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गलती सरकार की, भुगत रहा एमजीएम मेडिकल कॉलेज

इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट बढ़ने की बजाए घटती गई। सन 1962 में एमजीएम कॉलेज की शुरूआत 150 सीट से हुई थी। लेकिन उसके बाद से घटकर पहले 100 सीट हुई। उसके बाद 50 और अब फिर 100 सीट है जिसके मान्यता पर भी लगातार सवाल खड़े होते रहा है। हर छह माह पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम निरीक्षण करने आती है और खामियां नोट कर ले जाती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 07:00 AM (IST)
गलती सरकार की, भुगत रहा एमजीएम मेडिकल कॉलेज
गलती सरकार की, भुगत रहा एमजीएम मेडिकल कॉलेज

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट बढ़ने की बजाए घटती गई। सन 1962 में एमजीएम कॉलेज की शुरूआत 150 सीट से हुई थी। लेकिन उसके बाद से घटकर पहले 100 सीट हुई। उसके बाद 50 और अब फिर 100 सीट है जिसके मान्यता पर भी लगातार सवाल खड़े होते रहा है। हर छह माह पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम निरीक्षण करने आती है और खामियां नोट कर ले जाती है। उस रिपोर्ट को सरकार को सौंपी जाती है, ताकि खामियां दूर किया जा सकें। लेकिन शायद ही इसपर कभी गंभीरता से सोची जाती है। इसी का नतीजा रहा कि शुक्रवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम को छाता लेकर एमजीएम का निरीक्षण करना पड़ा। जब वह ओपीडी पहुंची तो देखा कि बारिश की पानी टपक रहा है। इसे देखते हुए चिकित्सकों ने उनके लिए छाता की व्यवस्था किया। इसके बाद वह सभी ओपीडी व वार्डो में घूमकर निरीक्षण किया और व्यवस्था को देखा। टीम के सदस्यों ने आईसीयू, इमरजेंसी विभाग, मेडिसीन विभाग, शिशु रोग विभाग, महिला एवं प्रसूति रोग विभाग, सर्जरी विभाग, हड्डी रोग विभाग सहित बारी-बारी से सभी वार्डो से अवगत हुए। इमरजेंसी विभाग में मरीजों की संख्या देखकर टीम हैरान हो गई और कारण पूछा। डॉक्टरों ने बताया कि 10 बेड के इमरजेंसी में 38 बेड लगाया गया है। ताकि मरीजों को वापस नहीं लौटना पड़े। इस दौरान कई डॉक्टर एप्रन व आई कार्ड के साथ मौजूद नहीं थे, जिसपर टीम ने नाराजगी जाहिर की। इसके साथ ही यह भी पूछा कि इतने पूराने मेडिकल कॉलेज में अबतक पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) की पढ़ाई शुरू क्यों नहीं हुई? अस्पताल में टीम के साथ एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, डॉ. दिवाकर हांसदा, डॉ. हीरालाल मुर्मू, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. अनुकरण पूर्ति सहित अन्य मौजूद थे। वहीं कॉलेज में टीम के साथ एमजीएम प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी व उनकी टीम मुस्तैद रहीं। रात करीब साढ़े नौ बजे तक टीम रिपोर्ट तैयार करने में जुटी रहीं। टीम में पुणे के डॉ. मिलिंद परदेशी व डॉ. प्रसाद भारत शामिल हैं।

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न कैंटीन बना और न ही डॉक्टरों की कमी हुई दूर

एमसीआइ की टीम ने एमजीएम में कई खामियां गिनाई थी। इसमें डॉक्टरों की कमी, अस्पताल में कैंटीन का निर्माण न होना, अत्याधुनिक सिटी स्कैन मशीन व अग्नि समन की व्यवस्था नहीं होना भी शामिल है। यह खामियां लंबे समय से चलते आयी है लेकिन इसके बावजूद भी अबतक दूर नहीं किया जा सका है। चिंता का विषय यह भी है कि पांच मई को सात सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो रहा है। इसमें डॉ. मृत्युंजय सिंह, डॉ. प्रभात कुमार, डॉ. आलोक रंजन महतो, डॉ. अजय कुमार, डॉ. शिव चंद्रिका हांसदा सहित अन्य शामिल है। इनके जगह पर अबतक नया डॉक्टर कोई भी नहीं आ सका है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इनके जाने के बाद अस्पताल की स्थिति और भी बदतर हो जाएगी।

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चार साल पहले मुख्यमंत्री आए थे, अब हर सप्ताह मंत्री आते हैं

एमजीएम अस्पताल मुख्यमंत्री के गृह जिला में पड़ता है। जब वह मुख्यमंत्री बने तो उसके कुछ ही माह के बाद एमजीएम अस्पताल का निरीक्षण किये और सुधार का भरोसा दिया था। लेकिन स्थिति अब पहले से भी बदतर हो गई है। न ड्रेसर है और न ही वार्ड ब्वाय। मरीजों की परेशानी को देखते हुए अब मंत्री सरयू राय हर सप्ताह एमजीएम अस्पताल पहुंचते है और खामियां को दूर करने का प्रयास में जुटे है। फिलहाल व्यवस्था में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।

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एमसीआइ की टीम ने देखी

- सभी डॉक्टर व कर्मचारियों की हाजिरी ली।

- ऑपरेशन थियेटर में हर माह कितने समान्य व गंभीर ऑपरेशन हुए।

- कीचड़ पार कर जाना पड़ा पैथोलॉजी सेंटर।

- मातृ शिशु कल्याण केंद्र में बैठा था कुत्ता, जिसे टीम ने भगाया।

- कॉलेज में टीम के सदस्यों ने लाइब्रेरी, हॉस्टल, पैथोलॉजी, क्लास रूम सहित अन्य विभागों को देखा।

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