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जेसीएम में पड़ी फूट का फायदा अभाविप ने उठाया

कोल्हान विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय छात्र संगठन चुनाव में विश्वविद्यालय प्रि

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Dec 2017 03:00 AM (IST)
जेसीएम में पड़ी फूट का फायदा अभाविप ने उठाया
जेसीएम में पड़ी फूट का फायदा अभाविप ने उठाया

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय छात्र संगठन चुनाव में विश्वविद्यालय प्रतिनिधि (यूआर) की संख्या सबसे ज्यादा 07 होने के बावजूद भी झारखंड छात्र मोर्चा (जेसीएम) को हार का सामना करना पड़ा। जेसीएम में अध्यक्ष पद को लेकर पड़ी फूट का फायदा आखिरकार अभाविप ने उठाया।

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दरअसल, जेसीएम की ओर से अध्यक्ष पद पर एलबीएमएम कॉलेज के अनिल सोरेन और जेएलएन कॉलेज चक्रधरपुर के शत्रुघ्न मुंडा खड़े हुए थे। पूर्व मंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन की लॉबी होने के कारण जेसीएम के पदाधिकारी अनिल सोरेन को तरजीह देते रहे और शत्रुघ्न मुंडा को शुक्रवार की सुबह 11 बजे तक मनाते रहे। लेकिन शत्रुघ्न ने अपना हिम्मत नहीं खोया। शत्रुघ्न को जब यह लगा कि उन्हें जेसीएम का सात वोट नहीं मिलने वाला है तो उन्होंने निर्दलीयों और अभाविप से बात करनी प्रारंभ कर दी। अभाविप ने निर्दलीयों से संपर्क साधा तथा किसी भी हाल में जेसीएम को रोकने की रणनीति बनाई। इस रणनीति के तहत अभाविप ने अपने प्रत्याशियों को वोट नहीं दिलाया। सब के सब वोट निर्दलीयों को पड़े। मात्र एक उप सचिव पद पर निर्दलीयों से तालमेल किया गया। इस पर वे कामयाब हुए। अंतत: जेसीएम में पड़ी फूट का फायदा अभाविप ने उठा ही लिया। जेसीएम समर्थित एक भी प्रत्याशी को जीतने के लक्ष्य को पूरा करते हुए अभाविप ने कॉलेज छात्र संघ चुनाव में हार का बदला ले लिया। एक तरीके से निर्दलीयों को सत्ता दिलाकर कॉलेज छात्र संघ चुनाव में मिली हार का बदला अभाविप ने लिया।

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ये है विविप्र की स्थिति

अभाविप - 04

जेसीएम - 06

निर्दल - 05

केसीएम - 01

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बाबू लाल और उदय मांझी के बीच पिस गया जेसीएम

जमशेदपुर : विश्वविद्यालय छात्र संगठन चुनाव में जेसीएम की पूरी टीम पूर्व मंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन और जेसीएम के पश्चिम सिंहभूम उपाध्यक्ष के पिसते नजर आए। दरअसल, बाबूलाल ने अनिल सोरेन तो उदय ने शत्रुघ्न मुंडा को केयू अध्यक्ष पद के लिए आगे किया। एक प्रत्याशी का नाम वापस लेने की आस सभी को थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। दोनों नेताओं की लड़ाई में जेसीएम ने पूरा कोल्हान विश्वविद्यालय ही खो दिया।


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