जमशेदपुर की बहू ने पुणे जाकर बोन मैरो किया दान, बच गई युवक की जान Jamshedpur news
जमशेदपुर की बहू ने पुणे जाकर बोन मैरो दान किया। इससे जानलेवा अप्लास्टिक एनीमिया से पीडि़त व्यक्ति की जान बच गई। किरण सिंह ने पहली बार अकेले करीब 1700 किलोमीटर का सफर तय किया।
जमशेदपुर, जासं। लौहनगरी की बहू किरण सिंह ने ऐसी नजीर पेश की है जो कम ही देखने या सुनने को मिलती है। पुणे में बिहार के वैशाली जिले के फतेपुर गांव के निवासी चंदन कुमार की जिंदगी शायद नहीं बच पाती, यदि ऐन मौके पर किरण सिंह ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए बोन मैरो दान नहीं किया होता। वह भी पहली बार शहर से अकेले करीब 1700 किलोमीटर दूर पुणे जाकर। अब चंदन कुमार स्वस्थ हैं और किरण सिंह भी अपने घर जमशेदपुर के गदड़ा स्थित अपने घर लौट आई हैं।
चंदन को थी जानलेवा अप्लास्टिक एनीमिया
बिहार के फतेपुर गांव निवासी चंदन कुमार पुणे में नौकरी करते थे। वहां वे बीमार पड़े, तो जांच के बाद पता चला कि उन्हें अप्लास्टिक एनीमिया (एक प्रकार का कैंसर) है। पुणे के मिलिट्री कमांड हॉस्पिटल (एमएचसीटीसी) में इलाज के दौरान चिकित्सकों ने बोन मेरो ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई। इसके बाद परिजनों ने खोज शुरू की कि कोई ऐसा मिले, जिसके बोन मेरो दान करने से चंदन की जान बचाई जा सके। पुणे से लेकर बिहार व झारखंड के तमाम रिश्तेदारों व मित्रों से मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन कहीं से सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इसी क्रम में बिहार से जुड़ी किरण सिंह से भी परिजनों का संपर्क हुआ। वे इसके लिए तैयार हुईं और अपने परिवार और चंदन के परिजनों से बातचीत कर पुणे के लिए निकल गईं।
डॉक्टरों ने की लंबी काउंसिलिंग
पुणे में लंबी जांच प्रक्रिया के बाद किरण सिंह का बोन मेरो चंदन के बोन मेरो से मैच कर गया। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने किरण की कई बार काउंसिलिंग की। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद किरण के बोन मेरो को ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया। विगत 14 अक्टूबर को डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया। इसके बाद चंदन का स्वास्थ्य तेजी से बेहतर होने लगा। किरण के पति शंभू सिंह भी पुणे पहुंचे और पत्नी को साथ लेकर शहर लौटे।
मिलिट्री अस्पताल के जवानों ने किया सैल्यूट
किरण के पति शंभू सिंह बताते हैं कि इस बहादुरी के साथ जान बचाने पर पुणे के मिलिट्री अस्पताल में किरण की चर्चा रही। वहां के जवानों ने भी इस किरण को सैल्यूट कर सम्मान प्रकट किया। मिलिट्री अस्पताल ने इस पूरे प्रोसेस को नेट पर अपलोड किया है। शंभू सिंह के अनुसार इससे और लोगों को भी दूसरों की जान बचाने की प्रेरणा मिलेगी।
क्या है अप्लास्टिक एनीमिया
अप्लास्टिक एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार है। इसमें बोन मैरो से पर्याप्त मात्रा में नई लाल रक्त कणिकाएं नहीं बन पाती हैं। चक्कर आना, कमजोरी, थकान इसके प्रमुख लक्षण हैं।