International Women’s Day 2021: सुरेखा से मिली प्रेरणा, निविदिता राज भी बनी लोको पायलट
International Women’s Day 2021. सुरेखा के बारे में पढ़कर बिहार के जहानाबाद की बेटी निविदिता राज ने उनसे प्रेरणा ली और खुद भी ट्रेन चालक बनने की ठानी। वर्तमान में निविदिता चक्रधरपुर मंडल के टाटानगर स्टेशन में सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर कार्यरत है।
जमशेदपुर, जासं। International Women’s Day 2021 सुरेखा यादव देश की पहली ट्रेन चालक थी जिन्होंने वर्ष 2000 में देश में शुरू हुई महिला स्पेशल ट्रेन की पायलट थी। सुरेखा के बारे में पढ़कर बिहार के जहानाबाद की बेटी निविदिता राज ने उनसे प्रेरणा ली और खुद भी ट्रेन चालक बनने की ठानी। वर्तमान में निविदिता चक्रधरपुर मंडल के टाटानगर स्टेशन में सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर कार्यरत है।
निविदिता बताती हैं कि सुरेखा जी के बारे में पढ़कर मैंने भी ट्रेन चलाने का सपना देखा। मेरे इस सपने को मेरे पिता स्व. अनिल पासवान का साथ मिला, जो जहानाबाद में ही स्कूल चलाते थे। पापा ने मुझे कभी भी स्कूल में साथ देने का दबाव नहीं दिया बल्कि उन्होने मेरे सपने का अपना सपना मानते हुए मुझे परीक्षा दिलाने के लिए खुद ले जाते थे और 21 जुलाई 2014 को मेरा सपना पूरा हुआ जब मैंने भी लोको पायलट बनी। शुरू-शुरू में मुझे पुरुष प्रधान इस काम में काफी परेशानी हुई। लेकिन मेरे सहकर्मी और लोको इंस्पेक्टर ने मुझे हमेशा सहयोग किया।
कोविड के कठिन दौर में भी दी सेवा
कोविड 19 का भी वो कठिन समय आया जब मैंने बिना छुट्टी लिए काम की। लॉकडाउन के बावजूद जरूरी खाद्यान्नों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में अपना योगदान दिया। मेरा तीन साल का छोटा बेटा अर्नव है। कोविड के समय उससे दूर रहना और ड्यूटी करना काफी कठिन था। ड्यूटी खत्म कर घर लौटना और बिना बेटे को गोद में लिए पहले गर्म पानी से नहाना, कपड़ों को धोकर उससे मिलना पड़ता था। लोको पायलट का काम आसान नहीं है क्योंकि कई बार ड्यूटी से घर लौटने में देर हो जाती है। ऐसे में घर-परिवार का सपोर्ट मिलना बेहद जरूरी है। मुझे अपने पति अखिलेश से काफी सहयोग मिला और आज भी मेरा साथ निभा रहे हैं तभी मैं घर की चिंता से बेफ्रिक होकर अपनी ड्यूटी कर पा रही हूं।