Jamshedpur के जेल में बैठकर अपराधी करते नशे का धंधा...मांगते है रंगदारी...करतवाते है हत्याएं
Jamshedpur Crime News आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती निवासी अफसर अली सरायकेला जेल में ड्रग्स की खरीद-बिक्री के आरेप में विगत 10 माह से बंद है। वह जेल से ड्रग्स की बिक्री पत्नी सलमा खातून के माध्यम से जमशेदपुर में करवाता था।
अन्वेश अंबष्ठ, जमशेदपुर : घाघीडीह सेंट्रल जेल, चाईबासा या सरायकेला का जेल हो। पेशेवर अपराधियों के लिए जेल सुरक्षित पनाहगाह बन चुकी है। जेल से अपराधी गिरोह चला रहे। ड्रग्स का धंधा करवा रहे। गुर्गो की मदद से रंगदारी की वसूली की जा रही है। धमकी दिलवाई जा रही है। सुपारी लेकर हत्या करवाने से भी परहेज नहीं। सबकुछ सेटिंग-गेटिंग से चल रहा है। कहने को जेल में है और बाहरी दुनिया से इनके संपर्क है। मन की मर्जी चला रहे है। दबंगई कर रहे है। पैसा फेंको तमाशा देखो की तर्ज पर सबकुछ जारी है। प्रत्यक्ष उदाहरण सामने है।
आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती निवासी अफसर अली सरायकेला-खरसावां जिले के सरायकेला जेल में ड्रग्स की खरीद-बिक्री के आरेप में विगत 10 माह से बंद है। वह जेल से ड्रग्स की बिक्री पत्नी सलमा खातून के माध्यम से जमशेदपुर में करवा रहा था। उसके गुर्गे आदित्यपुर और उससे सटे क्षेत्र से रंगदारी वसूल रहे थे। रकम सलमा खातून तक पहुंच रहे थे। बंगाल का ड्रग्स तस्कर उसके संपर्क में है जो बंगाल से जमशेदपुर आकर ड्रग्स पहुंचा जा रहा था। जेल से सबकुछ संचालित होना बहुत बड़ी बात है और व्यवस्था पर सवालिया निशान है। अफसर काे जमशेदपुर की सीतारामडेरा थाना की पुलिस रिमांड पर लेने की तैयारी में है।
ड्रग्स पैडलर डाली परवीन जिसे आदित्यपुर थाना की पुलिस ने जुलाई 2020 में गिरफ्तार किया था। वह भी एमजीएम अस्पताल के बंदी वार्ड में आरमा फरमा रही है। सरायकेला जेल प्रशासन ने उसे इलाज के लिए वहां दाखिल करवा रखा है। उसके विरुद्ध कई मामले दर्ज है। उसके रिश्तेदार कलीम खान को सरायकेला कोर्ट से वापसी के दौरान अपराधियों ने गोली मार दी। वह रिम्स, रांची में दाखिल है। डाली, अफसर अली, सलमा, कलीम, कादिम सभी आदित्यपुर मुस्लिम बस्ती के है। अफसर अली की बहन मुन्नी की हत्या आदित्यपुर में कर दी गई थी। सभी का एक-दूसरे से जुड़ाव है और ड्रग्स के धंधे में शामिल है। सलमा खातून ड्रग्स के धंधे में जेल जा चुकी है।
जेल से गिरोह संचालित होने के मामले आते रहे है सामने
जेल से अपराध का खेल कोई नया नहीं है। हमेशा ऐसे मामले सामने आते है, लेकिन जेल प्रशासन और पुलिस का ध्यान तब जाता है जब बड़ी वारदात हो चुकी होती है। अफसर के पहले रांची जेल में बंद छोटू पंडित हत्याकांड में सजायाफ्ता विकास तिवारी मानगो के कारोबारियों से रंगदारी मांगने का मामला पहले सामने आ चुका है। उसके गुर्गो को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पलामू का अपराधी सुजीत सिन्हा घाघीडीह सेंट्रल जेल से गिरोह संचालित कर रहा था। रंगदारी की मांग की जा रही थी। उसे धनबाद जेल शिफ्ट किया गया। टेल्को के मोनू दास की हत्या जेल मे बंद उसके विरोधी भीम कामत ने करा दी थी। आदित्यपुर के बालू कारोबार सुजय नंदी की हत्या घाघीडीह जेल मेें बंद कृष्णा गोप ने करा दी थी। कई ऐसे उदाहरण है।