NIT Jamshedpur convocation : इसरो के चेयरमैन बोले, भारत की अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत
NIT Jamshedpur convocation. इसरो के चेयरमैन ने कहा कि भारत गरीब नहीं है। यहां की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा मजबूत है। विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का बहुत बड़ा योगदान है। छात्र मानवीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तकनीक के विकास पर जोर दें।
जमशेदपुर, जासं। एनआइटी जमशेदपुर का दसवां दीक्षा समारोह वर्चुअल मोड में शनिवार को आयोजित हुआ। इसमें दीक्षांत भाषण इसरो चेयरमैन डा. के सिवन ने दिया। उन्होंने कहा कि भारत गरीब नहीं है। छात्रों को इस बात का ध्यान रखना हो कि मानवीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तकनीक का विकास हो।
इससे पूर्व पहले एनआइटी जमशेदपुर के निदेशक डा. केके शुक्ला ने मुख्य अतिथि इसरो चेयरमैन का स्वागत करते हुए छात्रों को डिग्री प्रदान करने की अनुमति दी। इस समारोह में बीटेक के 556, एम टेक के 186, एमसीए के 74, एमएससी के 50 व पीएचडी के 18 पीएचडी के विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। उसके बाद ओवरआल टॉपर व सिल्वर मेडल लेनेवाले छात्रों का नाम रजिस्ट्रार कर्नल डा. निशित कुमार राय ने लिया। समारोह में यूजी के ओवरआल टापर के रूप में सिद्धांत गुप्ता तथा पीजी के ओवरआल टापर के रूप में रत्नेश कुमार को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। इसके अलावा प्रत्येक ब्रांच के एक टापर कुल 27 छात्रों को सिल्वर मेडल प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डीन एकेडमिक प्रोफेसर अमरेश कुमार ने किया।
इसरो चेयरमैन ने दिया दीक्षांत भाषण
डिग्री प्रदान करने का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद इसरो के चेयरमैन डा. के सिवन ने अपना दीक्षांत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि भारत गरीब नहीं है। यहां की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा मजबूत है। विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे मानवीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तकनीक के विकास पर जोर दें। उन्होंने इसरो में एनआइटी जमशेदपुर के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे ही संस्थानों की बदौलत भारत की विश्व में अलग पहचान बनी हुई है। उन्होंने महात्मा गांधी के कथन लोकल प्रॉब्लम नीड्स लोकल सोल्यूशन पर छात्रों को कार्य करने को कहा।
छात्र अपनी क्षमता को कम नहीं आंके
दीक्षांत भाषण में छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए डा. के सिवन ने कहा कि छात्र किसी भी समस्या का हल करने के बारे में जरूर सोचें। अपनी क्षमता को कमजोर न आंके। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अपना भी योगदान दें। भारत में यह अच्छी बात है शिक्षित वर्ग अब खेती कार्य में दिलचस्पी लेने लगे हैं।