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प्रकृति को बचाने का सबसे बड़ा आयोजन है करम पर्व

दुनिया को अगर बचाना है और इंसान को जिंदा रहना है तो प्रकृति क

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 01:50 AM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 01:50 AM (IST)
प्रकृति को बचाने का सबसे बड़ा आयोजन है करम पर्व
प्रकृति को बचाने का सबसे बड़ा आयोजन है करम पर्व

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : दुनिया को अगर बचाना है और इंसान को जिंदा रहना है तो प्रकृति को बचाना होगा। प्रकृति को बचाने का सबसे बड़ा आयोजन करम पर्व है। उक्त बातें राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने शनिवार को यहां कही। बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में कुड़मी सेना द्वारा आयोजित करम महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए हरिवंश ने कहा कि करम पर्व के महत्व को दुनिया जाने और समझे। यह इसलिए नहीं कि इसका आयोजन अनूठे रुप से होता है, बल्कि इसलिए कि यह हमें प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। झारखंड के पर्व-त्योहार प्रकृति से जुड़े हैं, इससे यह साबित होता है कि हमारे पूर्वज कितने दूरदर्शी थे। हमारी पुरखें पर्यावरण के प्रति कितने सचेत थे कि उन्होंने अपने धार्मिक अनुष्ठानों को प्रकृति के साथ जोड़े रखा। उन्होंने कहा कि झारखंड में महतो और आदिवासियों की जीवन शैली और जीवन दर्शन एक जैसा है। इसलिए दोनों के बीच किसी प्रकार का भेद नहीं रखा जाना चाहिए। दोनों को संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए।

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कुड़मियों को एसटी का दर्जा दे सरकार : मंत्री

बिहार के मंत्री शैलेश कुमार ने झारखंड सरकार से माग की कि चूंकि कुड़मियों की परंपरा व संस्कृति आदिवासियों की जैसी है तथा वर्ष 1950 तक वे एसटी सूची में शामिल थे, इसलिए उन्हें पुन: इस सूची में शामिल करें। करम महोत्सव को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एसटी का दर्जा नहीं मिलने से वे उपेक्षित सा महसूस कर रहे हैं। आरक्षण मिलने से उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा तथा वे शिक्षा के क्षेत्र में विकास करेंगे। कुड़मी समाज भी मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे।

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करम के साथ कर्म भी करना होगा : जलेश्वर

पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने कहा कि हमें करम पर्व मनाने के साथ ही अपना कर्म भी करना होगा। वर्तमान युग शिक्षा का युग है। सभी अभिभावक अपने बच्चों को पूर्ण और उच्च शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज प्रकृति और सचाई के साथ चलने वाले थे। औद्योगिक विकास के कारण प्रकृति से जुड़े हमारे परंपरागत पर्व त्योहार खत्म हो रहे थे। अब इसके जीवित रखने की आवश्यकता है।

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कुड़मी आदिवासी है राजपत्र में करे घोषणा : शैलेंद्र

करम महोत्सव को संबोधित करते हुए कुड़मी सेना के केंद्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र महतो ने कहा कि वे आरक्षण की नहीं, बल्कि पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार से माग की कि अगर राज्य सरकार उन्हें एसटी में शामिल करने की मंशा रखती है तो राजपत्र में घोषणा करें कि कुड़मी आदिवासी हैं।

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पानी लोटा से हुआ स्वागत

इसके पूर्व सभी अतिथियों ने सामूहिक रुप से करम डाल गाड़कर इसकी विधिवत पूजा अर्चन किया और करम गीत के साथ करम नृत्य किया। मंच पर महिलाओं ने अतिथियों का स्वागत परंपरा के अनुसार पानी का लोटा देकर किया।

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मिला सम्मान

इस दौरान मुख्य अतिथि हरिवंश ने कई चर्चित लोगों को मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया। इसमें आईएएस ज्योति कुमारी की मां, आईपीएस सुजाता कुमारी की मां, जमशेदपुर पुलिस एसोसिएशन के महासचिव संतोष कुमार महतो, चाडिल प्रखंड के उरमाल की सहिया मनिता देवी, साइक्लिस्ट सावित्री मुर्मू, संजय महतो, डॉ. सुनीता सोरेन, निकिता महतो, हराधन महतो, अभिजीत महतो आदि को सम्मानित किया गया।

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नहीं आए अर्जुन मुंडा

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को करम महोत्सव में बतौर उदघाटनकर्ता के रूप में शामिल होना था, लेकिन किसी कारणवश वे आयोजन में नहीं पहुंचे। हालाकि आयोजकों की ओर से जो बैनर लगाया गया था, उसमें अन्य अतिथियों के साथ मुंडा की भी तस्वीर लगाई गई थी।

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दिनेश ने भेंट की पुस्तक

काड्रा निवासी दिनेश महतो ने पूर्व सासद शैलेंद्र महतो द्वारा झारखंड राज्य पर लिखी पुस्तक उप सभापति को भेंट की। अपने संबोधन में उन्होंने उक्त पुस्तक की तारीफ करते हुए बताया कि पुस्तक में झारखंड आदोलन कई बातों का जिक्र है, जिसे उन्होंने काफी करीब से महसूस किया है।

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झूमर गीत-संगीत ने बाधा समा

करम महोत्सव के दौरान चार बजे से सास्कृतिक कार्यक्रम के तहत झूमर प्रस्तुत किया जा रहा था। अतिथियों के स्वागत व संबोधन के उपरात यह कार्यक्रम पुन: जारी रहा। गम्हरिया के राजेश झूमर एंड बाउल गीत की ओर से कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किए। मौके पर राजेश महतो के अलावा ओडिशा से आईं डॉली महतो, सुष्मिता महतो तथा उर्मिला महतो ने गीत गाए।


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