Jamshedpur News : चौंकिए...क्योंकि जमशेदपुर के घरों में कुत्ते, खरगोश, भेड़िया व चीता पहुंचा रहे बिजली
Jamshedpur News बिजली पहुंचाने के लिए पहले स्क्वायरल व रैबिट का ज्यादा उपयोग होता था। धीरे-धीरे बिजली के अधिक उपयोग को देखते हुए जेब्रा डाग पैंथर व उल्फ का प्रयोग होने लगा। हर पशु अपने क्षमता के अनुसार बिजली पहुंचाती है।
मनोज सिंह, जमशेदपुर : आप यह सुनकर हैरान रह जाएंगे, कि आपके घर में जो बिजली आ रही है, उसे कुत्ता, खरगोश, चीता, जेब्रा व भेड़िया के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। जी हां, चौंकिए मत! जिस बिजली से आपके घर के उपकरण चलते हैं, वह बिजली आपको गिलहरी, खरगोश, कुत्ता, चीता, जेब्रा के माध्यम से मिलती है।
बिजली का तार यानि कंडक्टर में करंट प्रवाहित करने की क्षमता उसमें प्रयुक्त धातु और व्यास पर निर्भर करता है। दरअसल बिजली के समूचे तंत्र या ट्रांसमिशन लाइन में जानवरों के नाम से कंडक्टर के नाम रखे गए हैं। कितना करंट किस तार में प्रवाहित कर बिजली दूसरे स्थान पर भेजना है, यह लगाए गए कंडक्टर पर निर्भर करता है। पुराने समय से ही तार यानी कंडक्टर का प्रयोग हो रहा है। पहले स्क्वायरल व रैबिट लाइन कंडक्टर का ज्यादा उपयोग हाता था। धीरे-धीरे बिजली के अधिक उपयोग को देखते हुए जेब्रा, डाग, पैंथर व उल्फ लाइनों का ज्यादा उपयोग होने लगा।
बिजली विभाग ने तारों का नामकरण जानवरों के नाम पर कर रखा है। जैसे मूस, जेब्रा, उल्फ, रैबिट, डाग से लेकर दो दर्जन से अधिक जानवरों के नाम से तारों के नाम है। जमशेदपुर के विद्युत महाप्रबंधक प्रतोष कुमार कहते हैं कि चूंकि जानवरों के नाम का तार लगाने वाले बिजली मिस्त्री को काम करने में सहूलियत होती थी। यही कारण है कि तारों के नाम जानवरों पर रख दिए गए। जिस प्रकार जानवर हर मौसम और परिस्थिति में अपने आप को जिंदा रखते हैं, ठीक उसी प्रकार बिजली के तार हर मौसम में स्थिर रहकर काम करते हैं। इसके अलावा नामकरण में जानवरों की ताकत, चालाकी, फुर्तीलापन आदि का भी ख्याल रखा गया है।
स्क्वायरल या गिलहरी : स्क्वायरल लाइन का उपयोग घरों के आसपास तारों में होता है। इस तार की मोटाई 22 मिमी स्क्वायर व करंट प्रवाहित की क्षमता 105 एंपियर होती है।
पैंथर व उल्फ लाइन का हो रहा अधिक उपयोग
नई कालोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के लिए ज्यादा क्षमता वाली उल्फ व पैंथर लाइन का उपयोग हो रहा है। वर्तमान समय में 30 साल पुराने डाग तार को बदल कर उसके स्थान पर उल्फ व पैंथर तार का उपयोग किया जा रहा है। जादूगोड़ा-हाता-पोटका की 27 किमी लंबी हाइटेंशन तार को डाग से उल्फ में बदला जा रहा है। पैंथर या उल्फ तार भविष्य में झूलने की स्थिति में नहीं होती है। - दीपक कुमार, विद्युत अधीक्षण अभियंता, जमशेदपुर