आइएस का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं : प्रधान मुफ्ती
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आइएस (इस्लामिक स्टेट) या दाएश और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर :
आइएस (इस्लामिक स्टेट) या दाएश और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है। इन संगठनों से जुड़े आतंकवादी मुसलमान नहीं हैं। जो आतंकवादी है वह मुसलमान नहीं। इस्लाम अमन का मजहब है। हम आइएस की निंदा करते हैं। आइएस तो इस्लाम के खिलाफ साजिश का नतीजा है। यह बातें आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित जामिया अशरफिया के प्रधान मुफ्ती मो. निजामुद्दीन रिजवी ने मानगो के ईदगाह मैदान में गुरुवार को संपन्न मदरसा दारुल किरत के सालाना जलसे में कहीं।
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वह समझदार बनें और आतंकवादी संगठनों के फरेब से दूर रहें। साथ ही मुसलमानों को अपना किरदार संवारने की भी नसीहत दी। शराब पीना ही नहीं शराब बनाना, शराब बेचना, खरीदना, पिलाना और एक जगह से उठा कर दूसरी जगह ले जाना भी हराम है। गुनाह है। हिसाब-किताब के दिन इसकी सख्त सजा है। क्योंकि, सारे गुनाह की जड़ शराब है। इसलिए शराब से बचो।
इस जलसे में मुख्य तकरीर प्रधान मुफ्ती की रही। उन्होंने कहा कि जमीन पर शराब से ही फसाद पैदा होता है। मुजरिम शराब पीकर ही जुर्म करता है। शराब से जुड़े इन 10 मामलों में इस्लाम ने लानत की है। जिनाकारी (बलात्कार) भी हराम है। जहां जिना होता है वहां धरती कांप उठती है। इस्लाम ने इसे सख्ती से रोका है। पैगंबर-ए-अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. का फरमान है कि जो शराबी है और जो जिनाकार है वह मुसलमान नहीं। मुसलमान वादा निभाएं। वादा खिलाफी किसी से नहीं करें। जिस मुल्क में मुसलमान रहें वहां के दस्तूर के मुताबिक पाबंद रहें। हसद, नफरत, सीने में कीना रखना दिल की बीमारी है। इसलिए इन बीमारियों से दिल को पाक रखना चाहिए। इल्म हासिल करना जरूरी है। कोई कौम इल्म की बुनियाद पर ही तरक्की कर सकती है। हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. ने बताया कि आलिम बनो या तालिब-ए-इल्म बनो या आलिम की बात सुनने वाला बनो या फिर आलिम से मुहब्बत करने वाला बनो। इनमें से कोई नहीं बनोगे तो हलाक हो जाओगे। समारोह की अध्यक्षता जामिया अशरफिया के शिक्षा प्रमुख अल्लामा मो. अहमद मिसबाही ने की। इनके अलावा जामिया के मौलाना मसऊद अहमद बरकाती ने भी तकरीर की। कार्यक्रम में मुफ्ती रेयाज अहमद, मुफ्ती आबिद रजा, मौलाना गुलाम रब्बानी, कारी साबिर अहमद रिजवी, कारी उमर दानिश बरकाती, मरकजी दारुल किरत के प्रिंसिपल मुफ्ती शाहिद रजा मिसबाही भी थे।
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प्रधान मुफ्ती के हाथों दस्तारबंदी
मदरसा दारुल किरत से पढ़ कर निकलने वाले 30 हाफिज-ए-कुरआन और 17 कारी-ए-कुरआन को मुबारकपुर के जामिया अशरफिया के प्रधान मुफ्ती मो. निजामुद्दीन रिजवी के हाथों से दस्तारबांधी गई। कार्यक्रम की शुरुआत कुरआन करीम की तिलावत से हुई। इसके बाद नात-ए-पाक का समां बांधा गया। फिर 30 हाफिज और 17 कारी को स्टेज पर बुला कर दस्तारबंदी हुई। इस दौरान नारा-ए-तकबीर गूंजती रही।
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सवाल-जवाब सेशन में शंका समाधान
प्रधान मुफ्ती प्रधान मुफ्ती मो. निजामुद्दीन रिजवी ने एक घंटे के सवाल-जवाब सेशन में लोगों की शंका का समाधान किया। लोगों ने इस्लाम और दीन की अन्य बातों के बारे में अपने सवाल प्रधान मुफ्ती से किए। इसमें नमाज, रोजा आदि से जुड़े सवाल थे।