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मां दे दो मेरी लोहड़ी, तेरा मुंडा चढ़ लिया घोड़ी Jamshedpur News

सोमवार को लोहड़ी त्योहार की धूम शहर के सिख व पंजाबी समाज के आंगन में होगी। बाजार में सिख समाज के लोगों ने चूड़ा रेवड़ी बादाम गुड़ तिलकुट आदि की खरीदारी की।

By Edited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 01:00 PM (IST)
मां दे दो मेरी लोहड़ी, तेरा मुंडा चढ़ लिया घोड़ी Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। लोहड़ी माई लोहड़ी, मुंडा चढ़या घोड़ी..(यानी दे दो मां मेरी लोहड़ी, तेरे बेटा घोड़ी चढ़कर शादी कर लिया है)। दे माई लोहड़ी, जिवें तेरी जोड़ी..। आदि गीतों से सोमवार को लोहड़ी त्योहार की धूम शहर के सिख व पंजाबी समाज के आंगन में होगी।

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लोहड़ी को लेकर रविवार को बाजार में सिख समाज के लोगों ने चूड़ा, रेवड़ी, बादाम, गुड़, तिलकुट आदि की खरीदारी की। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष तिलकुट, रेवड़ी की कीमतों में प्रतिकिलो 20 से 30 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है। लोहड़ी विशेषकर हरियाणा व पंजाब में बनाया जाता है।

अब जमशेदपुर भी इसमें पीछे नहीं है। अपने शहर में तो बेटियों के जन्म होने की खुशी में भी लोहड़ी के आयोजन होने लगे हैं। नई फसल की खुशी में लोहड़ी पर्व आयोजन किया जाता है। गुरुद्वारा में मत्था टेकने की है परंपरा सोमवार की सुबह स्नान के पश्चात संगत गुरुद्वारा में मत्था टेकने जाएगी। गुरुद्वारा से लौटने के बाद बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेने की परंपरा है। लोहड़ी को लेकर एक दिन पहले शाम में व्यंजन बना कर रख दिए जाते हैं और दूसरे दिन सुबह उसका सेवन किया जाता है।

इन खुशियों में मनाई जाती है लोहड़ी

सिख परिवारों के जिन घरों में शादी होती है, बेटा होता है और अब बेटी होने पर भी लोग लोहड़ी मनाने लगे हैं। शाम के वक्त पाथी (उपले) में आग लगाई जाती है। उस आग में तिल, मकई, मूंगफली, रेवड़ी डालकर पहले रब का नाम लने के बाद उसके चारों ओर घूम घूम कर भांगड़ा व गिद्दे की थाप पर युवतियां, महिलाएं पुरुष व बच्चे थिरकते हैं।

ये तब तक भांगड़ा करते हैं जब तक वे थक नहीं जाते। भांगड़ा के दौरान कई युवतियां व युवक द्वारा बोलियां गा-गा कर खूब झूमते हैं। बच्चे व युवा निकलते लोहड़ी मांगने लोहड़ी पर्व को लेकर सोमवार की सुबह से शाम तक बच्चे, महिलाएं व युवक एक ग्रुप में सिखों के घर में जाकर लोहड़ी मांगेंगे। लोहड़ी मांगने के दौरान यह ग्रुप द्वारा गीत गाए जाते हैं। फिर घर से गृहणियां निकलती है और लोहड़ी मांगने वाले ग्रुप को रुपये व मूंगफली, तिलकुट, मकई सहित खाद्य सामग्री देकर विदाई करती हैं। इन व्यंजनों का उठाते हैं लुत्फ दही चूड़ा, गन्ने का रस, सरसों का साग, गुड़ की खीर, खिचड़ी आदि सुबह खाते हैं।

इन गीतों से बस्ती में रहती धूम

सानू दे लोहड़ी, तेरी जीवें जोड़ी...। दे माई पाथी, तेरा मुंडा चढि़या हाथी...। हाथी हेठ कटोरा, तेरा पुत जमुंगा गोरा...। गोरे ने खादी टिक्की, तेरे पुत-पोतरे इक्की...।

अब बेटियों के जन्म पर भी समाज लोहड़ी की खुशियां मांगने लगा है। इससे समाज में बेटे और बेटी को एक समान देखा जाने लगा है। शैलेंद्र सिंह, प्रधान, झारखंड गुरुद्वारा कमेटी

पंजाब की तरह अब शहर में भी लोहड़ी के आयोजन होने लगे हैं। लोहड़ी खुशी का त्योहार है। जिसे समाज के लोग मिलजुल कर मनाते हैं। हरविंदर सिंह मंटू साकची गुरुद्वारा प्रधान

लोहड़ी के चार-पांच दिनों पहले से ही बस्ती के बच्चे घर-घर जाकर पाथी व लकड़ियां इकट्ठे करने लगे हैं। जिससे लोहड़ी के दिन उनकी धूम रहे। सतवीर सिंह सूमो 

 लोहड़ी वर्ष का पहला पर्व होता है। इसे धूमधाम से मनाने के लिए समाज के लोगों द्वारा एक सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। तरनप्रीत सिंह बन्नी


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