Weekly News Roundup Jamshedpur : हरियाणा ब्रांड पर झूम रहे शराबी, शपथ से सुधर रहे थानेदार; पढ़िए पुलिस महकमे की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur. सुबह-शाम शराब की तलाश में लगे रहते हैं। कहीं कोई जुगाड़ बैठ जाए। थोड़ी ही मिल जाएं। ब्रांडेड नहीं हो तो भी चलेगी।
जमशेदपुर, अन्वेष अंबष्ठ। Weekly News Roundup Jamshedpur 21 दिनों का लॉकडाउन है। शराब की दुकानें बंद हैं। लत वाले परेशान हैं। घर में रहने को तैयार हैं, पर शराब जरूर चाहिए। सुबह-शाम शराब की तलाश में लगे रहते हैं। कहीं कोई जुगाड़ बैठ जाए। थोड़ी ही मिल जाएं। ब्रांडेड नहीं हो तो भी चलेगी।
ऐसे लोग बस्ती इलाके में मंडराते नजर आ रहे हैं। बस एक ही तलाश है, कहीं मिल जाए। बात नहीं बनी तो झुंझलाते हुए गली में पहुंच जाते हैं। पता लगाने लगते हैं कि शराब कहां मिलेगी। दोगुनी कीमत देने से भी परहेज नहीं। जब तक मिल नहीं जाती, शांति से नहीं बैठते। मिलने पर भाग्यशाली समझते हैं। शराब नकली या असली, यह मायने नहीं रखता। सरकाारी दुकान से हर दिन 90 लाख रुपये की शराब बिकती है। आठ दिन में 7.20 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री दुकान से होती है। अब घर और मोहल्ले में ही हरियाणा का माल उपलब्ध है।
शपथ से सुधर रहे थानेदार
पुलिस की सख्ती के बावजदू कुछ लोग घरों में रहने को तैयार नहीं। दोपहिया और कार की सवारी कर रहे हैं। पकड़े जाने पर गिड़गिड़ा रहे हैं। बहाने बना रहे। माफी मांग रहे हैं। उठा-बैठक कर रहे हैं। थानों में बैठाएं जा रहे हैं। सुबह-शाम यही चल रहा। लोगों की भीड़ लग रही। गणमान्य व पढ़े-लिखे लोगों ने लॉकडाउन को शौकिया बना लिया है। कार पर सवार होकर शहर का नजारा देखने निकल जाते हैं। रफ ड्राइ¨वग करते हैं। ऐसे लोगों के लिए बहरागोड़ा थानदेार चंद्रशेखर कुमर ने अनोखा तरीका अपनाया है। उल्लघंन के आरोप में पकड़े जा रहे लोगों को थाने में लाते हैं। शारीरिक दूरी बनाते हुए कतार में खड़ा करते हैं। पर्चे का वितरण करते हैं। जिसमें कोरोना से बचाव के सभी उपाय लिखे होते हैं। उसे पढ़कर शपथ लेने की सलाह देते हैं। फिर यह कहते हुए विदा करते हैं कि दूसरों को भी शपथ दिलाएं।
इन ग्रामीणों से सीखें लॉकडाउन
शहर से सटे ग्रामीण इलाके के ग्रामीणों ने कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए गांव को लॉक कर दिया है। गांव से किसी को बाहर जाने की इजाजत नहीं है। बाहरी भी गांव में नहीं घुस सकते। सभी प्रवेश द्वार बंद है। कड़ाई से इसका पालन किया जा रहा है। गांव के प्रवेश द्वार पर पहरेदारी की जा रही। शहर से कहीं अधिक ग्रामीण शारीरिक दूरी का पालन कर रहे। बागबेड़ा, सुंदरनगर, एमजीएम, पटमदा, परसुडीह के कई ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों ने खुद को कैद कर लिया है। किसी से किसी को मतलब नहीं। बैरियर लगाकर पोस्टर चस्पा रखा है। गांव आना मना है। यहां महिलाएं मुस्तैद नजर आती हैं। बेहद आवश्यक होने पर ही बाहर निकलने की इजाजत है। रोज कमाने-खाने वाले लोग रहते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं। जो बाहरी देखे जा रहे, सूचना ग्राम प्रधान के माध्यम से पुलिस व प्रशासन तक पहुंचाई जा रही।
सूचना तंत्र को मजबूत बनाइए
इतनी बड़ी संख्या में विदेशी और बाहरी पूर्वी सिंहभूम, रांची समेत कई इलाकों में रह रहे थे। घूम रहे थे। सुदूर इलाकों में आना-जाना कर रहे थे। गली-मोहल्लों में उनका मिलना-जुलना जारी था। धाíमक स्थलों में ठहर रहे थे। इन पर किसी की नजर नहीं पड़ी। भनक तक नहीं मिली। थाने से लेकर खुफिया तंत्र तक खामोश रहा। जब निजामुद्दीन प्रकरण सामने आया तो पुलिस सक्रिय हुई। पूछताछ होने लगी तो नई-नई जानकारियां मिलने लगीं। सो, पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई तेज हुई। अब सब रेस हैं। खुफिया जानकारी जुटाने वाली एजेंसियों की बात करें तो स्थानीय पुलिस, खासकर बीट कांस्टेबल के महत्व से सूचना मिलती है। जो सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। क्योंकि जनता के साथ उसी का सबसे अधिक मिलना-जुलना होता है। स्थानीय थाना सूचना का सबसे बड़ा स्नोत है। अच्छी और जमीनी सूचना पाने के लिए स्थानीय पुलिस व इसकी खुफिया इकाइयों को दुरुस्त करने की दरकार है।