लौहनगरी में बच्चों को बहरा बना रही सर्दी-जुकाम
खतरे में बचपन - टाटा मुख्य अस्पताल के डॉक्टरों की शोध रिपोर्ट से हुआ खुलासा - अस्पताल के ईएनटी विभाग में प्रत्येक महीने आ रहे हैं 750 ब'चे
By Edited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 10:14 AM (IST)
अमित तिवारी, जमशेदपुर सर्दी-जुकाम के कारण जमशेदपुर के बच्चों में बहरापन की बीमारी तेजी बढ़ रही है। टाटा मुख्य अस्पताल के डाक्टरों द्वारा तैयार की गई एक शोध रिपोर्ट में यह बात कही गई है। इसके मुताबिक ईएनटी विभाग में प्रत्येक माह 750 बच्चे कान संबंधी परेशानी लेकर पहुंच रहे हैं। इनमें 75 फीसद वैसे बच्चे पाए गए हैं जो सर्दी-जुकाम की चपेट में आकर बहरेपन की ओर बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने रिपोर्ट में कहा है कि ताज्जुब की बात यह है कि इसके प्रति अभिभावक बिल्कुल अनजान हैं, जो चिंता का विषय है। बीमारी की पहचान तब होती है जब बच्चों की परेशानी बढ़ जाती है। वे डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। डॉक्टर जब बच्चों की जांच करते हैं तो पता चलता है कि उसके सुनने की क्षमता कमजोर हो गई है। रिपोर्ट में इसकी वजह लंबे समय से सर्दी-खांसी होना बताया गया है। ------------- कान में गंदगी भी बहरापन का कारण कानों में गंदगी होना भी बहरापन का कारण बन रहा है। बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। गंदगी होने की वजह से कान के पर्दो को नुकसान पहुंचता है। सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इधर, ध्वनि प्रदूषण के कारण भी बहरापन की शिकायत बच्चों के साथ बुजुर्गो में बढ़ गई है। 60 की उम्र के बाद सुनने की क्षमता कमजोर हो जाती है। यह मधुमेह व ब्लड प्रेशर के मरीजों में अधिक देखी जाती है। ------------- टीएमएच की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें - 70 फीसद बच्चों के बहरेपन का मुख्य कारण सर्दी-जुकाम। - बहरापन की चपेट में 10 साल तक के अधिक बच्चे। - अधिक सर्दी-जुकाम वाले बच्चे में बहरापन की आशंका अधिक - सर्दी-जुकाम होने पर बच्चे शिशु रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं। जबकि ईएनटी डाक्टर के पास समय पर नहीं पहुंचते। - बच्चों को सुनाई कम देने की वजह से पढ़ाई हो रही प्रभावित। - ऐसे बच्चे स्कूलों में शांत मुद्रा में बैठे रहते हैं, शिक्षक को देर से पता चलता है। - बीमारी के प्रति बच्चों के अभिभावक बिल्कुल अनजान रहते हैं। - कान में दर्द होने पर बच्चे पहुंचे हैं डॉक्टर के पास तब पता चलता है। --------------- सर्दी-जुकाम के बाद होने वाली परेशानी - कम सुनाई देना। - कान में दर्द होना। - कान का बहना। - सुनाई नहीं देना। ---------- इस तरह करें बचाव - बच्चे को बार-बार सर्दी-जुकाम हो तो जरूर जांच कराएं। - स्कूल में शांत बैठने वाले बच्चों पर नजर रखें। - बच्चा पढ़ाई में कमजोर हो रहा है तो उसे नजरअंदाज नहीं करें। - बच्चों के कान में दर्द, सूजन या अन्य परेशानी हो तो तुरंत जांच कराएं। - शुरू में बीमारी शिनाख्त नहीं होने पर ऑपरेशन करना पड़ सकता है। -------- कोट ::: कान-नाक व गले की नली एक दूसरे से जुड़ी रहती है। इसलिए, सर्दी-जुकाम होने पर कान पर असर पड़ता है। जिस बच्चे को बार-बार सर्दी जुकाम होता है, एक बार उसके कान की जांच जरूर करानी चाहिए। शहर के 70 फीसद बच्चों में बहरेपन की मुख्य वजह सर्दी-जुकाम पाया गया है। - डॉ. अजय गुप्ता, ईएनटी रोग विशेषज्ञ, टीएमएच। ---
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