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यहां अपराधियों से नहीं, जर्जर थानों से लोहा लेकर हांफ रही पुलिस

जमशेदपुर का नाम औद्योगिक नगरी के रूप में तो है ही साथ ही इसे क्लीन सिटी ग्रीन सिटी का तमगा भी हासिल है। बावजूद हकीकत में इस शहर के दो चेहरे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 12:50 PM (IST)
यहां अपराधियों से नहीं, जर्जर थानों से लोहा लेकर हांफ रही पुलिस
यहां अपराधियों से नहीं, जर्जर थानों से लोहा लेकर हांफ रही पुलिस

जमशेदपुर, मनोज सिंह। देश में जमशेदपुर का नाम औद्योगिक नगरी के रूप में तो है ही, साथ ही इसे क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी का तमगा भी हासिल है। बावजूद हकीकत में इस शहर के दो चेहरे हैं। एक चकाचक और दूसरा बदरंग। टाटा कमांड एरिया जहां चमचमाता है तो वहीं गैर कंपनी इलाका जर्जर।

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करीब तीन लाख की आबादी वाले मानगो की हालत भी ऐसी ही। जर्जर। इस इलाके में चार थाने हैं, लेकिन किसी भी थाने का अपना पूर्ण रूप से न भवन है और ना ही मूलभूत सुविधाएं। थानों में तैनात पुलिस के जवानों को रोज पहले इन समस्याओं से लोहा लेना पड़ता, तब जाकर वे अपराधियों से लोहा लेने को तैयार हो पाते हैं। जब दैनिक जागरण के संवाददाता ने मानगो क्षेत्र के इन चार थानों का दौरा किया तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पढि़ए थानों का आंखों देखा हाल।

मानगो थाना

शहर के अति संवेदनशील थानों में से एक है मानगो थाना। 40 साल से अधिक पुराने मानगो थाना ने कई दंगे देखे। इस थाने का आज तक अपना भवन नहीं है। मानगो थाना किराए की कोठरीनुमा मकान में चलता है। मानगो थाना में रहने वाले पुलिस के जवानों के लिए केवल पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध है, पावर कटने पर जनरेटर व इनवर्टर की सुविधा भी है, लेकिन अभाव है तो शौचालय की। थाने में रहने वाले जवान चाहे महिला हो या पुरुष उन्हें शौच के लिए 100 मीटर दूर गांधी मैदान में बने सुलभ शौचालय का उपयोग करना पड़ता है। बरसात हो जाने पर थाना भवन की छत भी चटकने लगती है।

उलीडीह थाना

मानगो डिमना रोड में स्थित उलीडीह थाने का भी अपना भवन नहीं है। थानेदार के एक कमरे के अलावा बरामदा से ही सारा काम होता है। थाने में सरकारी नल लगा हुआ है, जिसका उपयोग नहाने व कपड़ा साफ करने में किया जाता है। जब एक सिपाही से पूछा गया कि पीने का पानी कहां से लाते हैं तो उनका कहना था कि कुछ लोग खरीदकर जार मंगाते हैं तो कुछ लोग सरकारी नल का ही पानी का उपयोग पीने में करते हैं। शौचालय के संबंध में पूछने पर बताया गया कि थाने में तो शौचालय है ही नहीं। बताया गया कि बगल में सिंचाई विभाग का कार्यालय है, उसी के शौचालय का उपयोग करते हैं।

एमजीएम थाना

एमजीएम थाना नक्सल प्रभावित थानों में से एक है। इस थाने का भी अपना भवन नहीं है। भवन की स्थिति इतनी जर्जर है कि कब गिर जाए भगवान ही मालिक है। जबकि यह थाना शहर के महत्वपूर्ण थानों में से एक है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में पुलिस के जवान रहते हैं। क्यूआरटी टीम भी यहां रहती है। चूंकि एमजीएम थाना का अधिकतर इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। थाना में पानी शौचालय की दिक्कत तो नहीं है, लेकिन भवन की स्थिति पूरी तरह दयनीय है। हालांकि एमजीएम थाना प्रभारी कहते हैं कि नए थाना भवन के लिए जमीन चिन्हित की जा रही है।

आजादनगर थाना

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित आजादनगर थाना भी संवेदनशील थाना है। थाना दो कमरे में चलती है। इसका अपना भवन बना है, लेकिन वह सरायकेला जिले के कपाली में बना दिया गया है। इससे पेच फंस गया। थाने में शौचालय है, लेकिन उसमें कुंडी तक नहीं है। पीने के लिए लोग खरीद कर पानी मंगाते हैं। नहाने व कपड़ा साफ करने के लिए सरकारी नल का उपयोग किया जाता है। मेस में रहने वाले पुलिस के जवान बरामदे में किसी तरह खाना पकाते हैं। थाना प्रभारी कहते हैं कि चुनाव खत्म होने के बाद कपाली में बने थाना भवन की जमीन की मापी कराई जाएगी उसके बाद ही पुलिसकर्मियों को सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।


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