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एमजीएम की बदहाली के लिए प्रबंधन 50.4 फीसद दोषी

मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि महात्मा गांधी मेम

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 02:41 AM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 02:41 AM (IST)
एमजीएम की बदहाली के लिए प्रबंधन 50.4 फीसद दोषी

अमित तिवारी, जमशेदपुर

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मुख्यमंत्री के निरीक्षण के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति अब सुधर जाएगी। निरीक्षण का करीब दो साल बीतने को है लेकिन व्यवस्था जस का तस है।

जागो जमशेदपुर जागो संस्था की ओर से कराए गए सर्वे में इसकी पुष्टि हो रही है। ये सर्वे 25 से 29 मार्च तक किया गया। इसमें कुल 226 लोगों की राय ली गई है। लोगों से सवाल पूछा गया था कि एमजीएम अस्पताल की खराब स्थिति का जिम्मेदार कौन है? इस पर 114 लोगों ने एमजीएम प्रबंधन को दोषी ठहराया है। यानी 50.4 फीसद लोगों व्यवस्था का ठिकरा प्रबंधन पर फोड़ा। इसके साथ ही 112 लोगों ने झारखंड सरकार को जिम्मेदार बताया। यानी 49.6 फीसद अस्पताल की गड़बड़ व्यवस्था के लिए प्रदेश सरका को आड़े हाथों लिया। सर्वे में भाग लेने वाले लोगों के अनुसार, दोनों स्तर पर सुधार की जरूरत है। पूरा अस्पताल अव्यवस्थित ढंग से संचालित हो रहा है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। इलाज तो दूर, पानी व शौचालय के लिए भी मरीजों को भटकना पड़ता है।

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कमीशनखोरी अस्पताल को बना रहा खोखला

अस्पताल में करीब 11 करोड़ की मशीनें जंग खा रहीं हैं। इतना ही नहीं, कई उपकरण तो वर्षो से खराब पड़े हैं। सर्वे में लोगों ने कहा है कि कमीशन के चक्कर में मंहगी-मंहगी मशीनें व उपकरण खरीदे जाते हैं किंतु उसका उपयोग सही तरीके से नहीं होता है। इसमें अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों तक का हस्तक्षेप होता है। उस मशीन को चलाने के लिए हमारे पास टीम है या नहीं? इसपर कभी ध्यान नहीं दिया जाता है। नतीजा होता है कि खरीदीं गईं मशीनों का लाभ मरीजों को नहीं मिल पाता है। जब इन मशीनों के बारे में जब पूछा जाता है तो प्रबंधन का टका सा जवाब होता है कि इन्हें संचालित करने के लिए हमारे पास प्रशिक्षित टीम नहीं है।

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सख्त प्रशासक की जरूरत

सर्वे में लोगों ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल में सख्त प्रशासक की जरूरत है, जो कड़े कदम उठाने में सक्षम हो। सरकार को भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है। सख्त व ईमानदार प्रशासक होने से निचले स्तर के कर्मचारी भी अपना बेहतर योगदान दे सकेंगे। अस्पताल की देखरेख व मरीजों की समस्या को लेकर अलग से एक टीम होनी चाहिए।

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इस पहल से सुधरेगी स्थिति

- चिकित्सक व नर्सो के रिक्त पदों को भरा जाए।

- सबकी जवाबदेही तय हो। अगर मरीज का इलाज नहीं हो रहा है तो इसका कारण स्पष्ट होना चाहिए।

- व्यवस्था पर निगरानी के लिए हॉस्पिटल मैनेजर की नियुक्त हो।

- मरीज के परिजन को उनकी स्थिति से डॉक्टर लगातार अवगत करता रहे जिससे मौत होने के बाद हंगामे की नौबत नहीं आए।

- रविवार को भी वार्ड में डॉक्टरों का राउंड अनिवार्य हो।

- मेडिकल कॉलेज में जो सिस्टम रहता है उसे लागू किया जाए। इसमें चिकित्सकों को एक टीम होती है, जो पूरे प्रक्रिया के तहत काम करती है।

- जरूरत के अनुसार ही मंहगी-मंहगी मशीनें खरीदी जाएं।

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