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Indian Railway Update : ट्रेन रद होने से स्टेशन पर हो रहा हंगामा, तस्वीरों में देखें कैसे परेशान हैं यात्री

Indian Railway Update कुड़मी समाज की रेल रोको आंदोलन के कारण यात्री परेशान हैं। स्टेशन पर पहुंचने के बाद उन्हें पता चल रहा है कि ट्रेन कैंसिल हो चुकी है। स्टेशनों पर यात्रियों द्वारा हंगामा किया जा रहा है। दूसरे दिन भी कई ट्रेनें रद कर दी गई हैं...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:50 AM (IST)
Indian Railway Update : ट्रेन रद होने से स्टेशन पर हो रहा हंगामा, तस्वीरों में देखें कैसे परेशान हैं यात्री
Indian Railway Update : ट्रेन रद होने से स्टेशन पर हो रहा हंगामा

जमशेदपुर : कुड़मी को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर लगातार दूसरे दिन रेल चक्का जाम है। इसके कारण यात्री जहां-तहां फंसे हुए हैं। कई यात्री तो लगातार दो दिन से स्टेशन पर ही बैठे हैं। उनकी हालत खराब है। चक्का जाम के कारण दूसरे दिन भी आठ ट्रेनें रद कर दी गई तो दर्जनों ट्रेनों के मार्ग बदल दिए गए। स्टेशन पर अफरा तफरी का माहौल है। कई स्टेशनों पर यात्री बवाल कर रहे हैं।

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150 के बजाय 500 किमी की दूरी तय कर सीआरएस का सैलून पहुंचा हावड़ा

झाड़ग्राम एवं खड़गपुर स्टेशन के बीच खेमाशुली के समीप स्थानीय लोगों द्वारा रेल चक्का जाम बुधवार को भी जारी है। इससे आम यात्रियों के साथ-साथ रेल सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) एएम चौधरी को भी परेशानी उठानी पड़ी। मंगलवार को चाकुलिया से घाटशिला के बीच थर्ड लाइन का निरीक्षण करने आए सीआरएस पूरे दिन निरीक्षण करने के बाद शाम 7:00 बजे वापस हावड़ा के लिए अपने विशेष सैलून से रवाना हो गए।

लेकिन आंदोलनकारियों द्वारा रेलवे ट्रैक खाली नहीं किए जाने के कारण उनका सैलून करीब 2 घंटे तक झाड़ग्राम स्टेशन पर ही खड़ा रहा। आखिरकार रात 9:00 बजे के बाद सीआरएस का सैलून वापस टाटानगर की ओर रवाना हो गया। सीआरएस का विशेष सैलून टाटा से आद्रा, आसनसोल होते हुए हावड़ा पहुंचा। बता दें कि झाड़ग्राम से हावड़ा की सीधी दूरी करीब 150 किलोमीटर है जबकि टाटा आद्रा आसनसोल होते हुए हावड़ा जाने पर सीआरएस को करीब 500 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा।

टाटा-छपरा रद की खबर सुन यात्रियों ने किया हंगामा, आरपीएफ ने संभाला मोर्चा

कुड़मी सेना की ओर से अपनी मांगों को लेकर खड़गपुर, आद्रा एवं चक्रधरपुर डिविजन में रेल रोको आंदोलन चलाया गया। यात्रियों को उम्मीद थी की शाम होते-होते आंदोलन समाप्त कर दिया जाएगा, लेकिन देर रात तक आंदोलन जारी रहने के कारण टाटा-छपरा ट्रेन को रात्रि के आठ बजे के बाद रद करने की घोषणा कर दी गई। इधर ट्रेन रद होने की उदघोषणा के बाद कई यात्रियों ने आपा खो दिया और प्लेटफार्म पर ही हंगामा करने लगे। लोगों को शांत कराने में आरपीएफ के जवानों को कड़ी मश्क्कत करनी पड़ी।

परिवार के साथ स्टेशन पहुंचे लोगों को हुई परेशानी

इधर नई दिल्ली-पुरी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस रात्रि 8.30 बजे टाटानगर स्टेशन पहुंची। ट्रेन में सवार घाटशिला के कई यात्री टाटानगर स्टेशन पर लगे हेल्प डेस्क से पूछते रहे कि ट्रेन घाटशिला स्टेशन तक जाएगी या नहीं, जब वे संतुष्ट हो गए कि ट्रेन घाटशिला नहीं जाएगी तो वे प्राइवेट कार से घाटशिला की ओर रवाना हुए। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को टाटानगर लाने के बाद वापस चांडिल होकर बोकारो होते हुए खड़गपुर के रास्ते पुरी तक के लिए रवाना किया गया। इसी तरह दुर्ग-दानापुर साउथ बिहार एक्सप्रेस को टाटानगर के बाद मुरी के रास्ते आगे की ओर रवाना किया गया।

यात्रियों की सहूलियत के लिए टाटानगर पर लगा हेल्प डेस्क

आंदोलन के कारण ट्रेनों के रद होने व परिवर्तित मार्ग पर चलने से यात्रियों के सहूलियत के लिए टाटानगर स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म पर हेल्पडेस्क लगाया गया। पूछताछ केंद्र पर अत्याधिक भीड़ ना हो इसको लेकर रेलवे ने यह निर्णय लिया। हेल्पडेस्क पर जानकारी लेने के लिए यात्रियों का तांता लगा रहा। हेल्पडेस्क पर बैठे अधिकारियों के जवाब से कोई संतुष्ट दिखा तो कई असंतुष्ट। यात्रियों का कहना था कि ट्रेन रद करने की जानकारी रेलवे को पहले ही मुहैया करवानी चाहिए थी। इधर रेलवे के अधिकारी यात्रियों को समझाते रहे कि उन्हें नहीं पता था कि आंदोलन लंबे अवधी तक चलेगा मगर यात्री उनकी बातों को मानने को तैयार ही नहीं थे।

रेल चक्का जाम के कारण एक दिन में सात करोड़ से ज्यादा का नुकसान

रेल रोको आंदोलन के चलते रेलवे को सात करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुक्सान उठाना पड़ा हैं। दर्जनों ट्रेनें रद रहने के साथ कई के परिवर्तित मार्ग पर चलने के कारण हजारों यात्रियों ने अपना टिकट रद करवाया। इसके अलावा रेलवे ट्रैक जाम होने के चलते टाटा-खड़गपुर समेत अन्य मार्गों पर मालगाड़ी का परिचालन भी ठप रहा। इससे रेलवे को एक दिन में सात करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि रेलवे को कितना का नुक्सान हुआ इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई हैं।


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