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जुस्को श्रमिक यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के पास कल तक का है अंतिम मौका, जाने क्या है पूरा मामला

जुस्को श्रमिक यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के पास कल तक यानि छह अगस्त तक अपना पक्ष श्रम विभाग में रखने का अंतिम मौका है। यदि इसके बावजूद रघुनाथ पांडेय ने उप श्रमायुक्त कार्यालय में अपना पक्ष नहीं रखा तो फिर पूरे मामले में श्रम विभाग अंतिम निर्णय लेग।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 05:29 PM (IST)
जुस्को श्रमिक यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के पास कल तक का है अंतिम मौका, जाने क्या है पूरा मामला
जुस्को श्रमिक यूनियन में 14 मार्च 2020 को आमसभा हुई थी।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जुस्को श्रमिक यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के पास कल तक यानि छह अगस्त तक अपना पक्ष श्रम विभाग में रखने का अंतिम मौका है। यदि इसके बावजूद रघुनाथ पांडेय ने उप श्रमायुक्त कार्यालय में अपना पक्ष नहीं रखा तो फिर पूरे मामले में श्रम विभाग अंतिम निर्णय लेगा।

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आपको बता दें कि जुस्को श्रमिक यूनियन में 14 मार्च 2020 को आमसभा हुई थी। लेकिन यूनियन नेतृत्व द्वारा कराई गई आमसभा विवादों में फंस गई। इस मामले की लिखित शिकायत यूनियन के विपक्षी नेता सहित रघुनाथ पांडेय के करीबी दोस्त व पूर्व महामंत्री एसएल दास ने भी श्रम विभाग से की। इस पूरे मामले में श्रम विभाग ने नोटिस जारी कर यूनियन के निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय को अपना पक्ष रखने के लिए छह अगस्त तक का समय दिया है। उप श्रमायुक्त कार्यालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि आमसभा मामले में शिकायत मिलने के बाद रघुनाथ पांडेय को कई बार पत्र जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा गया लेकिन उन्होंने हर बार अपना पक्ष रखने के लिए बार-बार समय की मांग की। 22 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी थी लेकिन उन्होंने एक बार फिर पूरे मामले में समय मांग लिया।

क्या है पूरा मामला

जुस्को श्रमिक यूनियन में नई कार्यकारिणी के लिए मार्च 2020 में कंपनी परिसर में ही आम सभा का आयोजन किया गया था। शिकायतकर्ता एसएल दास का आरोप है कि आमसभा की पूरी प्रक्रिया रघुनाथ पांडेय ने स्वयं संचालित की और नई कार्यकारिणी में अध्यक्ष पद के लिए खुद को को-ऑप्शन भी करा लिया। इस पूरी प्रक्रिया में उनके द्वारा चुने गए चुनाव पदाधिकारी, सीएस झा और अश्विनी माथन, जो जुस्को श्रमिक यूनियन के सदस्य भी नहीं हैं। आमसभा के दौरान पूरी प्रक्रिया में उपस्थित रहे। जबकि यूनियन के संविधान के अनुसार जिस पदाधिकारी का को-ऑप्शन होना है वे आम सभा की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते। लेकिन रघुनाथ पांडेय को डर था कि वे यदि अनुपस्थित रहे तो उन्हें यूनियन से बाहर का रास्ता देखना होगा। इसलिए अपनी उपस्थिति में ही अपना को-ऑप्शन करा लिया। इस असंवैधानिक प्रक्रिया का हमने विरोध कर मामले की शिकायत की।

यूनियन चुनाव के कारण लटक गया कर्मचारियों का ग्रेड रिवीजन

टाटा स्टील यूटिलिटीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज लिमिटेड में कार्यरत कर्मचारियों का ग्रेड रिवीजन समझौता पहली जनवरी 2018 से लंबित है लेकिन कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाली जुस्को श्रमिक यूनियन विवादों में फंसी है। यूनियन द्वारा कराए गए आमसभा को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस कारण कंपनी प्रबंधन भी किसी भी मुद्दे पर यूनियन नेतृत्व से वार्ता नहीं कर रहा है जिसके कारण लगभग 800 कर्मचारियों का वेतन समझौता लंबित है।


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