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गृहस्थी कैसे चलानी चाहिए, भगवान शिव से सीखें

सूर्य मंदिर कमेटी सिदगोड़ा द्वारा श्रीराम मंदिर में राम दरबार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के तहत चल रहे संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ का पूजन किया। वृंदावन से आए कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने स्वर्ग एवं नर्क की सुंदर व्याख्या करते हुए बताया कि मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख हेतु दुराचार पापाचार व्यभिचार भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो उसे नारकीय जीवन यापन करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 07:00 AM (IST)
गृहस्थी कैसे चलानी चाहिए, भगवान शिव से सीखें
गृहस्थी कैसे चलानी चाहिए, भगवान शिव से सीखें

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सूर्य मंदिर कमेटी सिदगोड़ा द्वारा श्रीराम मंदिर में राम दरबार की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के तहत चल रहे संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ का पूजन किया। वृंदावन से आए कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने स्वर्ग एवं नर्क की सुंदर व्याख्या करते हुए बताया कि मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख हेतु दुराचार, पापाचार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो उसे नारकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता है। बार-बार जीवन-मरण की लीला में भटकता रहता है। इस कलियुग में श्रीमद्भागवत एवं श्रीराम चरितमानस रूपी गंगा ही प्राणी को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा का परमात्मा से मिलन करा सकती है।

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उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन कैसा होना चाहिए, पति-पत्‍‌नी के मध्य संबंध कैसे होने चाहिए, यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है। कौन सी बात पत्‍‌नी को बताना चाहिए, कौन सी बातें नहीं बतानी चाहिए, यह भी भगवान शिव बताते हैं। पिता के घर, मित्र के घर, स्वामी के घर व गुरु के घर बिना बुलाए अवश्य जाना चाहिए, परंतु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में अपमानित होने के अलावा कुछ भी नहीं मिलता। पत्‍‌नी यदि किसी विषय पर हठ करे, तो उसे कैसे समझाना चाहिए। यह भी भगवान शिव से सीखना चाहिए। समस्या का समाधान खोजना चाहिए। समस्या चाहे कितनी बड़ी ही क्यों ना हो, मन और बुद्धि को शात रखते हुए, उस पर विचार करने से उसका निराकरण हो जाता है।

उन्होंने कहा कि शरीर का संबंध स्थाई नहीं होता। स्थाई संबंध तो आत्मा का परमात्मा से होता है। इसलिए मनुष्य को अपनी सोच का दायरा बढ़ाना चाहिए, उसे संकुचित नहीं करना चाहिए। मनुष्य को सियाराम में सब जग जानी के सिद्धात पर जीना चाहिए।

ये लोग थे मौजूद

दूसरे दिन रविवार को मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अध्यक्ष संजीव सिंह, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, देवेंद्र सिंह, भरत सिंह, विकास सिंह, गजानंद भालोटिया, कृष्णा भालोटिया, मातु बनर्जी, मिथिलेश सिंह यादव, कमलेश सिंह, खेमलाल चौधरी, सुशात पाडा, कुलवंत सिंह बंटी, प्रोबिर चटर्जी राणा, सतबीर सिंह सोमू समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।


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