एमजीएम आइसीयू की लिफ्ट खराब, कोई सुनने-देखने वाला नहीं
आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है। किसे सुनाया जाए और कौन सुनेगा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है। किसे सुनाया जाए और कौन सुनेगा। तीन महीने से आइसीयू की लिफ्ट खराब है। मरीजों की जान आफत में होती है और इलाज के लिए 'जंग' करनी पड़ रही है। यह सबकुछ वहां हो रहा है जहां पर बड़े-बड़े नेता और आला दर्जे के अफसरों का बसेरा है। बाहर के किए जाने वाले दावे कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) में पहुंचते ही खोखले साबित हो जाते हैं।
अस्पताल की इंसेंटिव केयर यूनिट (आइसीयू) की लिफ्ट खराब होने के मरीज व परिजन की तकलीफ बढ़ जाती है। पहले तल्ले पर बनी आइसीयू तक मरीज को स्ट्रेचर पर सुलाकर सीढ़ी से ले जाना पड़ता है। आफत का पहाड़ तो तब टूट पड़ता है जब मरीज के साथ एक ही तीमारदार होता है। उसे आस-पास के लोगों से घिघियाना पड़ता है।
सोमवार को चाईबासा से गंभीर स्थिति में कोलमनी देवी अस्पताल पहुंची। उसे आइसीयू तक पहुंचाना था। उसके साथ पति और एक महिला थी। दोनों काफी प्रयास किए किंतु स्ट्रेचर पर रखकर कोलमनी को आइसीयू तक नहीं ले जा सके। उनलोगों ने आस-पास के कई लोगों ने गुहार लागाई किंतु सभी अपनी धुन में व्यस्त रहे। किसी ने सहयोग का हाथ नहीं बढ़ाया। अंत में उनलोगों ने वार्ड ब्यॉय सिंहजी से सहयोग की अपील की। सिंहजी पेट दर्द का बहाना बनाकर चल दिए। भला हो उन चार युवकों का दो घंटे बाद किसी मरीज को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे। उन लोगों ने मदद की तो कोलमनी आइसीयू तक पहुंची। यही हाल हुरूलुंग स्थित लुपुंगडीह गांव निवासी टीबी मरीज जितेंद्र सबर रही। उसे भी उन्हीं चार युवकों ने आइसीयू तक पहुंचाया। अस्पताल में यह दृश्य किसी एक दिन का नहीं बल्कि रोजाना नजर आता है।
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लिफ्ट खराब होने की सूचना है। उसे जल्द ही बना लिया जाएगा। मरीजों की मदद नहीं करने वाले वार्ड ब्यॉयों से पूछताछ की जाएगी। उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई होगी।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।