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पहली आजादी पर झूम उठी थी लौहनगरी

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : 14 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत के आजाद होने की घोषणा हु

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 07:46 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 07:46 PM (IST)
पहली आजादी पर झूम उठी थी लौहनगरी
पहली आजादी पर झूम उठी थी लौहनगरी

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : 14 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत के आजाद होने की घोषणा हुई थी, तो पूरे देश के साथ लौहनगरी भी झूम उठी थी। 15 अगस्त को टाटा स्टील (तब टिस्को) में छुट्टी की घोषणा कर दी गई, क्योंकि उस दिन जगह-जगह कई कार्यक्रम होने थे। मंदिर, गिरजाघर, मस्जिद व गुरुद्वारों में प्रार्थना सभा हुई, तो तिरंगा फहराया गया। गरीबों को भोजन कराया गया, तो स्कूलों में मिठाई बांटी गई। अस्पताल व जेल को भी रंगबिरंगे बल्बों से सजाया गया। टाटा स्टील के जेनरल आफिस बिल्डिंग के सामने सुबह छह बजे सर जहांगीर घांदी ने राष्ट्र ध्वज फहराया। कर्मचारियों की भारी भीड़ जुटी थी, जिसे जहांगीर घांदी ने संबोधित भी किया। सरकार की ओर से मुख्य समारोह रीगल मैदान (अब गोपाल मैदान) में हुआ, जहां साकची ग‌र्ल्स हाईस्कूल की छात्राओं ने तिरंगा लेकर मार्चपास्ट किया, तो सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। यहां सेना व पुलिस के जवानों ने बैंड के साथ परेड किया। सिंहभूम जिला के उपायुक्त ने तिरंगे को सलामी दी। बारी मैदान में टाटा स्टील के अधिकारी बग्घी पर आए, जबकि कंपनी के सुरक्षाकर्मी घोड़ों पर पहुंचे। पूरा मैदान राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीतों से गूंजने लगा। बारी मैदान में कर्मचारियों ने रैली निकाली, जिसमें टाटा वर्कर्स यूनियन के सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पारसी होस्टल में भी तिरंगा फहराया गया। दोपहर में सर जहांगीर घांदी ने बाघाकुदर तालाब (जुबिली लेक) के पास पौधा लगाया। वहीं रात में बेल्डीह क्लब, छोटानागपुर क्लब समेत अन्य क्लबों में सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद रात्रि भोज का आयोजन किया गया।

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हम व्यक्ति नहीं राष्ट्र हैं : घांदी

टाटा स्टील में जेनरल मैनेजर सर जहांगीर घांदी ने ध्वजारोहण के बाद कर्मचारियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा 'भारत का नागरिक होने के नाते हमारे लिए यह ऐतिहासिक दिन है। अब हमें भूख, गरीबी, बीमारी और उपेक्षा से लड़ना है। इस्पात की नगरी में रहने वालों के लिए हमारे ऊपर इसकी विशेष जिम्मेदारी है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। आज हमें अतीत को भूलकर भविष्य की ओर देखने का संकल्प लेना चाहिए। आज से हम एक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्र के लिए जीना है'।


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