Move to Jagran APP

झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव के खिलाफ शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन शुरू, काला बिल्ला लगाकर किया कार्य

Jharkhand Government Teachers protest सभी शिक्षक पूर्व में बीपीएससी और वर्तमान में जेपीएससी की परीक्षा पास कर मेरिट के आधार पर चयनित हैं। ऐसे प्रतिभावान शिक्षक की प्रतिभा का इस्तेमाल गुणवत्ता शिक्षा के लिए कैसे हो इस पर सरकार को गंभीर विचार करने की जरूरत है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 04:57 PM (IST)
झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव के खिलाफ शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन शुरू, काला बिल्ला लगाकर किया कार्य
झारखंड सरकार के मंत्री के खिलाफ विरोध दर्ज कराते सरकारी शिक्षक।

जासं, जमशेदपुर। झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा सरकारी शिक्षा व शिक्षकों के संदर्भ में दिए गए कथित अपमानजनक बयान के विरोध में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर पूर्वी सिंहभूम जिले के हजारों शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर अपने-अपने विद्यालय तथा कर्तव्य स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया। ज्ञात हो कि दो दिनों पूर्व मंत्री ने एक निजी विद्यालय के कार्यक्रम में कहा था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं है। अगर निजी विद्यालय नहीं होते तो झारखंड तथा हमारा देश गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में पिछड़ जाता।

loksabha election banner

इसके साथ ही उन्होंने सरकारी शिक्षकों के बारे में अपमानजनक बातें भी कही। उक्त बयान के विरोध में पूर्वी सिंहभूम जिला सहित राज्य के सभी जिलों में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर आज पूरे प्रदेश के शिक्षकों द्वारा राज्यव्यापी काला बिल्ला लगाकर विरोध-प्रदर्शन किया गया। संघ के प्रदेश सलाहकार सुनील कुमार, पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष सुनील कुमार यादव, सरोज कुमार लेंका, संजय कुमार, अनिल प्रसाद, सनत कुमार भौमिक, ओम प्रकाश सिंह, सुधांशु बेरा, सुब्रत कुमार मल्लिक, देवाशीष सोरेन, संजय केसरी, माधव सोरेन आदि शिक्षक प्रतिनिधियों ने उनसे माफी मांगने की मांग की है। माफी नहीं मांगने की स्थिति में आंदोलन चरणबद्ध रूप से जारी रखा जाएगा। संघ ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से भी हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा है कि एक मंत्री के रूप में सरकार का हिस्सा होने के बावजूद सरकारी विद्यालयों को हेय दृष्टि से देखना तथा निजी विद्यालयों का गुणगान कर उसे श्रेष्ठ बताना एवं सरकारी शिक्षा व्यवस्था तथा शिक्षकों के प्रति अमर्यादित टिप्पणी करना निंदनीय है।

सरकारी विद्यालयों में अधिकांश अभिवंचित वर्ग, सुविधा विहीन परिवार के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को प्रति नियोजित कर कई तरह के गैर शैक्षणिक कार्य जैसे जनगणना, निर्वाचन, बी एल ओ कार्य, पशुगणना, जन वितरण प्रणाली की दुकान में प्रतिनियोजन, राशन कार्ड सत्यापन कार्य, घर-घर चावल बांटना, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था एवं निगरानी, कोविड सेंटर, बस स्टैंड,चेक नाका, रेलवे स्टेशन, श्मशान , टीकाकरण केन्द्रों आदि पर कार्य कराए जाते हैं।इन कार्यों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति आपके तंत्र द्वारा ही की जाती है। निजी विद्यालय के शिक्षकों से उक्त कार्य नहीं कराया जाता है । वे केवल अपने शिक्षण पर ध्यान देते हैं। इसके साथ ही सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में कोई क्लर्क का पद ही नहीं है, जिसके कारण शिक्षकों को ही प्रतिदिन विभागीय निर्देश पर कई तरह के रिपोर्ट तैयार करने में व्यस्त रहना पड़ता है। राज्य के 95% विद्यालयों में प्रधानाध्यापक ही नहीं हैं। बिना आर्थिक लाभ के किसी वरीय शिक्षक को प्रभारी बनाकर पूरी जिम्मेवारी थोप दी गई है। समय पर काम न होने पर विभागीय कार्रवाई की तलवार अलग से लटकती रहती है ।

ये कहना है शिक्षकों का

सरकारी शिक्षा व्यवस्था में इन सब कमियों को दूर करने हेतु अगर मंत्री पहल करते तो शिक्षक समुदाय उसका स्वागत करता, परंतु सरकारी तंत्र का हिस्सा होते हुए भी अपने ही सरकारी संस्थानों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने की जितनी भी निंदा की जाए कम है । संघ ने कहा है कि आखिर इन अव्यवस्थाओं को दूर करने की जिम्मेदारी किसकी है? पिछले लंबे समय से राज्य के सरकारी शिक्षकों तथा शिक्षक संघों की लगातार मांग रही है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्णतः मुक्त किया जाए। इस संबंध में अब तक सरकार के द्वारा ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया गया ? मंत्री से शिक्षकों ने अनुरोध किया है कि केवल शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने के साथ ही सरकारी शिक्षकों का पूरा समय केवल शिक्षण कार्य के लिए हो, यह सुनिश्चित कराने की पहल करें तो शिक्षक समुदाय आपका आभारी रहेगा एवं गुणवत्ता शिक्षा के मामले में सरकारी विद्यालय किसी से पीछे नहीं रहेंगे। सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की योग्यता और प्रतिभा में कोई कमी नहीं है। आज सभी शिक्षक पूर्व में बीपीएससी और वर्तमान में जेपीएससी की परीक्षा पास कर मेरिट के आधार पर चयनित हैं। ऐसे प्रतिभावान शिक्षक की प्रतिभा का इस्तेमाल गुणवत्ता शिक्षा के लिए कैसे हो, इस पर सरकार को गंभीर विचार करने की जरूरत है। जरूरत है तो केवल सरकार के दृढ़ इच्छाशक्ति की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.