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Jamshedpur News :अगर आपके परिवार में किसी को है सफेद दाग तो आप इतने साल तक रहे सचेत

World Vitiligo Day पर विशेष बीमारी को लेकर जमशेदपुर के जाने-माने चर्म रोग विशेषज्ञ डा. आर कुमार द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। शुरुआती दौर में बीमारी की पहचान होने से उसका शत प्रतिशत इलाज संभव है।

By Sanam SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 12:30 AM (IST)
World Vitiligo Day Special : अधिकांश मामले फैमली हिस्ट्री (जेनेटिक) के कारण देखा जाता है।

अमित तिवारी, जमशेदपुर : सफेद दाग का रोग कभी भी किसी को हो सकता है। इसका अभी तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। लेकिन, अधिकांश मामलों में फैमली हिस्ट्री (जेनेटिक) देखा जाता है। इस बीमारी को लेकर इंडियन एसोसिएशन आफ डर्मेटोलाजिस्ट, वेनेरियोलाजिस्ट एवं लेप्रोलाजिस्ट (आइएडीवीएल) झारखंड शाखा के को-आर्डिनेटर सह जमशेदपुर के जाने-माने चर्म रोग विशेषज्ञ डा. आर कुमार द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 980 सफेद रोगियों पर तैयार की गई रिपोर्ट में 60 प्रतिशत मरीज उम्र 20 साल से कम और 92 प्रतिशत मरीज उम्र 40 तक के मिले हैं। इससे पता चलता है कि जिनके घरों में अगर किसी को सफेद दाग की बीमारी हैं तो उन्हें उम्र 40 तक विशेष तौर पर सावधान होने की जरूरत है। इस बीच शरीर पर अगर किसी तरह के दाग-धब्बे की शिकायत आए तो उसे नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करें। शुरुआती दौर में बीमारी की पहचान होने से उसका शत प्रतिशत इलाज संभव है।

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मधुमेह व थायराइड मरीजों को सावधान होने की जरूरत

रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि जिन्हें मधुमेह व थायराइड हैं उन्हें सफेद दाग का रोग होने का अधिक खतरा है। वैसे लोगों को सावधान होने की जरूरत है। 980 सफेद रोगियों में 149 लोग थायराइड व मधुमेह से भी ग्रस्त मिले हैं। यानी 15 प्रतिशत। इसका मुख्य कारण उनका रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना भी बताया जा रहा है। हालांकि,मेडिकल साइंस में अभी तक इस बीमारी का स्पष्ट कारण का पता नहीं चल सका है।

सफेद दाग क्या है

सफेद दाग एक प्रकार का त्वचा विकार है, जिसे सामान्यत: ल्यूकोडर्मा के नाम से जाना जाता है। जिसे सफेद दाग भी बोला जाता है। यह एक आटो इम्यून डिजीज है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्य प्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं। इससे त्वचा पर सफेद धब्बे नजर आने लगते हैं।

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इस बीमारी का लक्षण

- शरीर के किसी भी भाग में त्वचा का रंग हल्का पड़ना अथवा सफेद होना।

- प्रभावित स्थान पर खुजली होना।

- चोट, जलने, छिलने पर चमड़ी सफेद होना।

- शरीर, सिर एवं भौहों के बाल सफेद होना।

- तिल के आसपास सफेद घेरा बनना।

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चार तरह से होता सफेद दाग का इलाज

- दवा खिलाकर।

- दवा के साथ फोटो थेरेपी।

- लेजर मशीन।

- सर्जरी के द्वारा।

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- आइएडीवीएल झारखंड शाखा के को-आर्डिनेटर द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य आए सामने

- लोगों को सावधान होने की जरूरत, सफेद दाग का इलाज शत प्रतिशत संभव

जब इंसान के शरीर में रंग बनाने वाले सेल विपरीत अवस्था में कार्य करने लगते हैं तो त्वचा पर सफेद दाग दिखाई देने लगते हैं। लेकिन वर्षों पहले इसे श्वेत कुष्ठ माना जाता था। लोगों ने इसे कुष्ठ मानकर मरीज से दूरी बनाना शुरू कर दिया। जबकि यह गलत है। सफेद दाग छुआछूत की बीमारी नहीं है और न ही ये किसी तरह का कुष्ठ है। इसका इलाज शत प्रतिशत संभव है।

- डा. आर. कुमार, चर्म रोग विशेषज्ञ।


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