पंकज उधास के मखमली तरन्नुम में डूबा शहर
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : हल्की फुहारों के बीच भीगे मौसम में शहर की सुरमई शाम गजल के
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : हल्की फुहारों के बीच भीगे मौसम में शहर की सुरमई शाम गजल के शहंशाह पंकज उधास की गजलों के साथ नशीली हो गई। पद्मश्री पंकज उधास हारमोनियम के साथ स्टेज पर थे और सुनने वाले उनके मखमली तरन्नुम में डूबी गजलों में गोता लगा रहे थे। बुधवार को लोयोला स्कूल के आडिटोरियम में पंकज की दिलकश आवाज का जादू श्रोताओं के सिर चढ़कर बोल रहा था।
आप जिनके करीब होते हैं, वो बड़े खुशनसीब होते हैं.., निकलो न यूं बे नकाब..जमाना खराब है., चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है..दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है..,हम भी पागल हो जाएंगे ऐसा लगता है। रुक रुक थम थम पी ले कम कम..जैसी मधुर गजलों पर श्रोता झूमते रहे।
गजलों के आशिक देर रात तक पंकज की आवाज के सुरूर में डूबे रहे। मौका था द इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया के मेगा म्युजिकल इवेंट्स का। प्लेटिनम जुबिली इयर पर सीए डे की पूर्व संध्या पर हुए इस कार्यक्रम में पंकज उधास को सुनने के लिए आडिटोरियम श्रोताओं से भरा था। पंकज उधास तकरीबन पौने सात बजे आडिटोरियम आए। मंच पर पहुंचते ही आडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। चार लाइनों से पंकज ने शुरुआत की तो लोग वाह-वाह कह उठे- .लोग तुमको गुलाब कहते हैं, और जान-ए-शराब कहते हैं। आप जैसे हसीन चेहरों को हम खुदा की किताब कहते हैं। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक गजलें पेश कीं। इस मौके पर केंद्रीय जीएसटी कमिश्नर अजय पाडेय, राज्यसभा के पूर्व सदस्य प्रदीप बलमुचू, जेएनएसी के विशेष अधिकारी संजय कुमार, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के जमशेदपुर ब्रांच के चेयरमैन पवन कुमार अग्रवाल व सचिव विवेक चौधरी, पूर्व एडीसी सुनील कुमार, केंद्रीय जीएसटी से केके भट्टाचार्य, अनूप कुमार, आशुतोष कुमार आदि बतौर अतिथि उपस्थित थे।
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सबको मालूम हो.. पर खूब हुआ शोर
सबको मालूम है मैं शराबी नहीं। पंकज उधास ने जब ये गजल सुनानी शुरू की तो आडिटोरियम में खुशी का शोर उठा। लोगों को ये गजल खूब पसंद आई।
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तालियों में सबसे ज्यादा नशा
पंकज उधास को तालिया बटोरने का भी हुनर मालूम है। उन्होंने सुनने वालों की हौसला अफजाई कुछ यूं की। बोले इतना नशा दुनिया की किसी शराब में नहीं, जिनता आपकी तालियों में है। मैं इन्हीं तालियों के नशे से जिंदा हूं। हर कलाकार को तालियों की शराब चाहिए।
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गजलों पर झूमे लोग
शहर के लोगों को शोहरत वाले गजल गायक को सुनने का मौका मिला था। इसलिए शहर के कोने-कोने से लोग पंकज को सुनने आए थे। इनमें साकची, बिष्टुपुर, सोनारी, बर्मामाइंस, टेल्को आदि इलाकों से शहर के उद्योगपति, व्यापारी, राजनीतिज्ञ, जज, पूर्व अधिकारी जैसी तमाम हस्तिया जुटी थीं।
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हारमोनियम व गजलों की जुगलबंदी
मंच पर जब पंकज उधास ने तबले पर थिरकती उंगलियों के बीच हारमोनियम से जुगलबंदी की तो श्रोता मदहोश हो गए। उन्होंने चादी जैसा तेरा रंग है तेरा सोने जैसे बाल.. एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल।
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इन गजलों की आती रही फरमाइशें
घुंघरू टूट गए। एक तरफ उसका घर.., पीने वालों सुनो.., जरा आहिस्ता चल आदि की फरमाइश आडिटोरियम में गूंजती रही। पंकज ने इनमें से कई फरमाइशों को पूरा किया। पंकज जब फरमाइश वाली गजल सुनाते तो लोग तालियां बजाकर इस्तकबाल करते।
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गजल के साथ शेर का कॉकटेल
पंकज उधास ने गजल और शेरों के कॉकटेल का जाम जमशेदपुर को पिलाया। हर गजल से पहले शेर पेश किए। मसलन, निकलो न बेनकाब जमाना खराब है..मुमताज राशिद की लिखी इस गजल को अकबर इलाहाबादी के शेर में घोलकर पेश किया। गजल से पहले सुनाया- बेपरदा नजर आईं जो कल चंद बीबिया, अकबर जमीं पर गैरत ए कौमी से गड़ गया। इसके बाद गजल शुरू की- निकलो न बेनकाब. तो लगा कि पंकज दौर को देखते हुए महिलाओं को गजल के साथ ही नसीहत भी पिला रहे हैं।
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श्रोताओं में महिलाओं की रही खासी तादाद
आडिटोरियम पंकज उधास की गजल सुनने वालों से भरा था। इनमें महिलाओं की भी खासी तादाद थी। महिलाओं ने भी उनकी रूमानी गजल से लेकर नज्म का लुत्फ उठाया।
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जीएसटी कमिश्नर ने भी गजलें गाई
पंकज उधास ने जमशेदपुर के जीएसटी कमिश्नर अजय पाडेय की लिखी गजलें भी गाई। पंकज ने अजय पांडेय की रुक रुक थम थम और तेरे बदन पर जो लाल साड़ी है.. गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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और बर्गर खाते-खाते हो गई गजल
जीएसटी कमिश्नर अजय पाडेय ने बताया कि उन्होंने रुक रुक थम थम पी ले कम कम वाली गजल पंकज के कहने पर ही लिखी। वो मुंबई में एक रेस्टोरेंट में बर्गर खा रहे थे। तभी पंकज का फोन आया। उन्होंने कहा नज्म आप खूब लिखते हैं। कुछ शराब-शबाब वाली गजल लिखें। तभी पानी बरसने लगा और रुक रुक थम थम . गजल हो गई।
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पंकज की कॉलर ट्यून है रुक रुक थम थम
जीएसटी कमिश्नर अजय पांडेय और गजल के शहंशाह पंकज उधास में गहरी दोस्ती है। इस कदर की अगर आप पंकज का फोन लगाएं तो ¨रग टोन की जगह अजय पांडेय की गजल रुक रुक थम थम पीले कम कम आपको सुनाई पड़ेगी।
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