प्रबंधन 14 प्रतिशत एमजीबी देने को तैयार
टाटा स्टील प्रबंधन इस बार मिनिमम गारेंटेड बेनीफिट (एमजीबी) के तहत कर्मचारियों को उनके बेसिक व डीए का 14 प्रतिशत देने को तैयार है। जबकि पीएन सिंह के कार्यकाल में कर्मचारियों को 18.25 प्रतिशत एमजीबी मिला था।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : टाटा स्टील प्रबंधन इस बार मिनिमम गारेंटेड बेनीफिट (एमजीबी) के तहत कर्मचारियों को उनके बेसिक व डीए का 14 प्रतिशत देने को तैयार है। जबकि पीएन सिंह के कार्यकाल में कर्मचारियों को 18.25 प्रतिशत एमजीबी मिला था। कंपनी प्रबंधन कई तर्को के साथ इससे आगे बढ़ने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में टाटा वर्कर्स यूनियन नेताओं के होश उडे़ हुए हैं।
टाटा स्टील में जनवरी 2018 से कर्मचारियों का ग्रेड रिवीजन लंबित है। पिछले दिनों कंपनी प्रबंधन और यूनियन नेतृत्व के बीच दसवें दौर की वार्ता हुई। इस वार्ता में कंपनी प्रबंधन ने फिर वहीं पुराना तर्क दिया कि पिछले ग्रेड रिवीजन के बाद से कर्मचारियों को वार्षिक इंक्रीमेंट, री-ऑर्गेनाइजेशन (आरओ) बेनीफिट, वर्ल्ड क्लास मेंटेनेंस बेनीफिट (डब्ल्यूसीएम) सहित अन्य मदों से कर्मचारियों के बेसिक में लगभग दस प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है जबकि प्रबंधन का मुनाफा उसके अनुपात में काफी कम बढ़ा है। भविष्य में कंपनी प्रबंधन के समक्ष माइंस का संकट भी आने वाला है इसलिए सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए यूनियन नेतृत्व को कंपनी की सस्टेनेबिलिटी को भी ध्यान में रखना चाहिए। तभी कंपनी और कर्मचारी दोनो चल सकेंगे। इन तर्को का यूनियन नेतृत्व के पास कोई जवाब नहीं है। यूनियन नेतृत्व का इतना कहना है कि पिछली बार जितना एमजीबी मिला था, इस बार भी कम से कम उतना ही दे दिया जाए। जबकि कर्मचारी पिछली बार की तुलना में इस बार बढ़ती महंगाई, बेहतर जीवन स्तर और सुरक्षित भविष्य के लिए 20 प्रतिशत एमजीबी की मांग कर रहे हैं। हालांकि यूनियन नेतृत्व ने इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर रही है।