जैविक खाद से लहलहा रही बगिया, फूलों से महक रहा एनटीटीएफ
रासायनिक खाद के इस्तेमाल से हम फूलों का आकार बढ़ा सकते हैं लेकिन इससे फूल अपनी वास्तविक सुगंध खो देते हैं और फूलों में जमे रसायन हमारी सेहत पर बुरा असर डालते हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : रासायनिक खाद के इस्तेमाल से हम फूलों का आकार बढ़ा सकते हैं, लेकिन इससे फूल अपनी वास्तविक सुगंध खो देते हैं और फूलों में जमे रसायन हमारी सेहत पर बुरा असर डालते हैं। रसायनों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अब परंपरागत बागवानी की समाधान है। घर की बगिया और लॉन में जैविक खाद का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह कहना है एनटीटीएफ यानि नैतूर टेक्नीकल ट्रेनिंग फाउंडेशन के वरूण कुमार का। उन्होंने कहा कि घर या संस्थान की बगिया हरी-भरी हो तो हर किसी को भी अच्छा लगता है। सुरक्षित भविष्य के लिए हमें रासायनिक खाद को छोड़कर जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही दूसरे लोगों को भी जैविक खाद के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना चाहिए। गोलमुरी स्थित एनटीटीएफ परिसर स्थित बगिया में करीब 30 प्रकार के फूल हैं। सभी जैविक खाद से महक रहे हैं। संस्थान के पूर्व प्राचार्य कर्नल केवी नायर ने परिसर में बागवानी शुरू करवाई थी। उनकी प्रेरणा से ही वर्तमान प्राचार्य सतीश जोशी इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। संस्था के प्रधान माली अमूल्य के साथ अन्य माली बगिया को सुंदर और आकर्षक बनाने में जुटे रहते हैं। संस्था परिसर में पांच सौ गमलों पर भी फूल खिलखिला रहे हैं। इसमें हर तरह के फुल, सजावटी पौधे और पौधे लगाए गए हैं। यहां गेंदा, गुलाब, डहलिया, लिली, सूरजमुखी, पिटूनिया समेत आमारदायक धास भी लगाए गए है। इसके साथ ही कुछ बड़े पौधे जमीन में लगाए हैं। यहां रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। संस्था का मानना है कि रसायनों का दुष्प्रभाव केवल मिट्टी पर ही नहीं होता है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।