गरीबी को मात देकर एशिया चैंपियन बनी लीलावती, जीता गोल्ड मेडल
परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद लीलावती ने कभी हार नहीं मानी। अपने मेहनत लगन एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर वह सभी बाधाओं को मात देती जा रही है।
चाकुलिया(पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्रा। अभी न पूछो हमसे मंजिल कहां है, अभी तो हमने चलने का इरादा किया है। ना हारे हैं ना हारेंगे कभी, ये हमने खुद से वादा किया है। ऐसा लगता है कि उत्साह एवं जोश से लबरेज ये पंक्तियां चाकुलिया कस्तूरबा विद्यालय की छात्र लीलावती हांसदा के लिए ही लिखी गई हैं।
गरीबी, पिछड़ापन एवं प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ कर एवं उन्हें मात देकर लीलावती लगातार सफलता का परचम लहराती जा रही है। अभी हाल ही में लीलावती ने नेपाल के काठमांडू शहर में आयोजित दक्षिण एशिया स्तरीय गोजू यू कराटे चैंपियनशिप 2019 के 40 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीत कर एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इससे पूर्व भी आंध्र प्रदेश एवं पंजाब में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की कराटे चैंपियनशिप में वह सफलता अर्जित कर चुकी है।
दो बहनों में छोटी है लीलावती
लीलावती की मां गृहिणी है और परिवार के पास कुछ खास जगह जमीन भी नहीं है। लीलावती दो बहनों में छोटी है। वह फिलहाल चाकुलिया कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में 11वीं की पढ़ाई कर रही है है। लीलावती के कराटे कोच प्रियव्रत दत्ता ने बताया कि कस्तूरबा विद्यालय में भर्ती होने के बाद पहली बार 2016 में लीलावती की प्रतिभा सामने आई जब उसने प्रखंड स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह अब तक प्रखंड, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर से होते हुए दक्षिण एशिया स्तर पर अपनी प्रतिभा का डंका बजा चुकी है।
कभी नहीं मानी हार
परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद लीलावती ने कभी हार नहीं मानी। अपने मेहनत लगन एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर वह सभी बाधाओं को मात देती जा रही है। स्थानीय विधायक कुणाल षाड़ंगी, राष्ट्रीय कराटे कोच नागेश्वर राव एवं खुद प्रियव्रत दत्ता ने कई बार लीलावती की आर्थिक मदद की। फिर भी उसे अभी मदद की सख्त दरकार है, क्योंकि जब भी किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में उसे भाग लेने जाना पड़ता है तो आर्थिक कठिनाई हर बार आड़े आती है।
पिता करते दूसरे की दुकान में काम, किसी तरह चलाते घर
लीलावती हांसदा चाकुलिया प्रखंड के चंदनपुर पंचायत अंतर्गत सुदूर बड़तोलिया गांव की निवासी है। उसके परिवार की माली हालत कैसी है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पिता चंपाई हांसदा दूसरे की दुकान में दर्जी का काम करते हैं। पहले उनकी पिताजुड़ी बाजार में टेलरिंग की दुकान थी जो शॉर्ट सर्किट के कारण जल गई। इसके बाद वे परिवार का पेट पालने के लिए दूसरे की दुकान में काम करने लगे।