कुड़मी समाज को चाहिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा
सम्मेलन में वक्ताओं ने कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए समाज को एकजुट होने के लिए कहा।
जमशेदपुर(जेएनएन)। पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड क्षेत्र के चतरो गांव में आयोजित कुड़मी सम्मेलन में समाज के लोगों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और हक के लिए संगठित होकर संघर्ष करने की अपील की। कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन की हुंकार भरी गई।
सम्मेलन में वक्ताओं ने कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने, उनके हक व अधिकार को दिलाने के लिए समाज को एकजुट होने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हक व अधिकार के लिए आंदोलन जारी रखने की जरूरत है।
इस मौके पर कुड़मी नेता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी के हक व अधिकारी की बात नहीं करने वाले नेताओं को कुड़मी गांव में प्रवेश वर्जित है। गांव में बोर्ड लगाकर विरोधी नेताओं को रोका जाएगा। कहा कि ब्रिटिश शासन में कुड़मियों को असली अनुसूचित जनजाति माना गया था लेकिन बाद में राजनैतिक साजिश के बाद हटा दिया गया। क्यों हटाया गया इसका जवाब किसी भी राजनैतिक दल के पास नहीं है। सभी पार्टियों ने वोट के लिए इस जाति का इस्तेमाल किया है। कहा कि झारखंड के राज्य बने 17 व आजादी मिले 70 साल हो गए लेकिन कुड़मी को उसका संवैधानिक अधिकार नहीं मिला। उन्होंने समाज को संगठित होकर संघर्ष का एलान किया।
इस मौके पर पूर्वी सिंहभूम पुलिस एसोसिएशन के सचिव संतोष महतो ने कहा कि उच्च शिक्षा के अलावे किसी भी प्रकार का सहयोग को लेकर वे हमेशा तत्पर है। इसके पूर्व समाज के शहीद सुनील महतो, विनोद महतो व निर्मल महतो की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी।
सम्मेलन में आदिवासी कुड़मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष प्रसन्नजीत महतो, हराधन महतो, विभास महतो (चाकूलिया) जयराम महतो (पूर्वी सिंहभूम आदिवासी कुड़मी समाज, अध्यक्ष) चंपक लता, डॉ. अनिल महतो (गालूडीह) भूषण महतो (गूड़ाबांधा) चतरो ग्राम प्रधान मनोरंजन महतो, विनय रंजन महतो (चतरों) भूपति महतो, प्रहलाद महतो, धनंजय महतो, मनीन्द्र नाथ महतो समेत समाज के अन्य लोग उपस्थित थे।