Jamshedpur News : एक करोड़ रुपए के पीएफ घोटाले की सीबीआइ करेगी जांच, अब तक साढ़े छह लाख वसूले
Jamshedpur PF Scam क्षेत्रीय आयुक्त कार्यालय को निर्देश दिया गया है कि वह इस मामले की प्राथमिकी स्थानीय थाने में ना कराएं। चूंकि इस तरह का मामला देश भर में मिल रहा है लिहाजा मुख्यालय इसकी संयुक्त जांच सीबीआइ से कराएगा।
जमशेदपुर : भविष्य निधि (पीएफ) विभाग, जमशेदपुर में ‘प्रधानमंत्री आत्म निर्भर भारत अभियान’ योजना के माध्यम से एक करोड़ रुपये के घोटाले का जो मामला सामना आया है, उसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) करेगी। इस आशय का निर्देश क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, जमशेदपुर को नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से मिला है। क्षेत्रीय आयुक्त कार्यालय को निर्देश दिया गया है कि वह इस मामले की प्राथमिकी स्थानीय थाने में ना कराएं। चूंकि इस तरह का मामला देश भर में मिल रहा है, लिहाजा मुख्यालय इसकी संयुक्त जांच सीबीआइ से कराएगा।
उधर, इस मामले में विभाग ने घोटाले के मुख्य आरोपित प्रसेनजीत घोष को कार्यालय में बुलाकर पूछताछ की, जिसमें उसने अब तक 30 लाख रुपये मिलने की बात स्वीकार की है। अधिकारियों के दबाव बनाने पर उसने ठगी से मिले पांच लाख रुपये विभाग को जमा करा दिया है। वहीं विभाग ने उन सभी बैंकों को चिट्ठी लिखकर फर्जी कंपनी के कर्मचारियों के खाते में गई पीएफ राशि लौटाने का आग्रह कर रही है, जिसके बाद अब तक 1.50 लाख रुपये बैंकों से पीएफ विभाग को मिल चुके हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक आरोपित प्रसेनजीत घोष विभिन्न छोटी कंपनियों के पीएफ मामले को देखता था, इसलिए उसे पीएफ से संबंधित गतिविधियों की जानकारी थी। जैसे ही केंद्र सरकार ने कोरोना काल में रोजगार बढ़ाने के लिए यह योजना लांच की, उसे यह खुराफात सूझा। उसने स्वयं और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 11 शेल कंपनी खोल ली। किसी में वह अकेला मालिक बना, तो किसी में साझेदार। सभी कंपनियां लेबर सप्लाई कंपनी से संबंधित थीं। उसने एक दंपती से संपर्क साधकर मनरेगा मजदूरों का बैंक खाता व आधार कार्ड जुगाड़ कर लिया। विभाग ने सभी 11 शेल कंपनियों का पीएफ एकाउंट ब्लाक कर दिया है।
सभी कर्मचारियों का वेतन 14 या 15 हजार रुपये रखा
फिलहाल पीएफ रजिस्ट्रेशन आनलाइन होता है, इसलिए उसे सफलता मिलती गई। रजिस्ट्रेशन के छह माह बाद विभाग उन कंपनियों का भौतिक सत्यापन या जांच करता है, जिनकी गतिविधि संदिग्ध होती है। लेकिन यह नियमित रूप से हर तिमाही रिटर्न फाइल करता था, इसलिए विभाग का ध्यान इन फेक कंपनियों पर नहीं गया। जमशेदपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय को मुख्यालय से निर्देश आया कि प्रधानमंत्री आत्म निर्भर भारत योजना में गड़बड़ी की आशंका है। उन कंपनियों की जांच की जाए तो दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच खुली हैं। इस निर्देश पर जब यहां जांच हुई तो प्रसेनजीत घोष से जुड़ी इन कंपनियों पर शक हुआ, क्योंकि इसने इसी अवधि में कंपनियों का आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था। शक इसलिए भी गहरा हो गया, क्योंकि इसके सभी कर्मचारियों का वेतन 14 से 15 हजार रुपये के बीच था। ऐसा उसने अधिकतम राशि का घपला करने की नीयत से किया था। इस योजना में केंद्र सरकार कर्मचारी के वेतन का 12 प्रतिशत और नियोक्ता का 12 प्रतिशत अंशदान दे रही थी। इससे करीब एक करोड़ रुपये की राशि विभाग से निर्गत हुई।