पाकिस्तान के चार टुकड़े करने को तैयार रहे नई पीढ़ी
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मैं सेना में 14 नवंबर 1971 को पासआउट हुआ और सर्विस की पहली
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
मैं सेना में 14 नवंबर 1971 को पासआउट हुआ और सर्विस की पहली रात युद्ध में था। नंगी संगीन वाली राइफल और स्टील का हेलमेट लगाकर सिलीगुड़ी स्टेशन पर उतरा था, जहां से हम ढाका की ओर बढ़े। नौकरी की पहली रात ही हमारे कितने ही साथी शहीद हो गए, लेकिन हमें फख्र है कि हमारी पीढ़ी ने 14 दिन में ही पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए।
ये बातें मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. गगनदीप बख्शी ने रविवार को बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन में कहीं। सिंहभूम जिला ¨हदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित विचार साधना सत्र 'भारतीय राष्ट्रवाद : चुनौतियां व समाधान' में बख्शी ने कहा कि हमारी पीढ़ी ने एक नजीर पेश की है, अब नई पीढ़ी पाकिस्तान के चार टुकड़े (सिंध, पंजाब, बलोच व पख्तून) करने के लिए खुद को तैयार करे। पाकिस्तान ने हमसे चार बार (1947,48,65 व 71) सीधी लड़ाई की और चारों में बुरी तरह हारा। इसके बाद उसने अप्रत्यक्ष युद्ध शुरू किया। पहले पंजाब में 21,000 भारतीय मारे गए, फिर कश्मीर में 45,000 शहीद हुए। 1993 से उसने शहरों में बम फोड़ना शुरू किया, जिसमें अब तक 80,000 लोग मारे जा चुके हैं। इसके बाद भी वह 'पीस टॉक' की बात करके हमें चिढ़ाता है। यदि हम भी यही उम्मीद करते हैं कि ऐसे देश से बात करके कोई शांति होगी, तो यह पागलपन की निशानी है। हम (सैनिक) दिल्ली में बैठे लोगों से कहते हैं, आप आदेश दीजिए, हम तैयार हैं। पाकिस्तान को साफ कर देंगे।
इससे पहले मेजर बख्शी ने कहा कि हमारा इतिहास वह नहीं है, जो अंग्रेजों (मैकाले, मैक्समुलर आदि) ने लिखा है। भारत का अस्तित्व 8000 साल से है। मुगलों-अंग्रेजों से पहले यहां चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक भी थे, जिन पर हमें गर्व है। अंग्रेजों ने हमें 1857 से ही जात-धर्म में बांटना शुरू कर दिया था। चमड़े के खोल में कारतूस देकर सैनिकों को भड़काया था। उस समय 80,000 सैनिकों ने विद्रोह किया था, लेकिन अलग-अलग स्थानों पर। यदि ये एक साथ मिलकर विद्रोह करते तो अंग्रेज उसी समय साफ हो गए होते। इसके बाद जॉन रिले ने भारत में पहली बार जाति आधारित जनगणना शुरू कराई थी, जिसकी आग में हम आज भी जल रहे हैं। अंग्रेजों ने देश की सत्ता भी उन्हें सौंपी, जो उनकी परंपरा को जारी रखा। आज भी देश के राजनीतिज्ञों ने जाति (कास्ट) को जिंदा रखा है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे खत्म करने की काफी कोशिश की थी। यदि नेताजी को सत्ता मिलती तो आज देश का रूप दूसरा होता। उनकी आजाद ¨हद फौज में सभी भारतीय थे। अंग्रेजों ने हमें ऐसा तोड़ा कि आजादी के 70 साल बाद भी हम भारतीय नहीं बन वाए।
सिखों से सीखें : मेजर बख्शी ने कहा कि हम भारतीयों को सिखों से सीखना चाहिए, जिनके गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि उनके कौम में सभी शेर हैं। सभी का टाइटल सिंह रखा, क्योंकि वे जानते थे कि अंग्रेज हमें भी जात-पात में बांटकर कमजोर करने की कोशिश करेंगे। फौज में भी कोई जाति नहीं होती, सभी भारतीय होते हैं।
ये रहे मंचस्थ : सांसद विद्युत वरण महतो, मुरलीधर केडिया, अरुण तिवारी, रामनंदन प्रसाद, सरदार इंद्रजीत सिंह व प्रसेनजीत तिवारी।
इन्होने किया अभिनंदन : तुलसी भवन में मेजर जनरल डॉ. जीडी बख्शी का अभिनंदन करने वालों में एसिया, विहिप, ¨हदू जागरण मंच, नमन, क्रीड़ा भारती, स्वदेशी जागरण मंच, भोजपुरी साहित्य परिषद, पूर्व सैनिक सेवा परिषद, डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान, बजरंग सेवा संस्थान, अभाविप, बंगबंधु, ¨हद बलोच फोरम आदि संस्थाएं शामिल थीं।
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