताला तोड़ दिया। लोग खुले में लघुशंका करते हैं। अंदर का सारा टाइल्स टूट गया है। कोई देखने वाला नहीं।

एमजीएम अस्पताल के सामने - महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सामने मुख्य रोड पर बने शौचालय बाहर से देखने में सुंदर है, लेकिन अंदर की स्थिति दयनीय है। भले ही इस शौचालय की सफाई करने के लिए प्रतिदिन अक्षेस के लोग आते हैं। शौचालय के उपर लगाए पानी की टंकी में कभी पानी ही नहीं भरा गया। पानी नहीं होने के कारण शौचालय से बदबू निकलता है।

साकची आई अस्पताल के पास - साकची आई अस्पताल के पास बने महिला एवं पुरूष के लिए अलग-अलग यूरिनल में ताला मार दिया गया है। इस संबंध में मौके पर तैनात यातायात सिपाही ने बताया कि आम जनता शौच करने के स्थान पर मल भी त्याग देते हैं। यही नहीं पानी टंकी को भी तोड़ दिया। इसके बाद उसमें ताला मार दिया गया।

सोनारी नर्स क्वार्टर के पास - सोनारी नर्स क्वार्टर के पास बने यूरिनल में ताला मार दिया गया है। जबकि आसपास भिड़ लगने के कारण लोग मजबूरी में यूरिनल के बगल में ही लघुशंका व शौच कर छोड़ देते हैं। पानी की कमी के कारण ही दुर्गंध व बदबू ऐसी की यहां रास्ता में चलने पर रूमाल लेना पड़ता है।

क्या कहते हैं लोग

सभी यूरिनल हो या शौचालय सफाई रखनी है तो पानी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। वैसे सरकार पानी की व्यवस्था के लिए टंकी लगाया। चूंकि इसकी सफाई करने के लिए 10-15 दिनों के बाद आते हैं। जिसके कारण इसमें लघुशंका करना मुश्किल है।

सुभाष कुमार, दुकानदार

सरकार यूरिनल व शौचालय तो बना दिया है, लेकिन इसके देखभाल करने के लिए कोई नहीं है। खाना पूर्ति के लिए केवल एक बार पानी डाल दिया जाता है, जिससे गंदगी और बजबजा जाती है। जिस मकसद से यूरिनल व शौचालय का निर्माण आम जनता के लिए किया गया है। उसकी देखभाल करे और जनता थोड़ी सचेत हो जाए तभी यह कामयाब हो सकेगा।

जितेंद्र कुमार, ठेला संचालक

हाथी-घोड़ा मंदिर के पास भले ही सरकार दो-दो शौचालय व यूरिनल लाखों रुपये की लागत से बना दिया है। इसका फायदा आम जनता को नहीं हो रहा है। सरकार के साथ ही आम जनता की लापरवाही के कारण आज लोगों को मजबूरी में नदी के किनारे शौच करने के लिए जाना पड़ता है।

एक दुकानदार, हाथी-घोड़ा मंदिर

स्वच्छता अभियान के तहत सरकार आम जनता के लिए सड़क के किनारे बड़े पैमाने पर यूरिनल व शौचालय तो बना दिया, लेकिन इसका देखभाल करने वाला कोई नहीं है। सोनारी नर्स क्वार्टर के पास शौचालय तो बना दिया गया है, लेकिन उसमें ताला मार दिया गया है। यदि ताला मारना ही था तब सरकारी राशि का दुरूपयोग क्यों किया।

कमला देवी, सोनारी

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