बाहा, सडपा और मनभऊ छऊ से सजी लौहनगरी की शाम Jamshedpur News
जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान में झारखंड की लोक जनजातीय कला की मिठास घुली।बाहा सडपा और मनभऊ छऊ ने लोगों का दिल जीत लिया।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड सरकार के सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद व युवा कार्य विभाग व कला मंदिर जमशेदपुर के प्रयास से बुधवार को जनजातीय नृत्य समारोह का आयोजन हुआ। बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान में झारखंड की लोक जनजातीय कला की मिठास घुली।
जहां धालभूमगढ़ की कल्पना टुडू व उनकी टीम ने बाहा लोकनृत्य, ईचागढ़ के नटराज कला केंद्र के कलाकारों ने पाइका नृत्य, धालभूमगढ़ की डुमनी मार्डी व उनकी टीम ने सडपा नृत्य व ईचागढ़ के प्रभात कुमार महतो व उनकी टीम ने मानभूम छऊ नृत्य की विभिन्न शैलियों के दर्शन कराए। लयबद्ध संगीत और एक साथ कदमताल करते हुए कलाकारों ने झारखंड की जनजातीय कला और संस्कृति से लौहनगरवासियों का परिचय कराया। इस दौरान छऊ नृत्य के कलाकारों ने विभिन्न मुद्रा प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी।
झारखंड की है सशक्त सांस्कृतिक विरासत : उपायुक्त
इससे पहले पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि झारखंड के पास अपनी बहुत ही सशक्त सांस्कृतिक विरासत है। हमारे पास हर मौसम, पर्व और संस्कारों के लिए भी गीत-संगीत व नृत्य है। इसके कारण झारखंड का वातावरण सालों भर उल्लासमय बना रहता है। सरकार का सदा प्रयास रहता है कि आदिम जनजातियों की विरासत, जो उनकी पहचान भी है, सदा बनी रहे। कलाकारों को उचित अवसर व मंच मिले। उनका आर्थिक विकास हो, उनकी कला को मान्यता मिले। उन्होंने इसके लिए कला मंदिर के प्रयासों को भी सराहा। जिसके प्रयास से कलाकारों को समय-समय पर उचित मंच दिया जा रहा है। संथाली कला संस्कृति है काफी जीवंत अपने संबोधन में कला मंदिर के उपाध्यक्ष अमिताभ घोष ने कहा कि संथाली कला संस्कृति के नृत्य काफी जीवंत है। यह राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकते हैं।