बूढ़ा बाबा शिव मंदिर, जयदा
जमशेदपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर टाटा-रांची हाई-वे पर सुवर्णरेखा नदी के तट के पा
जमशेदपुर शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर टाटा-रांची हाई-वे पर सुवर्णरेखा नदी के तट के पास स्थित प्राचीन जयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर है। मंदिर के पीछे हरा-भरा जंगल है। चांडिल के पास हाई-वे से यह अनोखा व मनमोहक लगता है। यहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनाई गई है। पिछले वर्ष ही पर्यटन विभाग की ओर से पूरे मंदिर का कायाकल्प कराया गया। मंदिर पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। परिसर में प्राचीन शिवलिंग के अलावे मां पार्वती, हनुमान, नंदी आदि का मंदिर भी है। पूरा सावन मंदिर व आसपास के इलाके में हर-हर महादेव का उद्घोष होता रहता है।
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इतिहास
18वीं व 19वीं सदी के मध्यकालीन दिनों में केरा (वर्तमान खरसावां) महाराज जयदेव सिंह सुवर्णरेखा नदी किनारे स्थित पहाड़ी पर शिकार करने गए थे। उनपर जयदा बूढ़ा बाबा की कृपा हुई। कुछ दिनों के भीतर महाराज जयदेव सिंह को सपना आया, जिसकी प्रेरणा लेकर उन्होंने ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्यदेव को जयदा बूढ़ा बाबा के बारे में जानकारी दी। इसके बाद ईचागढ़ राजा की देखरेख में जयदा मंदिर की नींव रखी गई। वर्ष 1966 में इस पवित्र धाम में जूना अखाड़ा के बाबा ब्रह्मानंद सरस्वती का आगमन हुआ। इसके बाद ब्रह्मानंद सरस्वती व स्थानीय ग्रामीणों के कठोर परिश्रम से मंदिर का पूर्ण निर्माण संपन्न हुआ। इसका इतिहास मंदिर के समीप एक पट पर भी लिखा गया है। इससे श्रद्धालुओं को मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिलती है।
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- तैयारियां
सावन में प्रत्येक सोमवार को यहां खीर, हलुआ आदि का प्रसाद वितरण किया जाता है। बारिश के दिनों में सुवर्णरेखा नदी पर पानी का बहाव तेज होने के कारण स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। वहीं, नदी के तट को बैरिकेड कर दिया गया है। मंदिर परिसर में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था है। यहां मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की कतार में लगने की व्यवस्था के साथ जूना अखाड़ा व स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों स्वयंसेवक तैनात रहते हैं। वर्तमान में मंदिर का संचालन जूना अखाड़ा के महंत केशवानंद सरस्वती कर रहे हैं।
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श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। उनके लिए अखाड़ा, स्थानीय ग्रामीण व प्रशासन की ओर से सारी व्यवस्था की गई है। प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है। सावन माह के अलावे भी पूरे साल श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।
-केशवानंद सरस्वती, महंत जूना अखाड़ा, जयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर
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सावन के प्रत्येक शनिवार यहां करीब 10 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां सुवर्णरेखा नदी से जल उठाकर व बूढ़ा बाबा का आशीर्वाद लेकर दलमा शिव मंदिर, देवघर के बाबा धाम, पश्चिम बंगाल के बेड़ादा, लोहरीया आदि जगहों के लिए शिवभक्त पैदल निकलते हैं। प्रत्येक सोमवार को जयदा शिवलिंग में जलाभिषेक करने के लिए जमशेदपुर, चांडिल, तमाड़, बुंडू, सरायकेला, खरसावां, राजनगर, पटमदा, नीमडीह, घाटशिला, बहरागोड़ा आदि जगहों से श्रद्धालु पहुंते हैं।
-रंजीत मंडल, घोड़ानेगी, श्रद्धालु