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मकर संक्रांति पर लगी श्रद्धा की डुबकी, दिन भर चला दही-चूड़ा का दौर

मकर संक्रांति पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने स्वर्णरेखा और खरकई नदी के दोमुहानी व स्वर्णरेखा घाट सहित तमाम घाटों पर जाकर नदी में श्रद्धा की डुबकी लगाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 07:00 AM (IST)
मकर संक्रांति पर लगी श्रद्धा की डुबकी, दिन भर चला दही-चूड़ा का दौर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मकर संक्रांति पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने स्वर्णरेखा और खरकई नदी के दोमुहानी व स्वर्णरेखा घाट सहित तमाम घाटों पर जाकर नदी में श्रद्धा की डुबकी लगाई। नदी में पवित्र स्नान करने के लिए महिला-पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह-सुबह ही घाटों पर उमड़ने लगी थी। नदी में पवित्र स्नान के बाद लोगों ने पूजा पाठ कर दान-पुण्य भी किया। दान पाने के लिए घाटों पर जाने वाली सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में भिखारी जमा हुए थे।

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स्नान-दान के बाद लोगों ने अपने अपने घरों में दही-चूड़ा, पकौड़ी-बजका के साथ ही तिलकुट व लाई का आनंद लिया। लोगों को अपने घर बुला-बुलाकर दही-चूड़ा खिलाने का दौर शाम तक चला। रात में लोगों ने खिचड़ी, चोखा व भर्ता के साथ ही चटनी का आनंद लिया।

मकर संक्राति भारत के प्रमुख ¨हदू त्योहारों में से एक है। जिसे हर साल जनवरी माह में मनाया जाता है। इस पर्व को पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कोई इसे मकर संक्राति के रूप में मनाता है तो कोई इसे तिल संक्राति और पांगल के नाम से। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। परंपरा के अनुसार यह माना जाता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसके कारण इसे मकर संक्राति कहा जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। साथ ही गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद भी बाटा जाता है। इस त्यौहार का संबंध प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और कृषि से है। प्रकृति के कारक के रूप में इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, जिन्हें शास्त्रों में भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा कहा गया है।

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बिष्टुपुर राम मंदिर में हल्दी-कुमकुम समारोह

पोंगल के पावन अवसर पर आध्रा महिला समिति की ओर से मंगलवार को बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर में हल्दी- कुमकुम समारोह का आयोजन किया गया। इसमें शहर के तमिल परिवार की काफी संख्या में महिलाएं, पुरुष व बच्चे शामिल हुए। समारोह में महिलाओं ने मा लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और एक-दूसरे को हल्दी-कुमकुम व फल भेंट किया। मान्यता है कि इस दिन हल्दी-कुमकुम प्रदान करने से मा लक्ष्मी खुश होती हैं और पति की लंबी उम्र का वरदान मिलता है। समिति की अध्यक्ष वी. सुभद्रा राव ने बताया कि इस दिन बड़ों का आशीर्वाद लेना भी अनिवार्य है। वहीं, जिस महिला को जितना ज्यादा हल्दी-कुमकुम मिलता है, उसके पति की उम्र उतनी लंबी होती है। इसलिए महिलाएं ज्यादा से ज्यादा हल्दी व कुमकुम एक-दूसरे को देती हैं।

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नोकालम्मा मंदिर में मनी मकर संक्राति

बारीडीह स्थित नोकालम्मा मंदिर में सोमवार को मकर संक्राति मनाई, सुहागिनों ने सुख-समृद्धि के लिए एक दूसरे को कुमकुम पूजा की। मा लक्ष्मी को सुहाग की सामग्री भेंट कर सद सुहागिनी रहने की कामना की पूजा के अंत में महिलाओं ने एक दूसरे को कुमकुम हल्दी लगा कर आशीर्वाद दिया। वहीं शाम को मंदिर दीप प्रज्ज्वलित कर महाआरती की गई।

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प्रशासनिक पदाधिकारियों ने लिया पर्व का आनंद

कार्य दिवस होने के बावजूद प्रशासनिक पदाधिकारियों ने भी मकर संक्रांति पर्व का आनंद लिया। एडीएम लॉ एंड आर्डर सुबोध कुमार व अपर उपायुक्त सौरव कुमार सिन्हा ने बताया कि परंपरा के अनुसार सुबह स्नान के बाद दान-पुण्य किया। इसके बाद तिलकुट, तिल के लड्डू और चूड़ा-दही का आनंद लिया। रात में खिचड़ी व दालभरी पीठा का स्वाद लिया।


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