महाशिवरात्रि पर शिव योग एवं श्रवण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग, इस अवधि में ही करें व्रत
इस बार महाशिवरात्रि पर शिवजी के प्रिय वार सोमवार शिव योग एवं श्रवण नक्ष। का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसलिए यह विशेष पुण्यदायी होगा।
जमशेदपुर, जेएनएन। इस बार महाशिवरात्रि पर शिवजी के प्रिय वार सोमवार, शिव योग एवं श्रवण नक्ष। का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसलिए यह विशेष पुण्यदायी होगा। महाशिवरात्रि का अत्यंत पवित्र व पुण्यप्रद व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोले शंकर हैं।
ईशान संहिता के अनुसार शिवलिंगतयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:। अर्थात फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि की निशीथ काल में ज्योर्तिलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिए इस दिन महाशिवरात्रि का पुण्यकारी व्रत व पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि में निशीथ व्यापिनी चतुर्दशी तिथि ही ग्राह्य है। इस बार चार मार्च सोमवार को त्रयोदशी तिथि दिन में 12:07 बजे तक रहेगी, तदुपरांत चतुर्दशी तिथि लग जाएगी जो दूसरे दिन मंगलवार पांच मार्च को अपराह्नï 2:44 बजे ही समाप्त हो जाएगी। इस प्रकार निशीथ काल में व्याप्त चतुर्दशी सोमवार चार मार्च को ही मिल रही है। अत: महाशिवरात्रि का अति पावन व पुण्यकारी व्रत सोमवार चार मार्च को ही करना शास्त्रसम्मत है।
चतुर्थी तिथि के अंत में ही करें पारण
शास्त्रीय मान्यता से शिवरात्रि व्रत का पारण चतुर्दशी तिथि के अन्त में ही कर लेना चाहिए। अत: व्रत का पारण पांच मार्च मंगलवार को प्रात: सूर्योदय के उपरांत कर लेना श्रेयस्कर रहेगा। इस बार की महाशिवरात्रि में शिवजी के प्रिय वार सोमवार, शिव योग एवं श्रवण नक्षत्र का दुर्लभ संयोग मिल रहा है, जो भक्तों व व्रतियों के लिए अत्यंत पुण्यप्रदायक व मनोरथ सिद्धिप्रद है। महाशिवरात्रि के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत पवित्र मन से चंदन व रुद्राक्ष की माला धारण कर श्रद्धा भक्ति सहित विधिवतï यथासंभव भगवान भोले शंकर का ध्यान व पूजन करना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप
पंडित रमाशंकर तिवारी बताते हैं कि इस दिन शिव पंचाक्षर मंत्र।। ओम नम: शिवाय।। का जप एवं शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करना विशेष पुण्यप्रद रहेगा। महिलाओं के लिए पंचाक्षर मंत्र।। शिवाय नम:।। का जप श्रेयस्कर रहेगा।