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मुस्तफा के दिल का पारा सैयदा

बला के शहीदों का दो महीना आठ दिन गम मनाने के बाद शिया मु

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 09:06 PM (IST)
मुस्तफा के दिल का पारा सैयदा
मुस्तफा के दिल का पारा सैयदा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कर्बला के शहीदों का दो महीना आठ दिन गम मनाने के बाद शिया मुसलमानों ने नौ रबीउल अव्वल को खुशी का इजहार किया। लाल-पीले कपड़े पहने गए और घरों में अच्छे पकवान बने। शिया जामा मस्जिद में लाइटिंग की गई। ईद-ए-जहरा मनाई गई और मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबूतालिब अ. में महफिल हुई।

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महफिल में जीशान ने पढ़ा- मुस्तफा के दिल का पारा सैयदा, रश्क-ए-महफिल नाजे सारा सैयदा। इनाम अब्बास ने पढ़ा- इलाज उनका नहीं है कहीं जमाने में, झुलस गए हैं जो जहरा का घर जलाने में। इसीलिए तो मुसलसल शराब पीता था, यजीद पैदा हुआ था शराबखाने में। रेहान ने पढ़ा- यजीद तेरा खजाना जो हो गया खाली, वो हमने लानतें भर दीं तेरे खजाने में। इफ्तेखार अली ने पढ़ा- हर दुश्मने बुतूल का शर पे है खातमा, उसके नसीब में है सरे हश्र हातमा, महशर तलक उसी की भटकती है आतमा, जिस जिस पे जिस पे होती है नाराज फातमा। जिस जिस्म पर अदावत-ए-जहरा की खाक है, बस वो शहीद भी हो तो समझो हलाक है। इसके बाद मौलाना मोहम्मद हसन ने पढ़ा कि ईद-ए-जहरा को ईद-ए-शुजा भी कहते हैं। इस दिन अमीर मुख्तार ने इमाम हुसैन के कातिलों को पकड़ कर सजा दी थी। इस पर चौथे इमाम हजरत जैनुल आबेदीन मुस्कुराए थे। इमाम हुसैन अ. की मां जनाब फातमा जहरा भी खुश हुई थीं। इसी वजह से ईद मनाई जाती है।

17 रबीउल अव्वल को ईद मिलादुन्नबी : शिया समुदाय 17 रबीउल अव्वल को रसूल-ए-अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. के जन्म दिन के हवाले से जश्न मनाता है। मस्जिद कमेटी के राशिद रिजवी ने बताया कि इस दिन मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबूतालिब अ. में महफिल का आयोजन होगा।


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