Move to Jagran APP

लीज शर्तें ठेंगे पर रखकर लगाई 386 करोड़ की चपत,जानिए कैसे हुआ खेल

scam. घपला 2005 में टाटा स्टील और सरकार के बीच लीज समझौते के नवीनीकरण के बाद हुआ। पिछले 13 सालों से अनवरत यह गोरखधंधा जारी है, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 11:21 AM (IST)
लीज शर्तें ठेंगे पर रखकर लगाई 386 करोड़ की चपत,जानिए कैसे हुआ खेल
लीज शर्तें ठेंगे पर रखकर लगाई 386 करोड़ की चपत,जानिए कैसे हुआ खेल

जमशेदपुर[विश्वजीत भट्ट]। सरकार के नियम-कानून को ठेंगा दिखाते हुए टाटा स्टील के लैंड डिपार्टमेंट, जमशेदपुर अक्षेस और मंथली टेनेंसी होल्डरों (मासिक किराएदार) ने आपसी सहयोग (मिलीभगत) से राज्य सरकार को 386 करोड़ 10 लाख की चपत लगा दी और शासन-प्रशासन कुंभकर्णी निद्रा में सोया रहा। यह घपला 2005 में टाटा स्टील और सरकार के बीच लीज समझौते के नवीनीकरण के बाद हुआ। पिछले 13 सालों से अनवरत यह गोरखधंधा जारी है, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी।

loksabha election banner

दरअसल, टाटा स्टील ने कंपनी लीज एरिया में लोगों को ‘नीचे दुकान, ऊपर मकान’ की व्यवस्था के आधार पर लोगों और संस्थाओं को मासिक किराए पर प्लाट दिया है। किराया वसूल कर उसका 25 प्रतिशत टाटा स्टील के लैंड डिपार्टमेंट को सरकारी खजाने में जमा करना है, लेकिन लीज नवीनीकरण से लेकर आज तक यानि इस 13 वर्ष की अवधि में एक रुपया भी इस मद में नहीं जमा कराया गया।

जगाने पर नहीं जागे जिम्मेदार

सूचना के अधिकार कानून के तहत उपरोक्त जानकारी मिलने पर आरटीआइ कार्यकर्ता सीमा अग्रवाल ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव, भू-राजस्व मंत्री और उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम को कई बार पत्र लिखकर इतनी बड़ी राजस्व चोरी रोकने के साथ ही नियमित रूप से राजस्व वसूली की व्यवस्था विकसित करने की मांग की। लेकिन जिम्मेदार पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

साकची-बिष्टुपुर में हुए कई बड़े घपले

साकची, बिष्टुपुर सहित कंपनी लीज एरिया में मंथली टेनेंसी होल्डरों ने एलाटमेंट पेपर की शर्त नीचे दुकान, ऊपर मकान का सीधे-सीधे उल्लंघन कर 198 पांच-छह मंजिला व्यावसायिक भवन बना लिया। किराए के रूप में इनकी आमदनी प्रति माह पांच लाख रुपये से अधिक है। इन भवनों से एक साल में 1,18,80,00,000 रुपये किराया आता है। इस तरह से 13 वर्षो में कुल 15,44,40,00,000 रुपये किराया वसूल हुआ। अब इस किराए का 25 प्रतिशत निकालें तो सरकार को 13 वर्षो में 3,86,10,00,000 रुपये राजस्व की चपत लगी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.