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Jamshedpur Crime File:जमीन कब्जे का धंधा बना गैंगवार की वजह Jmashedpur Nes

Jamshedpur Crime File. जमीन पर कब्‍जे का धंधा जमशेदपुर में गैंगवार की वजह बना। सफेदपोश भी जमीन की खरीद-बिक्री के लिए अपराधियों के साथ संगठित गिरोह चलाते हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 09:52 AM (IST)
Jamshedpur Crime File:जमीन कब्जे का धंधा बना गैंगवार की वजह Jmashedpur Nes
Jamshedpur Crime File:जमीन कब्जे का धंधा बना गैंगवार की वजह Jmashedpur Nes

जमशेदपुर, जासं। जमीन की खरीद-बिक्री के खेल में गोविंदपुर, बिरसानगर, सुंदरनगर एमजीएम, परसुडीह, आदित्यपुर, सिदगोड़ा, सीतारामडेरा, सोनारी, कदमा, कपाली समेत के कई इलाकों में गैंगवार हुए हैं। इसमें सफेदपोश और अपराधियों का गठजोड़ भी सामने आता रहा है। अक्सर इसी वजह से फायरिंग और हत्या की वारदातें शहर में होती रही हैं।

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सरकारी जमीन, रेलवे की जमीन, आदिवासी जमीन और टाटा सबलीज की जमीन पर कब्जे की जंग में ही आम तौर पर यहां खूनी खेल होता हैै। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी स्थानीय थाने की पुलिस को नहीं। पुलिस को सब पता रहता है। अब भुंइयाडीह से बारीडीह नदी तट की बात ले लीजिए। यहां भी जमीन पर कब्जा हो चुका है। बिरसानगर में बकायदा सरकारी जमीन को प्लाटिंग कर बेचा गया। चूंकि जमीन कब्जे का खेल करोड़ों का खेल हो गया है, इसलिए अब यह धंधा एक संगठित उद्योग बन चुका है। क्राइम फाइल देखने पर पता चलता है कि सबसे अधिक मामले जमीन विवाद से जुड़े ही थाने पहुंचते हैंं। कदमा थाना प्रभारी विनय कुमार जमीन के मामले में नप गए थे। सरकार का आदेश होता है कि किसी भी इलाके में अगर सरकारी जमीन की कब्जा होती हैं तो थानेदार पर कार्रवाई होगी, लेकिन ऐसा होता नहीं।

इनकी हो चुकी हत्या

जमीन की खरीद-बिक्री की खेल में आदित्यपुर में जमीन कारोबारी रंजीत वैज की गोली मारकर बीते 25 जनवरी को हत्या कर दी गई थी। घटना से कुछ दिन पहले आदित्यपुर के आनंदपुर में सात बीघा जमीन खरीदी थी इसी को लेकर विवाद चल रहा था। इससे पहले सरायकेला के बीरबांस में जमीन की खरीद-बिक्री रोकने पर बुद्धेश्वर कुम्भकार की हत्या कर दी गई। जमीन से जुड़े धंधेबाजों ने सुपारी देकर उसकी हत्या करवा दी थी। आदित्यपुर में कांग्रेस नेता शान बाबू की हत्या कर दी गई थी। परसुडीह में संजीव सिंह की हत्या उसके विरोधियों ने मई 2016 में गोली मार दी थी। गोविंदपुर और परसुडीह इलाके में वह जमीन की खरीद-बिक्री के धंधे से जुड़ा था। झामुमो नेता लखाई हांसदा की हत्या घाघीडीह जेल के पीछे जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर विरोधियों ने कर दी। हत्या में डाक्टर टुडू समेत तीन को आजीवन कारावास की सजा हुई। परसुडीह के राहरगोड़ा  में नागेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। परसुडीह के कलियाडीह में भाजपा नेता होपेन हेम्ब्रम की हत्या जमीन विवाद में 11 मई 2019 को कर दी गई थी। हत्या में छह आरोपित जेल में बंद है। बुच्चू घोष और उसके साथी राजीव चक्रवती की हत्या 15 मार्च 2009 को कदमा रामनगर में नंबर छह के पास गोली और बम मारकर दी गई थी। जमीन की खरीद-बिक्री के धंधे से वह भी जुड़ा था। ऐसे कई उदाहरण है।

अधिकारियों की मिलीभगत से सबकुछ होता

अधिकारियों की मिलीभगत से आदिवासी और गैर मजरूआ जमीन की भी रजिस्ट्री कर दी जाती है। एक ही जमीन को कई दलाल अलग-अलग लोगों को बेच देते हैं। जमीन खरीदने के बाद जब खरीदार म्यूटेशन के लिए सीओ कार्यालय जाते है तो जो पैसा देता है। उसके नाम से म्यूटेशन कर दिया जाता है। इसके दबंगों की मदद से जमीन पर कब्जा का काम शुरू होता है। पुलिस के पास विवादित जमीन पर काम होने पर इसे रोकने के लिए धारा 107 और 144 लगाने को एसडीओ कोर्ट में देने का अधिकार है। इसका फायदा पुलिस खूब उठाती है। पुलिस ये खेला खेलती हैं कि अगर किसी पार्टी से माल मिल जाए तो विवादित स्थल पर 144 लगवा देती है। दूसरे पक्ष को फायदा पहुंचाने हो तो कई दिन इसमें लगा देती है। जमीन पर कब्जा हो जाता है।


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