प्रकृति को पूजने का पर्व है करम पर्व
भादो महीने में जब वर्षा और शरद ऋतु का मिलन होता है तो प्रकृति पूजा का पर्व करमा मनाया जाता है।
दिलीप कुमार, जमशेदपुर : भादो महीने में जब वर्षा और शरद ऋतु का मिलन होता है तो चारों ओर हरियाली रहती है। इसी समय लौहनगरी सहित पूरे झारखंड में उल्लास के साथ प्रकृति की पूजा का पर्व करम मनाया जाता है। भादो का महीना शुरू होते ही यहा के आदिवासी मूलवासी समुदाय करम महोत्सव मनाने की तैयारियों में जुट जाते हैं। आदिवासी व मूलवासियों द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व में बहनें उपवास करती हैं। करम पूजा के एक दिन पहले जागरण के दिन व्रत रखने वाली युवतियां स्नान करने नदी जाती हैं। इस दौरान नई टोकरी में नदी का स्वच्छ महीन बालू भर लाती हैं। घर व आगन को लेप-पोत कर पीढ़ा सजाई जाती है।
टोकरी में जावा सजाकर होता जागरण
युवतियां आखड़ा मे बालू भरी टोकरी यानि जावा स्थापित करती हैं। जावा में कुल नौ प्रकार के अन्न के दाने होते हैं। इसमें धान, गेंहू, चना, मटर, मकई, जौ, बाजरा, उरद शामिल होते हैं। इसको बालू में मिला कर हल्दी पानी से सींचा जाता है। चारों ओर बहनें गोलाकार जुड़ कर जावा जगाने का गीत गाती व नृत्य करती हैं। टोकरी में चुड़ा, खीरा, आरवा चावल के साथ एक दीप रख दी जाती है। इसे कच्चु के पत्ते से ढंका जाता है। इस दौरान करम वृक्ष की डालिया अखड़ा या आगन में गाड़ कर अराधना की जाती है।
आखड़ा में पहान से सुनते करम कथा
करम पर्व पर सभी लोग आखड़ा में पहान से करम कथा सुनते हैं। फिर अखड़ा में युवक-युवतियों द्वारा पारंपरिक रूप से करमगीत और नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। करम कथा और करम गीत में कई अलग-अलग कहानिया प्रचलित हैं, लेकिन सभी में कर्म प्रधानता और प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया गया है।
पूजा के बाद खेत में गाड़ते करम डाली
पूजा के बाद करम डाली को खेत में गाड़ दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे फसल सुरक्षित रहता है और पैदावार अधिक होती है। करम त्यौहार कृषि और प्रकृति से जुड़ा है, जिसमें परिवार की सुख समृद्धि के साथ फसलों की अधिक पैदवार के लिए प्रकृति से अराधना की जाती है। करम, कर्म पर आधारित त्यौहार है, इसे भाई-बहन के निश्छल प्यार के रूप में भी उल्लेखित किया जाता है।
लौहनगरी में व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू
लौहनगरी में करम की तैयारियां शुरू हो गई हैं। त्योहार को लेकर शनिवार आठ सितंबर को सीतारामडेरा में कोल्हान स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद 22 सितंबर को पुराना सीतारामडेरा में, 23 को बिरसानगर जोन नंबर छह में और 24 को पुराना उलीडीह, मानगो में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। इसके साथ ही 29 सितंबर को शंकोसाई में परना मंडी सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। इसके पूर्व करम के लिए 19 सितंबर को जागरण किया जाएगा। इसके बाद 20 सितंबर को करम डाली लाने और स्थापित करने के साथ करम पूजा किया जाएगा। इसके दूसरे दिन 21 सितंबर को करम राजा का विसर्जन किया जाएगा।