1993 दोहराएगा महिला पर्वतारोहियों का दल, बछेंद्री पाल करेंगी नेतृत्व
माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल एक बार फिर 1993 में इंडो-नेपाली महिला एवरेस्ट अभियान के दल के साथ उस उपलब्धि को दोहराएगी।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल एक बार फिर 1993 में इंडो-नेपाली महिला एवरेस्ट अभियान के दल के साथ उस उपलब्धि को दोहराने के लिए स्मारक रजत जयंती ट्रेक का नेतृत्व करेंगी। 1993 में इंडो-नेपाली वूमेंस एवरेस्ट एक्सपेडिशन (आइएनडब्ल्यूईइ) का नेतृत्व भी उन्होंने ही किया था।
कुल 12 दिनों का यह अभियान माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के 8,848 मीटर स्ट्रेच के 3,790 मीटर लेग को कवर करेगा। 1993 के रिकॉर्ड तोड़ अभियान से 10 महिला पर्वतारोही और एक तकनीकी सलाहकार शामिल होंगे। दल की लीडर के रूप में टाटा स्टील एडवेंचर (टीएसएएफ) की चीफ, एडवेंचर प्रोग्राम बछेंद्री पाल होंगी। टीम में चंद्रप्रभा ऐतवाल, सुमन कुटियाल दताल, निमी शेरपा, सविता थपवाल, हर्षा पंवार, डिकी डोलमा, जी अनीता देवी, डॉ. रीता शरद सिंह, राधा देवी, टेक्नीकल एडवाइजर राजीव शर्मा समेत दो अतिरिक्त सदस्य के रूप में शामला पद्मनाभम और चेतना साहू हैं। राजीव शर्मा 1993 अभियान की टीम में टेक्निकल एडवाइजर थे।
टीम दोहराएगी 1993 का मार्ग
अभियान लुक्ला से शुरू होगा और समुद्र तल से 3,790 मीटर ऊपर खुमजंग तक आइएनईई-1993 मार्ग को ही दोहरायेगा। 1993 के अभियान ने दक्षिण-पूर्व रिज मार्ग ही अपनाया था।
राष्ट्रपति ने अभियान दल को दी शुभकामनाएं
ट्रैक की शुरुआत से पहले बछेंद्री पाल ने अभियान दल के साथ नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार 12 अप्रैल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने टीम को अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि वे दूसरों के लिए प्रेरणा हैं।
1993 इंडो-नेपाली वूमेन एवरेस्ट एक्सपेडिशन द्वारा स्थापित रिकॉर्ड
- यह माउंट एवरेस्ट के लिए भारत का पहला सर्व-महिला अंतर्राष्ट्रीय अभियान था, जिसका नेतृत्व एक महिला एवरेस्ट समिटीयर ने किया।
- अभियान में कुल 18 व्यक्ति शिखर पर पहुंचे, एक रिकॉर्ड जो आज तक कायम है।
- भारत आठ महिला एवरेस्ट समिटर्स का दावा करने वाला पहला देश बन गया।
- संतोष यादव दो बार एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं।
- माउंट एवरेस्ट पर चढऩे वाली सबसे छोटी महिला बनी डिकी डोलमा। वह उस समय 19 साल की थी।
- एवरेस्ट समिट के काफी करीब साउथ समिट (28,704 फीट) से लौटने के बाद दीपू शर्मा ने फिर से प्रयास किया और एक सप्ताह के भीतर शिखर पर पहुंची।
- एक शेरपा और उसकी पत्नी, माउंट एवरेस्ट के साउथ समिट में पहुंचने वाली पहली नेपाली जोड़ी बनी। सपोर्ट टीम के रूप में साथ गयी शेरपा की पत्नी भी अभियान की एक सदस्य थीं।