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झारखंड लौटने वाले श्रमिक न हो निराश, जमशेदपुर के उद्यमी काम देने को तैयार Jamshedpur News

Job For migrant laborers. कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन में काफी संख्या में प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं। उन्‍हें रोजी-रोटी की चिंता कर निराश होने की जरूरत नहीं है।

By Edited By: Published: Tue, 12 May 2020 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 12 May 2020 01:47 PM (IST)
झारखंड लौटने वाले श्रमिक न हो निराश, जमशेदपुर के उद्यमी काम देने को तैयार Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं।  Job For migrant laborers कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन में काफी संख्या में प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं। उन्‍हें रोजी-रोटी की चिंता कर निराश होने की जरूरत नहीं है। उन्‍हें यहां रोजगार मिलेगा। जमशेदपुर के उद्यमी काम देने को तैयार हैं। 

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 झारखंड के कोल्‍हान के पूर्वी सिंहभूम जिले में अब तक करीब 3000 मजदूर आ चुके हैं, तो आने का सिलसिला जारी है। सूबे की हेमंत सरकार भी इस बात की घोषणा कर चुकी है कि हम सभी को ना केवल रोजगार देंगे, बल्कि रोजगार मिलने तक राशन भी उपलब्ध कराएंगे। प्रवासी मजदूरों को लेकर सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक भालोटिया ने कहा कि स्किल्ड वर्कर मिलता कहां है। जो सचमुच स्किल्ड होंगे, उन सभी को आदित्यपुर की कंपनियों में काम मिलेगा। हालांकि, इसके लिए यह भी जरूरी है कि कंपनियां सुचारू रूप से चलने लगें। यहां हर तरह के उद्योग हैं। वाहन व स्टील के अलावा कंज्यूमर व फूड प्रोसेसिंग के प्लांट भी हैं। मुझे नहीं लगता कि हर कंपनी के पास पर्याप्त स्किल्ड वर्कर होंगे। इसलिए इस बात का सवाल ही नहीं कि आनेवाले श्रमिकों को  काम नहीं मिले। इसके अलावा हर कंपनी को अनस्किल्ड वर्कर की भी आवश्यकता होती है। इनके लिए जिला प्रशासन व श्रम विभाग भी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। टाटा मोटर्स खुल जाए तो कोई दिक्कत नहीं। 

 प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं: बसानी

चैंबर के महासचिव भरत वसानी ने कहा कि हमने उपायुक्त रविशंकर शुक्ला व सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त ए. दोड्डे को पिछली बैठक में ही बता दिया था कि प्रवासी मजदूरों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। एक बार टाटा मोटर्स खुल जाए और आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां सुचारू रूप से चलने लगे, तो सभी प्रवासी मजदूरों को हम रोजगार देंगे। वैसे भी लॉकडाउन की वजह से आदित्यपुर की कंपनियों में काम करने वाले कई मजदूर यहां से चले गए हैं। उन्हें लौटने में काफी वक्त लगेगा। यह भी ठीक नहीं है कि उनमें से सभी दोबारा आएंगे कि नहीं। ऐसे में कोल्हान के श्रमिकों को प्राथमिकता के आधार पर यहां की कंपनियों में रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। यह पहले से भी हमारी नीति रही है। जब यहां कुशल श्रमिक नहीं मिलते हैं, तभी हमें बाहर से मैनपावर लेने की आवश्यकता पड़ती है।

मनरेगा में चार योजनाएं तैयार

 महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा में भी प्रवासी मजदूरों के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। जल समृद्धि योजना के अलावा नीलांबर-पीतांबर जल संग्रहण के अलावा वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना में स्थायी मजदूरों के अलावा प्रवासी मजदूरों को भी पर्याप्त संख्या में रोजगार मिलेगा। मनरेगा के सहायक अभियंता प्रताप महंती ने बताया कि खेल विकास योजना हर पंचायत में एक (174) और हरित ग्राम योजना के तहत हर गांव में फलदार पौधे लगाए जाएंगे। वहीं पहले से हर पंचायत में पांच-पांच जल समृद्धि योजना के कार्य किए जाएंगे। पूरे जिले में 8175 योजना होगी, जिसमें पहले से काम भी हो रहा है। बस प्रवासी मजदूर 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि पूरा कर लें। फिलहाल उन्हें प्रवासी मजदूरों की सूची और विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है।

कुशल, अकुशल दोनों को मिलेगा काम

मनरेगा में 1.21 लाख एक्टिव वर्कर मनरेगा योजना के तहत फिलहाल पूर्वी सिंहभूम जिले में 1.21 लाख एक्टिव वर्कर हैं। यदि इसमें चार-पांच हजार बढ़ भी जाएंगे, तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। प्रवासी मजदूरों को लेकर ही योजनाओं का विस्तार किया जा रहा है। एक बार इनकी सूची मिल जाए, तो कोई दिक्कत नहीं होगी। मनरेगा के तहत अब भी जो मजदूर काम कर रहे हैं, उनमें कुशल व अकुशल दोनों श्रेणी के हैं।

 

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