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अंतरराष्ट्रीय फलक पर छायेंगे कोल्हान के ये पर्यटन स्थल, जानिए

जमशेदपुर के जुबिली पार्क सरायकेला के दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी और चांडिल डैम के साथ ही सारंडा जंगल और हिरणी जलप्रपात को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटक स्थल घोषित किया गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 11:56 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय फलक पर छायेंगे कोल्हान के ये पर्यटन स्थल, जानिए
अंतरराष्ट्रीय फलक पर छायेंगे कोल्हान के ये पर्यटन स्थल, जानिए

जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड के कोल्‍हान के कई  पर्यटन स्थल अब अंतराष्‍ट्रीय फलक पर छायेंगे। इसकी खास वजह है। राज्य सरकार ने पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के जुबिली पार्क, सरायकेला-खरसावां के दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी और चांडिल डैम के साथ ही पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल और हिरणी जलप्रपात को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटक स्थल घोषित किया है। इसकी अधिसूचना भी शुक्रवार को जारी कर दी गई है। 

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 जुबिली पार्क

  • पार्क की स्थापना : अगस्त, 1958
  • उद्घाटनकर्ता : तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू
  • उपनाम : जमशेदपुर का मुगल गार्डेन
  •  पार्क का क्षेत्रफल: 500
  • मुख्य स्थल : टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क, रोज गार्डेन, स्मृति उद्यान, चिल्ड्रेन पार्क, रोज गार्डेन, बैट आयलैंड, निक्को पार्क, लेजर शो।

चांडिल डैम

  • डैम निर्माण की शुरुआत : 1978
  • डैम का उद्घाटन : 2003
  • ऊंचाई : 220 मीटर
  • जलस्तर : 192 मीटर तक, चांडिल डैम के पास करकरी नदी स्वर्णरेखा नदी में मिलती है। पर्यटकों के लिए बोटिंग की व्यवस्था, भारत में पहली बार यहीं केज कल्चर से व्यावसायिक मछली पालन।

दलमा अभ्यारण्य

  • संरक्षण मुख्यत: हाथियों के लिए संरक्षित। हिरण, साहिल, लाल गिलहरी, भालू, साहिल भी पाया जाता है।
  • उद्घाटन : 17 जुलाई 1976
  • उद्घाटनकर्ता : संजय गांधी
  • पर्यटन क्षेत्र : 13.94 किमी.।
  •  क्षेत्रफल: 193 वर्ग किलोमीटर

हिरनी जलप्रपात

  •  रांची-चक्रधरपुर मार्ग पर रांची से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 120 फीट की ऊंचाई से गिरते पानी के कारण इसकी खूबसूरती बेमिसाल है।

सारंडा 

एशिया का सबसे घना साल वन सारंडा लगभग 820 वर्ग किलोमीटर में फैला है। हो भाषा में सारंडा का अर्थ 700 पहाडियों से घिरी भूमि होती है। लंबे घने साल वृक्ष इस वन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते है। इस जंगल का अधिकांश हिस्सा पश्चिमी सिंहभूम जिले में पड़ता है।


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