Solar eclipse : खंडग्रास सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को, जानिए किस राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव
Solar eclipse. 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र एवं धनु राशि में खंडग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है जो भारत के प्राय अधिकांश भागों में दिखाई देगा। ये रही पूरी जानकारी।
जमशेदपुर, जेएनएन। पौष कृष्ण अमावस्या गुरुवार 26 दिसंबर को मूल नक्षत्र एवं धनु राशि में खंडग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है जो भारत के प्राय: अधिकांश भागों में दिखाई देगा। दक्षिण भारत के कुछ हिस्से में यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण के रूप में दिखेगा। भारतीय मानक समय के अनुसार काशी में ग्रहण गुरुवार को दिन में 8:21 बजे से लगकर दिन में 11:14 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार ग्रहण का स्पर्श दिन में 8:21 बजे, मध्य दिन में 9:40 बजे तथा मोक्ष दिवा 11:14 बजे होगा। यह सूर्यग्रहण भारत के अलावा मध्य पूर्व के देशों, अफ्रीका के उत्तर पूर्वी भाग, एशिया, उत्तर पश्चिमी आस्ट्रेलिया तथा सोलोमान द्वीप समूह में दिखाई पड़ेगा।
सूतक
सूर्यग्रहण का सूतक स्पर्श काल से12 घंटा पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है जो मोक्ष के उपरांत समाप्त होता है। ग्रहण के स्पर्श काल तथा मोक्ष काल में दोनों समय स्नान करना चाहिए। सूतक के समय मंदिर में प्रवेश, भगवान की मूर्ति का स्पर्श, भोजन, यात्रा, सहवास आदि कार्य शास्त्रानुसार वर्जित हैं। बालक, वृद्घ एवं रोगी को शास्त्र में छूट दी गई है। पके हुए अन्न में ग्रहण का सूतक दोष लगता है। भोज्य पदार्थ जैसे दूध, दही, घी आदि में कुश डाल देना चाहिए या पात्र के ऊपर थोड़ा गाय का गोबर चिपका देना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में चाकू, हंसुए, सूई आदि के प्रयोग से बचना चाहिए तथा भगवत भजन करना चाहिए। ग्रहण काल सिद्धिप्रद काल माना गया है। अत: ग्रहण के समय तंत्र मंत्र सिद्धि, दान धर्म, श्राद्धादि कार्य एवं भगवत भजन करना शास्त्रोचित एवं विशेष पुण्यप्रद माना गया है। यह ग्रहण मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नहीं देखना चाहिए।
विभिन्न राशिओं पर फल संभव
- मेष- सम्मान हानि
- वृष- कष्टप्रद
- मिथुन- स्त्रीपीड़ा
- कर्क- सुख समृद्धिप्रद
- सिंह- चिंताप्रद
- कन्या- व्यथाप्रद
- तुला- धन लाभ
- वृश्चिक- हानिप्रद
- धनु- कष्टप्रद
- मकर- हानि
- कुम्भ- लाभप्रद
- मीन- सुखप्रद।
- क्या करें, क्या न करें
- जिन राशियों के लिए ग्रहण का फल प्रतिकूल है उन राशि के लोगों को ग्रहण के दर्शन से परहेज करना चाहिए। ग्रहण के मोक्ष काल के समय पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व शास्त्र में वर्णित है। यदि पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो पवित्र नदियों का स्मरण करके स्नान व दान करने से भी पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
- पं. रमा शंकर तिवारी