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Netaji Subhas Chandra Bose : झारखंड के इस गांव से था नेताजी का खास रिश्ता, ग्रामीणों ने सहेज रखी है यादें

Netaji Subhas Chandra Bose birth anniversary झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड के कालिकापुर गांव से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास रिश्ता था। 5 दिसंबर 1939 को जमशेदपुर से फोर्ड कार लेकर नेताजी पोटका प्रखंड के कलिकापुर गांव पहुंचे थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 12:14 PM (IST)
Netaji Subhas Chandra Bose : झारखंड के इस गांव से था नेताजी का खास रिश्ता, ग्रामीणों ने सहेज रखी है यादें
पोटका के कालिकापुर की सभा में नेताजी सुभाष चंद्र बोस। फाइल फोटो

पोटका, शंकर गुप्ता। देश को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन करनेवाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1928 से 1936 तक जमशेदपुर लेबर यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। उनका धालभूम क्षेत्र से काफी लगाव था। अपने पिता स्वर्गीय कमल लोचन भकत से सुनी पुराने बातों को याद करते हुए कुमुद रंजन भकत ने बताया कि मंगलवार 5 दिसंबर 1939 को जमशेदपुर से फोर्ड कार लेकर नेताजी पोटका प्रखंड के कलिकापुर गांव पहुंचे थे।

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उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता उनके पिता कमल लोचन भकत एवं अतुल कृष्ण दत्ता के प्रयास से उन्होंने क्षेत्र का भ्रमण किया था। इस दौरान उन्होंने कालिकापुर उच्च प्राथमिक विद्यालय वर्तमान में उत्क्रमित उच्च विद्यालय कलिकापुर में एक आम सभा भी की जिसमें आसपास के गांव से हजारों संख्या में लोग शामिल हुए थे। सभा की अध्यक्षता कमल लोचन भकत ने की थी जबकि संचालन अतुल कृष्ण दत्त ने किया था। उस समय कलिकापुर के लोगों ने उन्हें मानपत्र सौंपा जिसे पढ़कर नेताजी भाव विभोर हो गए।

घाटशिला व बहरागोडा में भी की थी सभा

आम सभा में उपयोग किए गए कुर्सी, टेबल, टेबल क्लॉथ तथा सभी मानपत्र।

उन्होंने लोगों से अपील की कि आजादी भीख मांगने से नहीं बल्कि लड़कर लेनी पड़ती है। इस संदेश का लोगों पर काफी असर पड़ा। इस आमसभा में मुख्यरूप से ईशान चंद्र भकत, हरिचरण भकत, शिवराम पांडा, सच्चिदानंद दत्त, पूर्ण चंद्र मंडल, मुरली मोहन मंडल, गौर चंद्र पात्र, सर्वेश्वर भकत, सतीश बख्शी, रुहिदास कैवत, गोवर्धन भकत महेश्वर भकत ईश्वर भकत सशधर भकत आदि उपस्थित थे।  सभा में जिस कुर्सी पर नेताजी बैठे थे। जिस टेबल और टेबल क्लॉथ का उपयोग किया गया था तथा कमल लोचन भकत के द्वारा आम सभा की दो फोटो खींची गई थी, आज भी कुमुद रंजन भकत ने अपने घर पर धरोहर के रूप में रखा हुआ है। यहां जनसभा करने के बाद नेताजी ने घाटशिला एवं बहरागोड़ा में भी बैठक कर खड़गपुर होते हुए कोलकाता लौट गए थे। नेताजी ने तीनों मानपत्र कमल लोचन भकत को सौंप दिया था जो आज भी उनके परिवार ने संभल कर रखे हैं। आज भी कलिकापुर के ग्रामीण गर्व महसूस करते हैं कि इस गांव में भारत के इस महान सपूत के कदम पड़े थे।

कालिकापुर गांव का है पुराना इतिहास

ब्रिटिश शासनकाल में ध्वस्त कलिकापुर थाना।

कलिकापुर गांव का अपना प्राचीन इतिहास है। धालभूम इलाके में दो ही थाना थे। जिसमें कलिकापुर तथा घाटशिला था। कालिकापुर थाना की स्थापना 1885 में हुई थी। इसके दायरे में पोटका से लेकर साकची, मानगो भिलाई पहाड़ी भी आते थ। 1936 में थाना के दरोगा की खराब नीति तथा जनता पर अत्याचार के कारण दरोगा को मारा- पीटा गया था। दारोगा से मारपीट करने वाले पहले व्यक्ति हरिचरण भकत थे। कालिकापुर गांव के लोगों का आक्रोश इतना था कि कलिकापुर से दो साल बाद 1938 में पोटका में थाना को स्थानांतरण करना पड़ा।


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