यहां बही बदलाव की बयार : माटी के सेहतमंद होते ही चहक उठे खेत-खलिहान Saraikela News
मिट्टी जांच अभियान के बाद जब पता चला कि माटी बेजान हो रही है तो उन्होंने खाद का इस्तेमाल कम कर दिया। अब माटी के सेहतमंद होने से खेत-खलिहान चहक रहे हैं।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 01:29 PM (IST)
सरायकेला , प्रमोद सिंह। यूं तो माटी से हर किसी का रिश्ता है, पर पेशे से यदि आप किसान हैं तो रिश्ता और खास हो जाता है। माटी है तो खेत है और खेत है तो किसान है। माटी खराब हो जाए तो खेत बंजर बन जाते हैं। फिर किसान की हसीन दुनिया भी उजड़ जाती है।
कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला-खरसावां जिले की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है। पैदावार बढ़ाने के लिए यहां के किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन, एक वर्ष पूर्व मिट्टी जांच अभियान के बाद जब उन्हें पता चला कि माटी बेजान हो रही है तो उन्होंने खाद का इस्तेमाल कम कर दिया। अब माटी के सेहतमंद होने से खेत-खलिहान चहक रहे हैं।
मिट्टी जांच रिपोर्ट के आधार पर माही ने शुरू की खेती तो बढ़ गई उपज
सरायकेला खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के गम्हरिया गांव की माही मुर्मू प्रगतिशील महिला किसान के रूप में उभर चुकी हैं। माही मुर्मू ने राजनगर प्रखंड कृषि तकनीकी एवं सूचना केंद्र तथा सिंगल विंडो सेंटर से संपर्क में रहकर कृषि की बारीकियों को सीखा। आज प्रगतिशील महिला कृषक के रूप में लाखों रुपये कमा रही हैं। माही के खेत की माटी सेहतमंद है। फसल लहलहा रही है। आज आसपास की महिला कृषकों के लिए वह प्रेरणास्नोत बन चुकी हैं।
सिंगल विंडो सेंटर में कराई थी मिट्टी की जांच
आदिवासी समाज से आनेवाली माही मुर्मू ने वर्ष 2018 से खेती की शुरुआत की थी। उन्होंने सिंगल विंडो सेंटर राजनगर से मिट्टी की जांच कराई। उन्होंने यह पाया कि मिट्टी अम्लीय है। सेंटर से परामर्श लेकर उन्होंने मिट्टी में चूना व जिंक डाला। इसके बाद मिट्टी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही उन्होंने खेती की। उन्होंने तीन एकड़ में टमाटर, भिंडी, बैगन और गोभी की खेती की। गत वर्ष टाइटुन किस्म के टमाटर के एक हजार पौधे लगाए थे। जिसमें प्रति पौधा सात किलो टमाटर की पैदावार हुई थी। इसबार देसी किस्म जेके के पांच सौ टमाटर के पौधे लगाकर खेती कर रही हैं। इसके अलावा बैगन व गोभी की भी खेती की है।
माही अब खुद करती मिट्टी की जांच
माही मुर्मू कहती हैं कि सिंगल विंडो सेंटर के समन्वयक राजकमल यादव और कृषि तकनीकी सूचना केंद्र के अमिताभ मांझी ने खेती के प्रति प्रोत्साहित किया। उन्होंने कृषि की बारीकियों से अवगत कराया। उनके मार्गदर्शन में खेती से आज वह सालाना डेढ़ लाख रुपये तक कमा लेती हैं। वह कहती हैं कि अब मैं प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद ही मिट्टी की जांच करती हूं। रोग से बचाव के लिए खेत में जीवा अमृत का छिड़काव करती हैं। यही नहीं अब वह जैविक खेती की ओर कदम बढ़ चुकी हैं। दूसरे किसानों को भी समय-समय पर खेत की मिट्टी की जांच कराने और जैविक खेती करने की सलाह देती हैं।
मिट्टी हुई स्वस्थ तो नीलकमल भी सालाना कमाने लगे एक लाख
राजनगर प्रखंड के नेटो गांव के किसान मित्र नीलकमल महतो।
राजनगर प्रखंड के नेटो गांव के किसान मित्र नीलकमल महतो भी खेती से सालाना एक लाख रुपये से ऊपर कमा रहे हैं। इन्होंने भी राजनगर प्रखंड कृषि तकनीकी एवं सूचना केंद्र एवं किसान सिंगल विंडो से परामर्श लेकर अपनी खेती को फायदे का सौदा साबित किया है। नीलकमल ने वर्तमान में एक एकड़ में आलू, प्याज और बैंगन की खेती की है। नीलकमल कहते हैं कि किसान सिंगल विंडो सेंटर में उन्होंने खेत की मिट्टी की जांच कराई। पाया कि मिट्टी में अम्लीय मात्र ज्यादा है। केंद्र की ओर से सलाह दी गई कि चूना और जिंक का छिड़काव करने के बाद ही खेती करें। उन्होंने ऐसा ही किया और बंपर पैदावार हुई।
धीरे-धीरे बढ़ा रहे जैविक खाद का इस्तेमाल
वह अब बेहद कम कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। धीरे-धीरे खेत में जैविक खाद का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं। उन्हें आशा है कि आनेवाले दिनों में खेत की माटी की सेहत पूरी तरह सुधर जाएगी। उत्पादन और बढ़ेगा। केंद्र की मदद से उन्होंने पम्पसेट और मनरेगा की मदद से कुआं का भी निर्माण कराया है। उन्हें सिंचाई में अब दिक्कत नहीं होती है।
राजनगर प्रखंड में 1818 किसानों ने कराई है मिट्टी जांच
इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्री बिजनेस प्रोफेशनल न्यू दिल्ली द्वारा संचालित किसान सिंगल विंडो सेंटर राजनगर के ब्लॉक समन्वयक व मिट्टी के डॉक्टर राजकमल यादव कहते हैं कि विगत तीन वषों में प्रखंड क्षेत्र के 1818 किसानों ने मिट्टी की जांच कराई है। इनमें से 1060 किसान मृदा रिपोर्ट कार्ड प्राप्त कर चुके हैं। इस क्षेत्र में अधिकतर किसानों के खेत की मिट्टी अम्लीय है। इसका पीएच पांच से छह के बीच पाया गया है। ऐसे किसानों से खेत में चूना का इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है। क्षेत्र में काफी हद तक किसान अब मिट्टी जांच के बाद ही खेती करना पसंद कर रहे हैं। किसानों में पहले की अपेक्षा जागरुकता आई है।
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