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औद्योगिक नगर बनाने की बात पर जमशेदपुर शहर में मची खलबली, इस वजह से हो रहा विरोध Jamshedpur News

Industrial Town. झारखंड सरकार ने औद्योगिक नगर बनाने की कवायद शुरू कर दी तो शहर में खलबली मच गई। राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ता इसका खुलेआम विरोध कर रहे हैं। विरोध करने की खास वजह भी है। जानिए...

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 03 Nov 2020 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 12:13 PM (IST)
पूर्व मंत्री सरयू राय भी औद्योगिक नगर का विरोध कर रहे हैं।

जमशेदपुर, जासं। जमशेदपुर को औद्योगिक नगर बनाया जाएगा या नगर निगम, इसे लेकर वर्षों से कवायद चल रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इसी बीच झारखंड सरकार ने औद्योगिक नगर बनाने की कवायद शुरू कर दी, तो शहर में खलबली मच गई। राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ता इसका खुलेआम विरोध कर रहे हैं। झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता तक ने कह दिया कि यदि औद्योगिक नगर बनाने की कवायद हुई तो वे खुद आंदोलन पर उतर जाएंगे। इस बात की किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि कोई मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री के निर्णय का इस तरह से विरोध करे। 

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जमशेदपुर पूर्वी के विधायक व झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय भी औद्योगिक नगर का विरोध कर रहे हैं। वह सीधे-सीधे अपनी राय नहीं दे रहे हैं, लेकिन इतना जरूर कह दिया है कि सरकार 86 बस्ती टाटा स्टील को कैसे लौटा सकती है। यह नियम के खिलाफ होगा। संविधान के खिलाफ कोई काम हुआ तो यहां के लोग कोर्ट चले जाएंगे। संवैधानिक नियम के मुताबिक सरकार किसी कंपनी को लीज पर खाली भूखंड दे सकती है, बने-बनाए मकान नहीं दे सकती है। यदि सरकार ऐसा कर रही है, तो गलत होगा। सरयू राय ने पहले भी कहा था कि वे हेमंत सोरेन की सरकार का समर्थन गुण-दोष के आधार पर करेंगे। ऐसे में यह सवाल भी उठने लगा है कि कहीं इसी मुद्​दे पर सरकार में अंतर्कलह तो नहीं गहराने वाला है।

 ये भी उठ रही आशंका

बहरहाल, यह भविष्य के गर्त में है कि आगे क्या होगा। कहीं सरकार कारपोरेट के इशारे पर मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए तो यह काम नहीं कर रही है। सवाल और भी हैं, लेकिन यह समय बीतने के साथ ही सामने आएगा।

इसलिए हो रहा औद्योगिक नगर का विरोध

जमशेदपुर को औद्योगिक नगर बनाने का विरोध सबसे ज्यादा राजनेता या जनप्रतिनिधि कर रहे हैं, क्योंकि औद्योगिक नगर बनने के बाद तीसरे मत का अधिकार तो समाप्त हो ही जाएगा, दूसरे मत का अधिकार भी समाप्त हो जाएगा। उनका कहना है कि जब शहर पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा, तो सरकार कोई राशि भी नहीं देगी। एमपी-एमएलए का फंड कहां खर्च होगा। इससे भी बड़ी बात है कि सरकार इसका आडिट कैसे कराएगी कि कंपनी ने किस मद में कितनी राशि खर्च की। कंपनी जब आज सरकार की चिट्ठी का जवाब नहीं देती है, तब तो और नहीं देगी। इससे भी बड़ा सवाल कि सरकार तक जाने वाला टैक्स निजी कंपनी कैसे वसूलेगी। राजनेताओं का कहना है कि अभी तक देश में कहीं भी औद्योगिक नगर नहीं बना है, जहां इतनी बड़ी आबादी और इतना भूभाग हो।


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