लाल आतंक के साये में पली-बढ़ी बेटियां बनीं टॉपर
लाल आतंक के साये में पली बढ़ी बेटियों ने इस बार जिले के टॉप टेन सूची में अपना स्थान बनाने में सफलता पाई ही। ये टॉपर घाटशिला प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से निकलकर आई हैं।
वेंकटेश्वर राव, जमशेदपुर। इंटर आर्ट्स में जिले में पांचवां स्थान प्राप्त करने वाली रिंकी महतो नक्सली क्षेत्र में शिक्षा की लौ जलाना चाहती है। रिंकी का घर भी घाटशिला के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र डायनमारी में है। रिंकी के पिता लक्ष्मण महतो गरीब घर से आते हैं और छोटे-मोटे किसान हैं। मां मालती महतो गृहणी है। डायनमारी में कई नक्सली घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद इस छात्रा ने हिम्मत नहीं हारी। गांव के मध्य विद्यालय में पढ़ने के बाद रिंकी को कस्तूरबा के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वहां एडमिशन के प्रयास किया। एडमिशन नहीं हो रहा था, लेकिन जिला प्रशासन के फोकस एरिया के कारण उपायुक्त अमित कुमार की मदद से एडमिशन हो गया।
नक्सली क्षेत्र में शिक्षा की लौ जलाएगी रिंकी
रिंकी अब वीमेंस कॉलेज के छात्रावास में रहकर आगे की पढ़ाई करना चाहती है। वह एमए और बीएड करने के बाद शिक्षिका बनना चाहती है, ताकि समाज में शिक्षा की लौ को फैला सके। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में रिंकी ने कहा कि उसे मालूम है कि गांव की क्या हालत है। वे नक्सली क्षेत्र से निकलकर इतनी दूर पहुंची है। गांव में मूलभूत समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए वे आगे बढ़ी और 30 किलोमीटर दूर स्थित गांव से निकलकर घाटशिला के कस्तूरबा में कक्षा नवम में एडमिशन लिया। इसके बाद उसकी जिंदगी बदली। कस्तूरबा के बेहतर माहौल ने उसे आगे बढ़ने को प्रेरित किया। घाटशिला के गालूडीह स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बिलकुल घर जैसा माहौल मिला।
कुल मार्क्स : 500
प्राप्तांक : 366
प्रतिशत : 73.2
हिंदी : 75
अंग्रेजी : 64
भूगोल : 88
होम साइंस : 76
भूगर्भ वैज्ञानिक बनेगी होमगार्ड की बेटी
इंटर आर्ट्स के परीक्षा परिणाम में जिला में सातवां स्थान प्राप्त करने वाली पापिया महतो की ख्वाहिश भूगर्भ वैज्ञानिक बनने की है। पापिया मूल रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्र जोडिसा गांव की रहने वाली है। उसके पिता नीलकंठ महतो होमगार्ड हैं और माता सुमित्रा महतो गृहणी है। पापिया ने बताया कि उसे मैट्रिक में काफी कम नंबर मिला था, सोचा था कि इंटर में कहीं एडमिशन नहीं होगा। लेकिन कस्तूरबा में एडमिशन मिल गई। वहां के शैक्षणिक माहौल के कारण मुझे यह सफलता प्राप्त हुई। पापिया ने बताया कि उसे मैट्रिक की परीक्षा में मात्र 218 अंक मिले थे। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कोई ट्यूशन नहीं। बस स्कूल में जो शिक्षा मिली उसे से ही वे टॉपर बन गई।
कुल मार्क्स : 500
प्राप्तांक : 360
प्रतिशत : 72
हिंदी : 75
भूगोल : 79
होम साइंस : 79
राजनीतिक विज्ञान : 69
इतिहास : 69
प्लास्टिक के फूल बेचकर टॉपर बनी एलबीएसएम की छात्रा
परसुडीह में अपने बड़े पापा गोपाल लुगुन के घर में रहकर एलबीएसएम कॉलेज से पढ़ने वाली संगीता लुगून ने आर्ट्स के परीक्षा परिणाम में जिले में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। संगीता के पिता का नाम कुंअर सिंह लुगुन है और माता का नाम रश्मि लुगुन है। वे लोग मूल रूप से चाईबासा के नक्सल फोकस एरिया गांव बसाहातु गांव की रहने वाली है। मैट्रिक की पढ़ाई उसने खूंटी हाई स्कूल से की है। पिता आदित्यपुर के निजी कंपनी में ठेका कर्मी है। संगीता बताती है उसने मैट्रिक की पढ़ाई के बाद पारिवारिक कारण से वह बड़े पापा के घर परसुडीह में चली आयी।
यहीं पर करनडीह के एलबीएसएम कॉलेज में एडमिशन कराया। संगीता ने बताया कि वह प्लास्टिक के फुल बनाती है। कॉलेज की पढ़ाई वे इसी फुल के कमाई से पूरी की। वह ऑडर्र लेकर लोगों को प्लास्टिक के फुल व गुलदस्ते पहुंचा देती है, इससे उन्हें हर माह औसतन 1000 रुपये की कमाई हो जाती है। वे इस पेशे को आगे भी जारी रखते हुए अपनी पढ़ाई को जारी रखना चाहती है। संगीता बताती है कि अभी वे ग्रेजुएशन करेगी इसके बाद ही अपने भविष्य के बारे में फैसला करेगी। संगीता की इस सफलता पर एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह व इंटर कोर्डिनेटर डॉ. आरके चौधरी ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि छात्रा द्वारा बनाये गये फूलों को कॉलेज प्रशासन भी कभी कभार खरीदता है। वह मेधावी है। उसके पढ़ाई जारी रखने को कॉलेज प्रशासन मदद करेगा।
कुल नंबर : 500
प्राप्तांक : 372
प्रतिशत : 74.4