Lockdown : मास्क-सैनिटाइजर की हो रही कालाबाजारी, लॉकडाउन से दवा कारोबार आधा गिरा Jamshedpur News
लॉकडाउन में अस्पतालों के ओपीडी बंद कर दिए गए हैं तो कोरोना के डर से डॉक्टरों ने निजी क्लीनिक में भी बैठना बंद कर दिया है।
जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन में दवा दुकानों को खोलने की छूट दी गई है, लेकिन इसका लाभ दवा कारोबारियों को नहीं मिल रहा है।
लॉकडाउन में अस्पतालों के ओपीडी बंद कर दिए गए हैं, तो कोरोना के डर से डॉक्टरों ने निजी क्लीनिक में भी बैठना बंद कर दिया है। घर जाने पर भी कई डाक्टर मरीजों को नहीं देख रहे हैं। अब तो कोरोना के इलाज से जुड़े डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मी को घर जाने से भी मना कर दिया है। उनके लिए होटल व गेस्ट हाउस अधिग्रहित किए गए हैं। इससे दवा दुकान पर आने वाले ग्राहक भी बहुत कम हो गए हैं, जिससे दवा कारोबार लगभग आधा हो गया है।
जमशेदपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल अग्रवाल बताते हैं कि क्लीनिक व ओपीडी बंद होने से दवा लेने के लिए दुकान आने वाले ग्राहकों की संख्या लगभग आधी हो गई है। लॉकडाउन की वजह से सर्दी-खांसी में अधिकतर लोग घरेलू नुस्खे प्रयोग कर रहे हैं। बीपी-शुगर की दवाओं का स्टॉक जनता कफ्र्यू के घोषणा होते ही समाप्त हो गया था। गंभीर बीमारी के मरीज, जिन्हें कोई दवा लंबे समय तक चलनी है, उसी दौरान स्टॉक कर लिया था। लिहाजा अब उनके मरीज भी नहीं आ रहे हैं। अब दवाओं की आपूर्ति हुई है, लेकिन खरीदार ही कम हैं। मास्क और सैनिटाइजर की आवक पूरी है, लेकिन पता नहीं क्यों इसकी कमी बताई जा रही है।
उधर, दवा कारोबारी प्रिंस लिंकन ने बताया कि उन्हें एक माह से सैनिटाइजर नहीं मिला है। वे हर दूसरे-तीसरे दिन स्टाकिस्ट से सैनिटाइजर मांगते हैं, लेकिन नहीं मिलता। उधर, सैनिटाइजर की कालाबाजारी रोज पकड़ी जा रही है। शुक्रवार को भी जुगसलाई की एक दवा दुकान में छापेमारी हुई, जिसमें काफी मात्रा में सैनिटाइजर पकड़ा गया। शहर में हर दिन औसतन एक करोड़ रुपये की दवा का कारोबार होता था, जो अब घटकर 50 लाख तक पहुंच गया है।
दर निर्धारण से सैनिटाइजर हुआ गायब
सिंहभूम फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह बताते हैं कि सामान्य बीमारी की दवा कम बिक रही है, लेकिन स्टॉक में कोई कमी नहीं है। सैनिटाइजर सभी दुकान के पास है, लेकिन अनजान ग्राहक को वे बताते हैं कि माल नहीं है।
इसकी वजह सरकार द्वारा सैनिटाइजर का दर निर्धारण करना है। पहले से मार्केट में जो सैनिटाइजर हैं, उनकी अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) भी काफी अधिक है। बहुत ज्यादा एमआरपी रखना भी ड्रग एक्ट का उल्लंघन है। पहले सैनिटाइजर सिर्फ सर्जरी के काम आता था। आम लोग नहीं के बराबर खरीदते थे। अब सबको रेट भी पता हो गया है और छापेमारी भी हो रही है। इसलिए माल रहते हुए दुकानदार चोरी-छिपे बेच रहे हैं।
सैनिटरी नैपकिन की आवक घटी
फिलहाल बाजार में मास्क और सैनिटाइजर की ही नहीं, सैनिटरी नैपकिन की भी कमी हो गई है। दवा कारोबारी बताते हैं कि शायद नैपकिन निर्माता मास्क बनाने में व्यस्त हो गए हैं, इसलिए इसकी आवक कम है।
सैनिटाइजर की कालाबाजारी में गिरफ्तार पिता-पुत्र को पुलिस ने भेजा जेल
जुगसलाई थाना की पुलिस ने सैनिटाइजर की कालाबाजारी में गिरफ्तार किए गए अशोक कुमार अग्रवाल और उसके पुत्र सुरेश अग्रवाल को शनिवार को जेल भेजने से पहले एमजीएम अस्पताल में मेडिकल जांच को लेकर पहुंची। वहां अजय अग्रवाल बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल की बेड पर लेट गया ताकि जेल नहीं जा सके। चिकित्सकों ने ब्लड प्रेशर की जांच की। इसके बाद पुलिस वाले उसे और उसके पुत्र को न्यायालय ले गए। वहां से जेल भेज दिया।
शुक्रवार को औषधि विभाग और प्रशासन की टीम ने जुगसलाई डिकोस्टा रोड के श्री बालाजी ट्रेडर्स और श्रीबालाजी ड्रग सर्जिकल में छापामारी की थी। बड़ी मात्रा में सैनिटाइजर जब्त किया था। 45 रुपये का सैनिटाइजर 100 से 125 रुपये में बेची जा रही थी। इस तरह 34 हजार सैनिटाइजर तय राशि से अधिक कीमत पर बेच दी गई थी। औषधि निरीक्षक कुंज बिहारी की शिकायत पर दोनों के खिलाफ जुगसलाई थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।