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एमजीएम पहुंचे प्रधान सचिव-पूछा अबतक क्यों शुरू नहीं हुआ एनआइसीयू

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी छह माह के बाद एमजीएम अस्पताल निरीक्षण के लिए पहुंचे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 07:30 AM (IST)
एमजीएम पहुंचे प्रधान सचिव-पूछा अबतक क्यों शुरू नहीं हुआ एनआइसीयू
एमजीएम पहुंचे प्रधान सचिव-पूछा अबतक क्यों शुरू नहीं हुआ एनआइसीयू

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी छह माह के बाद फिर महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। इससे पूर्व वह 23 जून 2019 को आए थे।

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इसबार प्रधान सचिव सबसे अधिक एनआइसीयू (न्यू बॉर्न एंटेंसिव केयर यूनिट) को लेकर वह गंभीर दिखे। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अजय राज से एनआइसीयू शुरू नहीं होने का कारण पूछा तो उन्होंने पांच मुख्य कारण गिनाए। इसमें मैन पावर की कमी, ट्रेंड नर्स की जरूरत, उपकरण की आवश्कता, ऑक्सीजन नहीं पहुंचना और बेहतर साफ-सफाई के लिए 24 घंटे सफाई सेवक की तैनाती बताई। इसके बाद सचिव ने गैस प्लांट स्थापित करने वाले एजेंसी के पदाधिकारी को बुलाया। सचिव ने पूछा कि अबतक क्यों देरी हुई? आपको काम करना नहीं आता? कब तक काम पूरा करना था? इसपर एजेंसी के पदाधिकारी ने कहा-छह माह विलंब से कार्य चल रहा है। इसे सुनकर सचिव भड़क गए और ब्लैक लिस्टेड करने के साथ-साथ वेतन भुगतान में कटौती की चेतावनी दे डाली। सचिव ने कहा कि आपकी लापरवाही से मरीज व विभाग दोनों को परेशानी हो रही है।

बतातें चले कि शनिवार के अंक में ही दैनिक जागरण ने मासूमों की मौत अभियान के तहत एमजीएम अस्पताल में शुरु नहीं हो पाई एनआइसीयू, कैसे बचेगी बच्चों की जान शीर्षक से खबर प्रकाशित की। प्रधान सचिव ने इस मामले को लेकर अधीक्षक, उपाधीक्षक व सभी विभागाध्यक्षों को व्यवस्था सुरधारने के निर्देश दिए। उपायुक्त व सचिव का काम अस्पताल चलाना नहीं है। एमजीएम अस्पताल के कांफ्रेंस रूम में हुई बैठक में प्रधान सचिव डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी के अलावे उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, एमजीएम कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी, अधीक्षक डॉ. संजय कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर हांसदा, डॉ. अंजली श्रीवास्तव, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. पी. सरकार सहित अन्य उपस्थित थे।

अस्पताल में घुसने के साथ दिखी गंदगी, पूछा सफाई कौन देखता है :

प्रधान सचिव अपने गाड़ी से उतरने के बाद सीधे कांफ्रेंस रूम में मीटिंग के लिए जा रहे थे। इसी दौरान प्रशासनिक भवन में लगी पंखे की पत्ती में कचरे का जमाव देखकर वह नाराज हुए और मीटिंग में चले गए और वहां पर सफाई एजेंसी शिवा के पदाधिकारी को बुलाकर फटकार लगाई। वहीं आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने को लेकर भी फटकार लगाई।

उखड़ गई सड़क, अब मरीज वार्ड में शिफ्ट कैसे होंगे : अस्पताल में अभी ड्रेनेज सिस्टम का कार्य चल रहा है। इसे लेकर पूरे अस्पताल के सड़क को उखाड़ दिया गया है। यदि जल्द ही इसे नहीं बनाया गया तो मरीजों को एक वार्ड से दूसरे वार्डो में शिफ्ट करने में काफी परेशानी होगी। व्हील चेयर व स्ट्रेचर नहीं चल पाएगा। इसे लेकर सचिव ने संबंधित विभाग के पदाधिकारियों से पूछा और उसे जल्द से जल्द बनाने को कहा। पदाधिकारियों ने कहा कि सड़क के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।

डेढ़ साल में ही सीपेज होने लगा नया भवन, टूटकर भी गिर रहा :

पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) के लिए एमजीएम अस्पताल में बने करोड़ों रुपये की लागत से नए भवन में भारी गड़बड़ी हुई है। सचिव के सामने फिर से एक बार शौचालय नहीं होने, पानी की व्यवस्था नहीं, नल, बेसिन सहित अन्य मामला उठे। वहीं चिंता का विषय यह भी है कि अभी नये भवन को हैंडओवर लिए हुए डेढ़ साल भी नहीं हुआ कि वह सीपेज करने लगा है। साथ ही दरार होने के साथ-साथ टूटकर गिरने भी लगा है। सर्जिकल व महिला एवं प्रसूति विभाग के ऑपरेशन थियेटर के समीप पानी सीपेज कर रहा है। इसके साथ ही सचिव ने डॉक्टर्स क्वार्टर व हॉस्टल में बिजली, पानी की समस्या का हाल लिया और निर्धारित समय पर पूरा करने का निर्देश दिया।

शौचालय चमकने चाहिए, हर बार मिल रही शिकायत : एक चिकित्सक ने शौचालय की गंदगी का मुद्दा उठाया तो सचिव ने संबंधित विभाग के पदाधिकारी को कड़े तेवर में कहा कि दोबारा यह सवाल मुझ तक नहीं आना चाहिए। सचिव ने कहा कि पूरे अस्पताल परिसर के सभी शौचालय चमकने चाहिए। उसमें बेहतर साफ-सफाई से लेकर बिजली, पानी सबकुछ दुरुस्त होनी चाहिए।

पूर्व छात्र मुझे करते है वाट्सएप कहते प्लीज आप कुछ कीजिए :

प्रधान सचिव ने कहा कि दो दिन पहले एमजीएम के पूर्व छात्र अस्पताल किसी काम से आए थे। यहां की व्यवस्था देखकर वह काफी दुखी हुए। उन्होंने मुझे वाट्सएप किया और कहा कि प्लीज आप कुछ कीजिए। उन्होंने कहा कि बाहर के लोग यदि इस तरह का फीडबैक देंगे तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है।

बिना लिफ्ट बना दी चार मंजिला कैथ लैब : एमजीएम कॉलेज में हार्ट मरीजों के लिए कैथ लैब का निर्माण हो रहा है। यहां बिना लिफ्ट के ही चार मंजिला भवन बना दिया गया है। इसपर भी प्रधान सचिव ने दुख जताया और लिफ्ट लगाने की व्यवस्था करने को कहा। वहीं अस्पताल के मेडिसीन व महिला एवं प्रसूति विभाग की खराब पड़ी लिफ्ट को जल्द से जल्द ठीक करने के निर्देश दिए।

सेनेटरी इंस्पेक्टर को ढूंढते रहे सचिव, नदारद मिले : एमजीएम अस्पताल में तैनात सेनेटरी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार को प्रधान सचिव ढूंढते रहे, लेकिन वह नहीं मिले। कारण कि वह गैरहाजिर थे। इसे लेकर सचिव ने अधीक्षक पर नाराज हुए और उसके वेतन पर रोक लगाने का निर्देश दिया।

मूल जड़ में नहीं गए सचिव, हवाई आदेश कर चलते बने : चिकित्सक

प्रधान सचिव के जाने के बाद अधिकांश चिकित्सक आपस में चर्चा करते मिले कि इस तरह से अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है। अस्पताल चलाने में दिक्कत कहां हो रही उसकी जड़ में सचिव साहब जाना नहीं चाहते और हवा-हवाई आदेश देकर चलने बने। चिकित्सकों ने कहा कि दुर्घटना होने के बाद मरीज की स्थिति गंभीर होती है। उसकी जान बचाने के लिए चिकित्सकों के साथ-साथ ड्रेसर व दवा की जरूरत होती है। उसे वार्ड में शिफ्ट करने के लिए वार्ड अटेंडर की आवश्कता पड़ती है। उसका सेट्रल रजिस्ट्रेशन में नाम व बीमारी का नाम दर्ज करने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर की जरूरत होती है। इन सारी समस्याओं पर सचिव ने कुछ नहीं बोला। एक चिकित्सक ने पूछने की हिम्मत भी जुटाई तो उल्टा उसे ही फटकार लग गई। इसके बाद दोबारा वह हिम्मत नहीं जुटा पाए।


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