जमशेदपुर के बहुचर्चित डॉ. प्रभात हत्याकांड में पंकज दुबे और कबीर को आजीवन कारावास
डॉ. प्रभात कुमार की हत्या में दोषी पंकज दुबे और एहतेशामुद्दीन उर्फ कबीर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
जमशेदपुर (जासं): टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) के चिकित्सक और भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ से जुड़े डॉ. प्रभात कुमार की हत्या में दोषी करार दिए गए आरोपित बागबेड़ा कॉलोनी निवासी पंकज दुबे और एहतेशामुद्दीन उर्फ कबीर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
अपर जिला व सत्र न्यायाधीश-13 प्रभाकर सिंह की अदालत ने बुधवार को आजीवन कारावास के साथ ही 50-50 हजार रुपये का जुर्माना और 27 आम्र्स एक्ट मामले में 10-10 वर्ष और 10-10 हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई। दोनों अभियुक्तों की पेशी वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से कराई गई। सजा के बिंदु पर चल रही बहस में अपर लोक अभियोजक ने अपना पक्ष रखा। दोनों को फांसी की सजा देने का आग्रह न्यायाधीश से किया था। सजा सुनाने के दौरान डॉ. प्रभात कुमार की पत्नी अनामिका देवी न्यायालय में उपस्थित रही।
मरीज बनकर आए थे और कर दी थी हत्या
17 दिसंबर, 2009 को बिष्टुपुर नार्दन टाउन स्थित सी रोड आवास में शाम सवा छह बजे के करीब मरीज बनकर आए बदमाशों ने प्रभात को गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस दौरान नवीन कुमार सिंह शहर के एसएसपी थे। पंकज दुबे और कबीर को इससे पहले टीएमएच के पूर्व चिकित्सक पीके मिश्रा पर फायङ्क्षरग किए जाने के मामले में 11 जुलाई 2018 को आम्र्स एक्ट मामले में 10-10 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। पंकज दुबे घाघीडीह सेंट्रल जेल में बंद है जबकि कबीर एमजीएम के बंदी वार्ड में इलाजरत है।
18 लोगों की हुई गवाही
डॉ. प्रभात कुमार हत्याकांड में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट, मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल रिपोर्ट,गवाही और अन्य साक्ष्य जुटाए गए थे। मामले में 18 गवाहों की गवाही हुई। 25 जनवरी 2010 को पंकज दुबे को गिरफ्तार किया गया था। पिस्तौल जब्त की गई थी। एफएसएल रिपोर्ट से भी प्रमाणित हुआ था घटना में पंकज दुबे शामिल था।
आरोपितों को कभी जमानत न मिले : अनामिका
प्रभात कुमार की पत्नी अनामिका देवी ने कहा उनकी मन की इच्छा थी कि आरोपितों को फांसी की सजा मिले। अदालत ने जो भी फैसला दिया है, उसका मैं सम्मान करती हूं। अभियुक्तों ने पति समेत कई निर्दोष को मारा है। ऐसी कार्रवाई हो कि उन्हें कभी जमानत नहीं मिल सके। उनपर निगाह रखी जाय।