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झारखंड में भी पसरा चमकी बुखार का खौफ, अलर्ट के बाद मास फीवर सर्वे शुरू Jamshedpur News

बिहार में चमकी बुखार का खौफ झारखंड में भी पसर गया है। अलर्ट के बाद मास फीवर सर्वे की शुरुअात की गई है। सर्वे में तीन सौ स्वास्थ्य कर्मचारी लगाए गए हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 01:45 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 01:45 PM (IST)
झारखंड में भी पसरा चमकी बुखार का खौफ, अलर्ट के बाद मास फीवर सर्वे शुरू Jamshedpur News

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। बिहार के मुजफ्फरपुर में फैले चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को लेकर झारखंड सरकार भी अलर्ट हो गई है। राज्यभर में अगले तीन दिनों तक मास फीवर सर्वे कराया जा रहा है। इसकी शुरूआत गुरुवार को हुई।

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इसके तहत प्रदेश के 89 मलेरिया प्रभावित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को चिन्हित किया गया है। इसमें पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी व डुमरिया सीएचसी शामिल है। पहले दिन मुसाबनी में 396 व डुमरिया में 389 लोगों की जांच की गई। इसमें मुसाबनी में 19 व डुमरिया में 27 ब्रेन मलेरिया के मरीज पाए गए। वहीं डुमरिया में एक मरीज ऐसा भी मिला जिसे मलेरिया के साथ-साथ ब्रेन मलेरिया भी है। वहीं चमकी बुखार के एक भी मरीज नहीं मिले। सभी ब्रेन मलेरिया मरीजों को इलाज के लिए सीएचसी भेजा गया।

तीन सौ स्वास्थ्य कर्मी लगाए गए

इस सर्वे में पूर्वी सिंहभूम जिले के करीब तीन सौ स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगाया गया है। शुक्रवार व शनिवार को भी यह सर्वे किया जाएगा। इधर, पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन डेंगू व एक चिकुनगुनिया के मरीज भी मिल चुके है। इसे लेकर भी अलर्ट जारी किया गया है। इन सारे बीमारियों से निपटने के लिए सरकारी अस्पतालों में कोई इंतजाम नहीं है। अबतक आइसोलेशन वार्ड भी नहीं बन सका है। 

दो साल बाद भी नहीं खुल सका बच्चों का एनआईसीयू

जुलाई 2017 में महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बड़े पैमाने पर बच्चों की मौत हुई थी। इस मामले को केंद्र सरकार से लेकर हाईकोर्ट व राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया था। उसी दौरान 20 बेड का न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) व पीआइसीयू पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) खोलने का निर्णय लिया गया था। लेकिन करीब दो साल बीतने को है लेकिन धरातल पर अबतक नहीं उतर सका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों की जान कैसे बचेगी। फिलहाल एमजीएम के एनआइसीयू में जगह नहीं है। एक-एक वार्मर पर तीन से चार बच्चे भर्ती है। कुल छह वार्मर पर 23 बच्चे भर्ती है। जबकि नियमत एक वार्मर पर एक ही बच्चे को भर्ती किया जा सकता है। 

राम भरोसे चल रहा मेडिसीन आइसीयू

एमजीएम अस्पताल के मेडिसीन इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) राम भरोसे चल रहा है। गर्मी में यहां के आइसीयू उबल रहा है। आधे से अधिक एयर कंडीशन (एसी) खराब हो गए हैं। 560 बेड वाले अस्पताल में 5-5 बेड का आइसीयू-सीसीयू है। यहां पर कुल 11 एसी लगे हुए है जिसमें आठ खराब पड़ा हुआ है। वहीं छह मरीज भर्ती है। कर्मचारियों का कहना है कि आइसीयू अव्यवस्थित ढंग से बनाया गया है। हेल्थ मॉनिटर मशीन कब मरीज के शरीर पर आ गिरे, यह किसी को नहीं पता। विभाग में मॉनिटर व ऑक्सीजन पाइप आदि को मरीजों के बेड के ठीक ऊपर ही लगा दिया गया है। वहीं दिनभर में सिर्फ एक बार ही डॉक्टर राउंड पर आते है। जबकि एक डॉक्टर व दो नर्सों की 24 घंटे ड्यूटी होनी चाहिए।

ये कहते जिला मलेरिया पदाधिकारी

विभाग के निर्देश पर मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में सभी प्रकार के बुखारों की जांच करायी जा रही है। इसमें चमकी बुखार भी शामिल है। इस दौरान घर-घर जाकर सहिया, एमपीडब्लू व स्वास्थ्य कर्मचारी लोगों की जांच कर रहे है। दूसरे प्रखंड़ों से भी कर्मचारियों को बुलाया गया है। सर्वे में करीब तीन सौ कर्मचारियों को लगाया गया है।

- डॉ. एके लाल, जिला मलेरिया पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम

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