Move to Jagran APP

केबुल का है टाटा स्टील से गहरा संबंध

बीस साल से बंद इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) का टाटा स्टील के साथ शुरू से ही गहरा संबंध रहा है। जब 1920 में एनफील्ड केबुल के नाम से जमशेदपुर में कंपनी की स्थापना हुई तो उस समय भी टाटा स्टील (टिस्को) ने ही केबुल को 177.16 एकड़ जमीन लीज पर दिया था। साथ ही टाटा स्टील ने केबुल को बिजली पानी आदि की सुविधाएं भी दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 08:01 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 08:01 AM (IST)
केबुल का है टाटा स्टील से गहरा संबंध

अरविंद श्रीवास्तव, जमशेदपुर : बीस साल से बंद इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) का टाटा स्टील के साथ शुरू से ही गहरा संबंध रहा है। जब 1920 में एनफील्ड केबुल के नाम से जमशेदपुर में कंपनी की स्थापना हुई तो उस समय भी टाटा स्टील (टिस्को) ने ही केबुल को 177.16 एकड़ जमीन लीज पर दिया था। साथ ही टाटा स्टील ने केबुल को बिजली, पानी आदि की सुविधाएं भी दी। नेशनल लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इंकैब की नीलामी का आदेश दिया है। इससे बाद से हड़कंप मचा हुआ है।

loksabha election banner

कंपनी के बाद होने से पूर्व टाटा स्टील का इंकैब पर करीब 10 लाख का बकाया था, जो बंदी के बाद से आज तक (पानी, बिजली, जमीन का भाड़ा आदि) करीब 100 करोड़ पहुंच गया है। जानकार बताते हैं कि टाटा स्टील शुरू से ही केबुल के हक में काम करती रही है। 1993 से कंपनी लड़खड़ाने लगी। 1996 आते-आते ही मजदूरों को पेमेंट मिलना बंद गया। उस समय भी टाटा स्टील ने केबुल की मदद की। उस वक्त टाटा स्टील के निर्वतमान एमडी जेजे ईरानी ने केबुल के वीपी एमएन झा को 40 लाख रुपये कर्मचारियों के पेमेंट के लिए थे। द इंडियन केबुल वर्कर्स यूनियन के महामंत्री रामविनोद सिंह ने कहा कि इंकैब को टाटा स्टील शुरू से ही मदद करती रही है। बंद कंपनी को चालू कराने के लिए उसका प्रयास आज भी जारी है।

रुक सकती है नीलामी प्रक्रिया

एनसीएलटी ने इंकैब की नीलामी का आदेश दिया है। साथ ही आदेश में यह भी जिक्र है कि आज भी कोई समक्ष प्रमोटर कंपनी अधिग्रहण करना चाहता है तो उस पर पुनर्विचार हो सकता है। मजदूर नेता रामविनोद सिंह ने कहा कि अब भी वे टाटा स्टील से बंद कंपनी चालू कराने के लिए प्रयासरत हैं। केबुल की जमीन टाटा स्टील का है। पानी, बिजली आदि की सुविधाएं भी वहीं से मिलती है, ऐसे में उससे बेहतर कोई नहीं हो सकता। कुछ लोग यह समझने को तैयार नहीं है। अगर इससे अच्छा कोई प्रमोटर मिले तो उसे आमंत्रित करें या फिर सभी मिलकर टाटा स्टील से अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव रखें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.