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Jamshedpur News : चौंकिए...क्योंकि जमशेदपुर के घरों में कुत्ते, खरगोश, भेड़िया व चीता पहुंचा रहे बिजली

Jamshedpur News बिजली पहुंचाने के लिए पहले स्क्वायरल व रैबिट का ज्यादा उपयोग होता था। धीरे-धीरे बिजली के अधिक उपयोग को देखते हुए जेब्रा डाग पैंथर व उल्फ का प्रयोग होने लगा। हर पशु अपने क्षमता के अनुसार बिजली पहुंचाती है।

By Sanam SinghEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 06:15 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 06:15 PM (IST)
Jamshedpur News :  चौंकिए...क्योंकि जमशेदपुर के घरों में कुत्ते, खरगोश, भेड़िया व चीता पहुंचा रहे बिजली
Jamshedpur News : पशु के नाम से तार के नाम होने पर मिस्त्री को काम करने में सहूलियत होती है।

मनोज सिंह, जमशेदपुर : आप यह सुनकर हैरान रह जाएंगे, कि आपके घर में जो बिजली आ रही है, उसे कुत्ता, खरगोश, चीता, जेब्रा व भेड़िया के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। जी हां, चौंकिए मत! जिस बिजली से आपके घर के उपकरण चलते हैं, वह बिजली आपको गिलहरी, खरगोश, कुत्ता, चीता, जेब्रा के माध्यम से मिलती है।

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बिजली का तार यानि कंडक्टर में करंट प्रवाहित करने की क्षमता उसमें प्रयुक्त धातु और व्यास पर निर्भर करता है। दरअसल बिजली के समूचे तंत्र या ट्रांसमिशन लाइन में जानवरों के नाम से कंडक्टर के नाम रखे गए हैं। कितना करंट किस तार में प्रवाहित कर बिजली दूसरे स्थान पर भेजना है, यह लगाए गए कंडक्टर पर निर्भर करता है। पुराने समय से ही तार यानी कंडक्टर का प्रयोग हो रहा है। पहले स्क्वायरल व रैबिट लाइन कंडक्टर का ज्यादा उपयोग हाता था। धीरे-धीरे बिजली के अधिक उपयोग को देखते हुए जेब्रा, डाग, पैंथर व उल्फ लाइनों का ज्यादा उपयोग होने लगा।

नाम में ताकत, चालाकी व हर परिस्थिति में जिंदा रहने की क्षमता दर्शाती

बिजली विभाग ने तारों का नामकरण जानवरों के नाम पर कर रखा है। जैसे मूस, जेब्रा, उल्फ, रैबिट, डाग से लेकर दो दर्जन से अधिक जानवरों के नाम से तारों के नाम है। जमशेदपुर के विद्युत महाप्रबंधक प्रतोष कुमार कहते हैं कि चूंकि जानवरों के नाम का तार लगाने वाले बिजली मिस्त्री को काम करने में सहूलियत होती थी। यही कारण है कि तारों के नाम जानवरों पर रख दिए गए। जिस प्रकार जानवर हर मौसम और परिस्थिति में अपने आप को जिंदा रखते हैं, ठीक उसी प्रकार बिजली के तार हर मौसम में स्थिर रहकर काम करते हैं। इसके अलावा नामकरण में जानवरों की ताकत, चालाकी, फुर्तीलापन आदि का भी ख्याल रखा गया है।

कहां किस लाइन का होता है उपयोग व उसकी क्षमता

स्क्वायरल या गिलहरी : स्क्वायरल लाइन का उपयोग घरों के आसपास तारों में होता है। इस तार की मोटाई 22 मिमी स्क्वायर व करंट प्रवाहित की क्षमता 105 एंपियर होती है।

वीजल या नेवला : इस लाइन का उपयोग घरों-मशीनों के उपयोग में आता है। इस तार की मोटाई 34 मिमी स्क्वायर व क्षमता 155 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

रैबिट या खरगोश : इस लाइन का उपयोग बस्तियों में लाइन देने के लिए होता है। इसकी मोटाई 55 मिमी स्क्वायर व क्षमता 210 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

डाग या कुत्ता : यह पावर ग्रिड से बाहर ले जाने के लिए उपयोग में आती है। इसकी मोटाई 100 मिमी स्क्वायर व क्षमता 325 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

उल्फ या भेड़िया : यह पावर ग्रिड से बाहर ले जाने के लिए उपयोग में आता है। इसकी मोटाई 173 मिमी स्क्वायर व क्षमता 460 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

पैंथर या चीता : यह पावर ग्रिड तथा लाइन खींचने के लिए होती है। इसकी मोटाई 232 मिमी स्क्वायर व क्षमता 520 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

जेब्रा : यह कंडक्टर पावर ग्रिड तथा सिस्टम में लगता है। इसकी मोटाई 465 मिमी स्क्वायर व इसकी क्षमता 800 एंपियर करेंट प्रवाहित करने की होती है।

मूस (एक प्रकार का हिरण) : यह पावर स्टेशन से ग्रिड में पावर लाने के लिए होती है। इसकी मोटाई 570 मिमी स्क्वायर व इसकी क्षमता 900 एंपियर करंट प्रवाहित करने की होती है।

पैंथर व उल्फ लाइन का हो रहा अधिक उपयोग

नई कालोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के लिए ज्यादा क्षमता वाली उल्फ व पैंथर लाइन का उपयोग हो रहा है। वर्तमान समय में 30 साल पुराने डाग तार को बदल कर उसके स्थान पर उल्फ व पैंथर तार का उपयोग किया जा रहा है। जादूगोड़ा-हाता-पोटका की 27 किमी लंबी हाइटेंशन तार को डाग से उल्फ में बदला जा रहा है। पैंथर या उल्फ तार भविष्य में झूलने की स्थिति में नहीं होती है। - दीपक कुमार, विद्युत अधीक्षण अभियंता, जमशेदपुर


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